नागौर के सांसद और RLP प्रमुख हनुमान बेनीवाल ने अंता उप-चुनाव को लेकर बड़ा राजनीतिक आरोप लगाया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर BJP के प्रदेश प्रभारी एवं राज्यसभा सांसद राधा मोहन दास अग्रवाल के बयान का हवाला देते हुए दावा किया कि उप-चुनाव के दौरान भाजपा के कई नेता अंदरखाने कांग्रेस उम्मीदवार के साथ खड़े थे। उनके अनुसार, अग्रवाल का बयान इस बात की पुष्टि करता है कि चुनाव की प्रक्रिया को प्रभावित करने की क्षमता BJP के पास बताई जा रही है, जो लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।
राधा मोहन अग्रवाल के बयान पर हमला
हनुमान बेनीवाल ने कहा कि मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से उनके संज्ञान में आया कि BJP प्रदेश प्रभारी ने कहा—“अगर हम चाहते तो अंता चुनाव हमारी जेब में होता।” बेनीवाल के अनुसार, इस कथन से दो बातें स्पष्ट होती हैं:
पहला, अंता उप-चुनाव में BJP के कई नेता अपनी ही पार्टी के खिलाफ काम करते हुए कांग्रेस के उम्मीदवार के समर्थन में खड़े थे।
दूसरा, यह बयान अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव आयोग को प्रभावित करने की क्षमता जताने का संकेत देता है, जो न केवल चिंताजनक है बल्कि लोकतांत्रिक सिद्धांतों का खुला अपमान भी है।
बेनीवाल ने कहा कि यह गंभीर आरोप है, क्योंकि यदि किसी पार्टी का प्रभारी यह कह रहा है कि चुनाव “हमारी जेब में” हो सकता था, तो यह चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता और विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है।
बेनीवाल ने चुनाव आयोग से मांगा जवाब
हनुमान बेनीवाल ने भारत निर्वाचन आयोग और राजस्थान के निर्वाचन विभाग से आग्रह किया है कि वे तत्काल इस बयान पर आधिकारिक प्रतिक्रिया दें। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या वास्तव में चुनाव प्रक्रिया किसी पार्टी या उसके प्रभारी की इच्छा से प्रभावित की जा सकती थी? यदि नहीं, तो आयोग को यह स्पष्ट करना चाहिए कि ऐसी टिप्पणी चुनावी मर्यादा और पारदर्शिता के खिलाफ क्यों नहीं मानी गई।
बेनीवाल के अनुसार, सत्तारूढ़ दल के एक वरिष्ठ नेता द्वारा ऐसा बयान देना जनता के भरोसे को कमजोर करता है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को इस पर स्पष्ट और निर्णायक जवाब देना चाहिए ताकि चुनाव प्रक्रिया की विश्वसनीयता बनी रहे।
राधा मोहन अग्रवाल का बयान—”हम चाहते तो चुनाव हमारी जेब में होता”
बीजेपी के प्रदेश प्रभारी राधा मोहन अग्रवाल ने मंगलवार को दिए बयान में कहा था कि भाजपा निष्पक्ष चुनाव लड़ती है और अंता उप-चुनाव पूरी तरह जनभावनाओं के आधार पर लड़ा गया। उन्होंने कहा कि यदि भाजपा चाहे तो प्रशासनिक मदद या मतदाता सूची में परिवर्तन कर चुनाव परिणाम बदल सकती थी, लेकिन पार्टी ने ऐसा नहीं किया और पूरी पारदर्शिता के साथ चुनाव लड़ा।
अग्रवाल ने यह भी कहा कि जो लोग बीजेपी पर “वोट चोरी” का आरोप लगाते हैं, अंता उप-चुनाव उनके लिए “झन्नाटेदार तमाचा” है। उनका दावा था कि भाजपा ने पूरी ईमानदारी के साथ चुनाव लड़ा और जनता के फैसले को सम्मान दिया।
बयान पर बढ़ी राजनीतिक गर्माहट
अग्रवाल का यही बयान अब राजनीतिक बहस का कारण बन गया है। विपक्ष ने इसे चुनाव प्रक्रिया पर BJP के ‘अनुचित प्रभाव’ का संकेत बताया है, जबकि भाजपा इसे अपने निष्पक्ष रुख का प्रमाण बता रही है।
बेनीवाल ने इस टिप्पणी को बेहद संवेदनहीन और लोकतांत्रिक ढांचे को कमजोर करने वाला बताया। उनका कहना था कि यदि कोई वरिष्ठ नेता यह दावा कर रहा है कि चुनाव परिणाम बदले जा सकते थे, तो यह गंभीर सवाल खड़े करता है कि चुनाव कितने स्वतंत्र और निष्पक्ष वातावरण में हुए।


