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आतंकियों का ‘हनुमानगढ़ कनेक्शन’ खुला: राजस्थान ATS की टीम गुजरात रवाना

आतंकियों का ‘हनुमानगढ़ कनेक्शन’ खुला: राजस्थान ATS की टीम गुजरात रवाना

मनीषा शर्मा। दिल्ली में लाल किले के पास हाल ही में हुए कार ब्लास्ट केस की जांच के दौरान एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। गुजरात आतंकवाद निरोधक दस्ते (Gujarat ATS) ने तीन आतंकियों को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने पूछताछ में बताया कि उन्हें हथियार राजस्थान के सीमावर्ती जिले हनुमानगढ़ से मिले थे। इस खुलासे के बाद राजस्थान पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों में हड़कंप मच गया है। गुजरात ATS के डीआईजी ने प्रेस ब्रीफिंग में आधिकारिक तौर पर इस बात की पुष्टि की कि बरामद हथियारों की सप्लाई हनुमानगढ़ के रास्ते की गई थी।

राजस्थान ATS की विशेष टीम गुजरात रवाना

इस खुलासे के तुरंत बाद राजस्थान ATS हरकत में आ गई। विभाग ने एक विशेष जांच टीम को गुजरात रवाना किया है, जो गिरफ्तार आतंकियों से सीधे पूछताछ करेगी। टीम का मुख्य उद्देश्य यह पता लगाना है कि हथियारों की सप्लाई चेन में राजस्थान के कौन-कौन से स्थानीय व्यक्ति, स्लीपर सेल या तस्करी नेटवर्क सक्रिय हैं। यह भी जांच की जा रही है कि क्या हनुमानगढ़ क्षेत्र से पहले भी हथियार या विस्फोटक सामग्री अन्य राज्यों में भेजी गई थी।

राजस्थान और गुजरात की सुरक्षा एजेंसियों के बीच अब समन्वय तेज हो गया है। ATS के सूत्रों का कहना है कि जांच में कई पुराने मामलों की कड़ियाँ भी जुड़ सकती हैं।

चार साल में ड्रोन से हुई 60 तस्करी की घटनाएं

राजस्थान पुलिस और सीमा सुरक्षा बल (BSF) के रिकॉर्ड बताते हैं कि बीते चार वर्षों में सीमा पार से ड्रोन के जरिए तस्करी के 60 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से 56 मामले श्रीगंगानगर बॉर्डर और 4 मामले बीकानेर क्षेत्र से जुड़े हैं।

इन ड्रोन के जरिए केवल नशे की खेप ही नहीं, बल्कि हथियार, नकली नोट और अब विस्फोटक सामग्री भी भेजी जाने लगी है। खुफिया रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तान की ओर से भेजी जाने वाली तस्करी अब चार स्तरों पर काम कर रही है —

  1. केवल नशे की खेप,

  2. नशा और हथियार,

  3. नशा, हथियार और नकली नोट,

  4. नशा, हथियार, नकली नोट और विस्फोटक सामग्री।

भारतमाला रोड बना तस्करों का नया ‘सेफ कॉरिडोर’

सुरक्षा एजेंसियों की जांच में यह तथ्य सामने आया है कि हनुमानगढ़ से गुजरने वाली भारतमाला रोड अब तस्करी के लिए एक ‘सेफ कॉरिडोर’ बन चुकी है। यह रोड पंजाब के अमृतसर से शुरू होकर राजस्थान होते हुए गुजरात तक जाती है। बीच के कई हिस्सों में स्थायी चौकियों और निगरानी की कमी के कारण तस्कर इसका फायदा उठा रहे हैं। परिणामस्वरूप भारी मात्रा में नशे और हथियारों की खेप राजस्थान की सीमा से निकलकर अन्य राज्यों तक पहुंच रही है।

पंजाब से राजस्थान शिफ्ट हुआ तस्करी नेटवर्क

2022 के बाद पंजाब सरकार और केंद्र एजेंसियों ने पंजाब सीमा पर ड्रोन निगरानी और डिटेक्शन सिस्टम को मजबूत किया। इससे बचने के लिए तस्करों ने अपनी गतिविधियां राजस्थान की सीमाओं की ओर शिफ्ट कर दीं। श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जैसे इलाकों की लंबी और विरल आबादी वाली सीमाएं, खेतों और फार्महाउसों का फैलाव, इस नेटवर्क के लिए अनुकूल साबित हुआ। अब तस्कर इन्हीं इलाकों से खेप गिराने और उठाने का काम कर रहे हैं।

लोकल नेटवर्क की भूमिका पर संदेह

खुफिया एजेंसियों का कहना है कि ड्रोन से गिराई गई खेपों को जमीन पर उठाने का काम स्थानीय नेटवर्क करता है। इनमें कुछ किसान, मजदूर और स्थानीय कारोबारी शामिल हो सकते हैं, जिन्हें पैसों के लालच में इस्तेमाल किया जाता है। अब जांच एजेंसियों का फोकस इन्हीं स्थानीय स्लीपर सेल और नेटवर्क को उजागर करने पर है।

राजस्थान ATS के अधिकारियों ने बताया कि यदि हथियारों की खेप हनुमानगढ़ के रास्ते आई है, तो निश्चित रूप से जमीन पर कोई लोकल सपोर्ट सिस्टम सक्रिय था। टीम इस दिशा में कई संदिग्धों से पूछताछ कर रही है और इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस बढ़ाया गया है।

सीमा पर 24 घंटे सख्त निगरानी की जरूरत

राजस्थान की 1,048 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा अब सुरक्षा के लिहाज से सबसे संवेदनशील मानी जा रही है। ड्रग्स और हथियारों की लगातार बढ़ती तस्करी देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन चुकी है।

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