मनीषा शर्मा। राजस्थान की राजनीति में विधानसभा के गतिरोध को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच लगातार तकरार जारी है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने इस विवाद को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अगर नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली उन्हें इस्तीफा देने को कहेंगे, तो वे तुरंत अपना इस्तीफा सौंप देंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि विधानसभा सदन का दुरुपयोग सत्ता पक्ष को नहीं करना चाहिए और विपक्ष को अपनी बात कहने का पूरा अधिकार मिलना चाहिए।
स्पीकर वासुदेव देवनानी को बड़ा भाई मानते हैं डोटासरा
डोटासरा ने विधानसभा स्पीकर वासुदेव देवनानी के साथ अपने संबंधों को पारिवारिक बताते हुए कहा कि अगर उन्हें कोई गलतफहमी हुई है, तो वे उनके घर जाकर खेद प्रकट करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा,
“स्पीकर वासुदेव देवनानी मेरे बड़े भाई जैसे हैं। हम दोनों एक-दूसरे के परिवारिक आयोजनों और सुख-दुख में शामिल होते रहे हैं। उनके प्रति मेरे मन में कोई दुर्भावना नहीं है। अगर उनके मन में मेरे किसी बयान को लेकर कोई बात आई है, तो मैं खुद उनके घर जाकर खेद प्रकट करने को तैयार हूं।”
डोटासरा ने यह भी सवाल उठाया कि मंत्री अविनाश गहलोत की इंदिरा गांधी पर टिप्पणी अभी भी सदन के रिकॉर्ड में क्यों है, जबकि उनकी बातों को हटाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक कार्रवाई है, जो विपक्ष की आवाज दबाने का प्रयास है।
‘जिस बात पर मुझे निलंबित किया, उसी पर देवनानी भी सस्पेंड हो चुके’
गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि जिस कारण उन्हें निलंबित किया गया, उसी कारण से पहले वासुदेव देवनानी भी निलंबित हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि जब स्पीकर के डायस पर जाने के कारण उन्हें सस्पेंड किया गया था, तो उस समय के नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और खुद देवनानी ने खेद तक प्रकट नहीं किया था।
“जब वासुदेव देवनानी खुद इस प्रक्रिया से गुजर चुके हैं, तब आज विपक्ष के नेता को उसी कारण निलंबित करना कितना सही है?”
डोटासरा ने कहा कि बीजेपी लोकतंत्र का गलत उपयोग कर रही है और अपने अनुसार सदन चलाना चाहती है।
‘बीजेपी सत्ता का दुरुपयोग कर रही है’
डोटासरा ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि सत्ताधारी दल सत्ता का दुरुपयोग कर विपक्ष की आवाज दबाना चाहता है। उन्होंने कहा कि
“बीजेपी और आरएसएस का असली चेहरा यही है कि विपक्ष को बोलने ही मत दो। उनके मंत्री जवाब देने से बचते हैं, और जब विपक्ष अपनी बात रखना चाहता है, तो सत्ता पक्ष हंगामा कर देता है।”
डोटासरा ने यह भी कहा कि बीजेपी नेता अपने विरोधियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने में माहिर हैं, लेकिन खुद कोई भी गलती होने पर उस पर पर्दा डालने की कोशिश करते हैं।
‘हमने वसुंधरा और कैलाश मेघवाल के खिलाफ नारे लगाए थे, लेकिन उन्होंने दिल बड़ा रखा’
गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल के खिलाफ उन्होंने कई बार नारेबाजी की थी, लेकिन उन्होंने इसे व्यक्तिगत स्तर पर नहीं लिया।
“हमने वसुंधरा राजे और कैलाश मेघवाल के खिलाफ कई बार वैल में नारेबाजी की थी, लेकिन उन्होंने इसे व्यक्तिगत तौर पर नहीं लिया। कैलाश मेघवाल हमें लोमड़ी और न जाने क्या-क्या कहते थे, फिर भी अगले दिन लड्डू खिलाते थे और विपक्ष के लिए समय निकालते थे।”
डोटासरा ने सवाल उठाया कि बीजेपी नेताओं का इतना अहंकार क्यों बढ़ गया है कि वे किसी भी तरह का विरोध सहन नहीं कर सकते?
टीकाराम जूली बोले- ‘सरकार नहीं चाहती कि सदन में मेरा भाषण हो’
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने भी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री और सत्ता पक्ष नहीं चाहते कि वे सदन में अपनी बात रखें।
“मैंने मुख्यमंत्री को कहा था कि जब आप सरपंच थे, तब नरेगा योजना थी ही नहीं, फिर भी आप कह रहे हैं कि आपने नरेगा योजना का लाभ दिलवाया। शायद यह बात मुख्यमंत्री को बुरी लग गई। तभी से जब भी मेरा भाषण देने का नंबर आता है, तो सदन में हंगामा हो जाता है और मेरा भाषण नहीं होने दिया जाता।”
उन्होंने कहा कि फोन टैपिंग के मामले में भी सरकार की चुप्पी से स्पष्ट है कि वे इस मुद्दे को दबाना चाहते हैं।
‘सरकार को बड़ा दिल रखते हुए गतिरोध समाप्त करना चाहिए’
टीकाराम जूली ने कहा कि अब बजट भाषण पर उनकी स्पीच होनी है, लेकिन सरकार फिर से व्यवधान पैदा करने की कोशिश कर रही है।
“राजस्थान की 8 करोड़ जनता के लिए इतना भी विष नहीं पी सकते कि सदन को चलने दें? सत्ता पक्ष को बड़ा दिल रखते हुए विपक्ष को बोलने देना चाहिए। यह सिर्फ सत्ता का दुरुपयोग है।”
उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से अपील की कि वे स्वयं आगे आकर इस गतिरोध को समाप्त करें और विपक्ष को भी बोलने का मौका दें।