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गुर्जर समाज का शहजाद पूनावाला पर फूटा गुस्सा,कोटा में प्रदर्शन

गुर्जर समाज का शहजाद पूनावाला पर फूटा गुस्सा,कोटा में प्रदर्शन

शोभना शर्मा।  राजनीतिक बहसों में बयानबाज़ी कोई नई बात नहीं है, लेकिन कई बार कुछ कथन इतने विवादास्पद हो जाते हैं कि वे समाज के सम्मान और आस्था को ठेस पहुंचा देते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ है भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला के एक बयान को लेकर, जो उन्होंने एक टीवी डिबेट के दौरान दिया। उनके इस कथन ने राजस्थान के गुर्जर समाज को खासा आहत किया है और अब समाज ने सड़कों पर उतरने की चेतावनी भी दे दी है।

डिबेट के दौरान शहजाद पूनावाला ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का संदर्भ लेते हुए समाजवादी पार्टी के नेता राजकुमार भाटी पर बयान दिया था। इस दौरान उन्होंने कुछ ऐसी बात कही, जिसे गुर्जर समाज ने अपनी बहन-बेटियों के सम्मान के खिलाफ बताया है। कोटा में गुर्जर समाज के प्रतिनिधियों ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए इस बयान पर नाराज़गी जताई और भाजपा नेतृत्व से शहजाद पूनावाला को प्रवक्ता पद से हटाने की मांग की है।

वीर गुर्जर मंच के संयोजक नितिन गोचर ने बयान की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि शहजाद पूनावाला को यह नहीं भूलना चाहिए कि वे जिस व्यक्ति से संवाद कर रहे थे, वह भी हिंदू धर्म से आता है और गुर्जर समाज का प्रतिनिधित्व करता है। गोचर ने दोहराया कि गुर्जर समाज में भी वही रीति-रिवाज और परंपराएं मान्य हैं, जो हिंदू धर्म में हैं। समाज में बहन-बेटियों को सर्वोच्च स्थान दिया जाता है और उनकी मर्यादा को ठेस पहुंचाना पूरी तरह अस्वीकार्य है।

गुर्जर समाज के लोगों का कहना है कि शहजाद पूनावाला ने जिस प्रकार से अपने धर्म की प्रथाओं का उल्लेख करते हुए टिप्पणी की, वह ना केवल असंवेदनशील थी, बल्कि हिंदू रीति-रिवाजों के खिलाफ भी थी। समाज के प्रतिनिधियों ने स्पष्ट रूप से कहा कि – “हमारे समाज की बहन-बेटियों को इस नजर से देखने वालों की आंखें फोड़ दी जाती हैं।”

प्रदर्शन कर रहे लोगों ने चेतावनी दी है कि अगर भाजपा ने इस मामले में कोई सख्त कदम नहीं उठाया तो समाज सड़कों पर उतरकर बड़ा जन आंदोलन करेगा। समाज का यह भी कहना है कि शहजाद पूनावाला जैसे व्यक्ति को पार्टी प्रवक्ता जैसे महत्वपूर्ण पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।

गुर्जर समाज ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को संबोधित ज्ञापन में मांग की है कि तुरंत प्रभाव से पूनावाला को पद से हटाकर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए, जिससे भविष्य में कोई और समाज की अस्मिता से खिलवाड़ करने की हिम्मत न कर सके।

यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब देशभर में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर बहस गर्म है। ऐसे में एक राष्ट्रीय प्रवक्ता द्वारा कही गई बात का असर केवल टीवी स्टूडियो तक सीमित नहीं रहता, बल्कि समाज की जड़ों तक पहुंचता है, जैसा कि इस मामले में देखा गया।

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