मनीषा शर्मा। राजस्थान की मशहूर मार्बल सिटी किशनगढ़ एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार कारण कोई हादसा नहीं, बल्कि करोड़ों रुपये की टैक्स चोरी का मामला है। डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ GST इंटेलिजेंस (DGGI) ने शुक्रवार सुबह से किशनगढ़ के मार्बल एरिया में बड़ी कार्रवाई शुरू की। जयपुर और उदयपुर से आई छह टीमों ने एक साथ कई प्रतिष्ठानों और ट्रांसपोर्टरों पर छापेमारी की, जिससे कारोबारी जगत में हड़कंप मच गया।
मजदूरों और ठेकेदारों के नाम पर कंपनियां
जांच का सबसे बड़ा फोकस इस बार ड्रोम मार्बल कंपनी पर है। आरोप है कि यहां मजदूरों और छोटे ठेकेदारों के नाम पर फर्जी कंपनियां बनाकर करोड़ों रुपये के बिल काटे गए। इन बिलों का इस्तेमाल टैक्स चोरी के लिए किया गया। DGGI की टीम दस्तावेजों, अकाउंट बुक्स और डिजिटल डाटा की गहन जांच कर रही है। माना जा रहा है कि शुरुआती जांच में ही करोड़ों रुपये के लेनदेन संदिग्ध पाए गए हैं।
पहले भी हो चुकी हैं छापेमारियां
यह मामला नया जरूर है, लेकिन इसकी जड़ें पुरानी हैं। इससे पहले भी किशनगढ़ मार्बल एरिया में नरेंद्र चौधरी, हंसराज गुर्जर, बलवीर चौधरी और भरत के ठिकानों पर DGGI ने छापेमारी की थी। उस कार्रवाई में करीब 60 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी का खुलासा हुआ था। हालांकि उस केस में बलवीर और भरत अभी तक फरार बताए जाते हैं। वहीं, जब्त दस्तावेजों और मोबाइल चैट से जो नए नाम सामने आए, उन्हीं के आधार पर अब एजेंसी ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।
कारोबारी जगत में बढ़ी बेचैनी
किशनगढ़ मार्बल उद्योग न केवल राजस्थान बल्कि पूरे देश में अपनी पहचान रखता है। यहां से रोजाना अरबों रुपये का कारोबार होता है। ऐसे में अचानक हुई इस रेड से व्यापारियों में बेचैनी बढ़ गई है। कारोबारी अपने खातों और लेनदेन को लेकर सतर्क हो गए हैं। वहीं, छोटे व्यापारी यह आशंका भी जता रहे हैं कि इस कार्रवाई से उनका व्यवसाय प्रभावित हो सकता है।
हो सकता है बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश
DGGI की कार्रवाई अभी जारी है और देर शाम तक इसके और भी बड़े खुलासे होने की संभावना है। टीम पहले संदिग्ध बिलों और लेनदेन की पुष्टि करेगी, फिर रिकवरी का अनुमान सामने आएगा। जांच अधिकारियों का मानना है कि इस छापेमारी से एक बड़े टैक्स चोरी नेटवर्क का पर्दाफाश हो सकता है, जिसकी जड़ें राजस्थान के अलावा अन्य राज्यों तक फैली हो सकती हैं।
क्यों अहम है यह मामला?
GST लागू होने के बाद से सरकार ने टैक्स चोरी रोकने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। इसके बावजूद किशनगढ़ जैसे बड़े उद्योगिक क्षेत्रों में फर्जी कंपनियां बनाकर बिलिंग और टैक्स चोरी का खेल जारी है। इस बार मजदूरों और छोटे ठेकेदारों के नाम का इस्तेमाल करना प्रशासन के लिए गंभीर चिंता का विषय है। यह न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि गरीब वर्ग के नाम का दुरुपयोग कर करोड़ों की हेराफेरी करना सामाजिक स्तर पर भी बड़ा सवाल खड़ा करता है।