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हाई कोर्ट ने आमेर फोर्ट हाथी सवारी की दरें घटाने का आदेश किया रद्द

हाई कोर्ट ने आमेर फोर्ट हाथी सवारी की दरें घटाने का आदेश किया रद्द

मनीषा शर्मा। जयपुर के ऐतिहासिक आमेर फोर्ट और इसके आसपास के क्षेत्र में हाथी सवारी के किराए को लेकर एक अहम फैसला हाई कोर्ट से सामने आया है। जस्टिस महेंद्र गोयल की बेंच ने 8 नवंबर 2023 को जारी राज्य सरकार के आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें हाथी सवारी की दरें घटाकर 1500 रुपए कर दी गई थीं।

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि दरें तय करने से पहले हाथी मालिकों और अन्य संबंधित पक्षों को सुनवाई का अवसर दिया जाना चाहिए। यह मामला हाथी गांव विकास समिति की याचिका के बाद कोर्ट में पहुंचा था। समिति ने सरकार के फैसले को मनमाना बताते हुए इसे चुनौती दी थी।

पृष्ठभूमि: हाथी सवारी की दरें क्यों कम की गईं?

आमेर फोर्ट, जो राजस्थान का प्रमुख पर्यटन स्थल है, यहां हाथी सवारी वर्षों से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रही है। यह परंपरा और पर्यटन की एक बड़ी पहचान बन चुकी है।

दरें कैसे बढ़ीं और फिर घटाईं गईं?

  1. दरें बढ़ाने का निर्णय:

    • 26 जून 2023 को पर्यटन विभाग और पुरातत्व विभाग की संयुक्त बैठक में हाथी सवारी की दरें 2500 रुपए प्रति ट्रिप निर्धारित की गईं।
    • नई दरें 1 अक्टूबर 2023 से लागू भी कर दी गईं।
  2. दरें घटाने का आदेश:

    • अचानक 8 नवंबर 2023 को पर्यटन विभाग के आयुक्त, पुरातत्व विभाग के निदेशक और अन्य अधिकारियों की बैठक में दरें 2500 रुपए से घटाकर 1500 रुपए कर दी गईं।
    • इस फैसले से पहले न तो हाथी मालिकों और न ही हाथी गांव विकास समिति को कोई सूचना या सुनवाई का अवसर दिया गया।
  3. याचिका की चुनौती:

    • हाथी गांव विकास समिति ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सरकार के फैसले को मनमाना और अवैध बताया।

    • समिति का कहना था कि दरें बढ़ाने का निर्णय 10 साल बाद लिया गया था, लेकिन उसे बिना किसी आधार के वापस लिया गया।

हाई कोर्ट का आदेश और कानूनी पक्ष

हाई कोर्ट ने सरकार के आदेश को रद्द करते हुए कहा कि:

  1. प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन:दरें तय करने से पहले हाथी मालिकों को सुनवाई का मौका नहीं दिया गया, जो कि कानून के खिलाफ है।

  2. पुरातत्व अधिनियम का उल्लंघन:पुरातत्व अधिनियम 1976

    के रूल्स-38 के तहत स्पष्ट प्रावधान है कि किसी भी नई दर को लागू करने से पहले संबंधित पक्षों को सुना जाना चाहिए।

कोर्ट की टिप्पणी:

“सरकार को हाथी मालिकों और अन्य स्टेकहोल्डर्स की बात सुनकर दरें तय करनी चाहिए। बिना किसी प्रक्रिया का पालन किए दरें घटाना कानून के विपरीत है।”

हाथी सवारी: दरें क्यों महत्वपूर्ण हैं?

आमेर फोर्ट में हाथी सवारी यहां के पर्यटन का एक प्रमुख हिस्सा है। देश-विदेश से आने वाले पर्यटक इस परंपरा का आनंद लेते हैं। लेकिन हाथी सवारी की दरें सिर्फ पर्यटन से जुड़ी नहीं हैं, बल्कि इससे कई परिवारों की आजीविका भी जुड़ी हुई है।

10 साल बाद बढ़ीं दरें:

  • पिछली बार 16 अक्टूबर 2014 को हाथी सवारी की दरें 900 रुपए से बढ़ाकर 1100 रुपए की गई थीं।
  • पिछले 10 वर्षों से दरें स्थिर थीं, जबकि हाथियों की देखभाल और खर्च में लगातार वृद्धि हो रही थी।
  • हाथी मालिकों की लगातार मांग के बाद अक्टूबर 2023 में दरें 3500 रुपए करने का निर्णय हुआ।

दरें घटाने का असर:

हाथी सवारी की दरों में अचानक कटौती का सीधा असर हाथी मालिकों पर पड़ा। हाथियों की देखभाल, चारा, और स्वास्थ्य संबंधित खर्चे लगातार बढ़ रहे हैं।

  • हाथी मालिकों का कहना है कि दरें घटने से वे आर्थिक संकट में आ गए हैं।

  • एक हाथी की देखभाल पर औसतन

    1500-2000 रुपए प्रतिदिन का खर्च आता है, जिसमें चारा, चिकित्सा, और महावत का वेतन शामिल है।

हाथी गांव विकास समिति की दलीलें

हाथी गांव विकास समिति के लीगल एडवाइजर असलम खान ने कोर्ट में दलील पेश की कि:

  1. बिना सुनवाई के निर्णय:सरकार ने हाथी मालिकों को कोई नोटिस दिए बिना दरों को घटाया।

  2. अवैध आदेश:पुरातत्व अधिनियम के नियमों के अनुसार, हाथी मालिकों को सुनवाई का अधिकार है।

  3. खर्चों की अनदेखी:हाथियों की देखभाल में बढ़ते खर्च को दरों में कटौती करते समय अनदेखा कर दिया गया।

आमेर फोर्ट हाथी सवारी की विशेषता

आमेर फोर्ट में हाथी सवारी सिर्फ एक पर्यटन गतिविधि नहीं है, बल्कि यह राजस्थान की सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा है।

  1. इतिहास:हाथी सवारी की परंपरा आमेर फोर्ट के राजाओं के समय से चली आ रही है।

  2. पर्यटन में योगदान:

    • हर साल लाखों पर्यटक आमेर फोर्ट का दौरा करते हैं।
    • हाथी सवारी इस पर्यटन का मुख्य आकर्षण है।
  3. हाथी मालिकों की आजीविका:आमेर फोर्ट के आसपास 200 से अधिक परिवार हाथी सवारी के व्यवसाय पर निर्भर हैं।

सरकार की मंशा और विवाद

राज्य सरकार का कहना है कि दरें घटाने का उद्देश्य अधिक पर्यटकों को आकर्षित करना था। हालांकि, हाथी मालिकों का आरोप है कि सरकार ने उनके हितों को अनदेखा कर मनमाने तरीके से यह फैसला लिया।

सरकार का यह तर्क है कि अधिक दरें पर्यटकों के लिए बोझ साबित हो सकती हैं। लेकिन हाथी मालिकों का कहना है कि:

  • उच्च दरें हाथी की उचित देखभाल के लिए आवश्यक हैं।

  • पर्यटकों की संख्या पर इसका कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि हाथी सवारी एक प्रीमियम अनुभव है।

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