शोभना शर्मा। राजस्थान की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल के बीच जुबानी जंग ने सियासी तापमान बढ़ा दिया है। हाल ही में वसुंधरा राजे ने खींवसर के एक कार्यक्रम के दौरान बेनीवाल पर इशारों में हमला किया। इसके जवाब में हनुमान बेनीवाल ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो में वसुंधरा को खुला चैलेंज देते हुए कहा, “अगर हिम्मत है तो मुझे ललकार कर दिखाएं। अगली बार खींवसर में घुसने नहीं दूंगा।”
बेनीवाल का खुला चैलेंज
यह विवाद तब शुरू हुआ जब वसुंधरा राजे शनिवार को खींवसर में एक कार्यक्रम में पहुंचीं। वहां, उन्होंने आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल का नाम लिए बिना कहा कि जनता को अब रेवंतराम डांगा जैसे नेता मिले हैं, जो उनकी समस्याओं का समाधान करेंगे। वसुंधरा की इस टिप्पणी को बेनीवाल ने अपने खिलाफ समझा और पलटवार करते हुए कहा, “मैडम, इशारों में क्या बात कर रही हैं? अगर हिम्मत है, तो खुलकर कहें। मुझे ललकार कर दिखाएं।”
2012-13 की घटनाओं का उल्लेख
अपने वीडियो में हनुमान बेनीवाल ने 2012-13 की घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने मूंडवा में वसुंधरा को सभा करने से रोक दिया था। बेनीवाल ने कहा, “अगर मैंने ठान लिया तो वसुंधरा को खींवसर में घुसने नहीं दूंगा। उस समय भी मैंने उन्हें बिना सभा किए लौटने पर मजबूर कर दिया था।” बेनीवाल ने यह भी जोड़ा कि इस बार उनका मूड नहीं था, इसलिए उन्होंने विरोध नहीं किया, लेकिन अगर उन्होंने विरोध किया तो वसुंधरा को खींवसर में आने से रोक देंगे।
वसुंधरा राजे का परोक्ष हमला
वसुंधरा राजे ने खींवसर में एक सभा के दौरान बेनीवाल का नाम लिए बिना उन पर तंज कसा। उन्होंने कहा, “मुझे विश्वास है कि खींवसर को अब एक ऐसा व्यक्ति मिला है, जो मेहनत और ईमानदारी से आपकी सेवा करेगा।” इस टिप्पणी को बेनीवाल ने अपने खिलाफ समझते हुए जवाबी हमला किया।
पुरानी अदावत का ताजा अध्याय
वसुंधरा राजे और हनुमान बेनीवाल के बीच विवाद कोई नया नहीं है। दोनों के बीच राजनीतिक और व्यक्तिगत मतभेद लंबे समय से चलते आ रहे हैं। बेनीवाल अक्सर वसुंधरा पर तीखे बयान देने से नहीं चूकते। इस बार का विवाद इन पुराने मतभेदों का ही विस्तार है।
राजनीतिक विशेषज्ञों की राय
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर छेड़ा गया है। दोनों नेता अपनी-अपनी पकड़ को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। जहां वसुंधरा अपने अनुभव और समर्थकों के बल पर बीजेपी में अपनी स्थिति मजबूत करने में लगी हैं, वहीं बेनीवाल अपनी पार्टी आरएलपी के प्रभाव को बढ़ाने के प्रयास में हैं।
क्या है जनता की राय?
वसुंधरा राजे और हनुमान बेनीवाल दोनों ही नेताओं का अपने-अपने क्षेत्र में मजबूत जनाधार है। खींवसर की जनता इस विवाद को लेकर बंटी हुई नजर आती है। कुछ लोग वसुंधरा को अनुभवी और कुशल नेता मानते हैं, तो कुछ बेनीवाल को उनकी बेबाक और संघर्षशील छवि के लिए पसंद करते हैं।