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राज्यपाल हरिभाऊ बागडे का कृषि यूनिवर्सिटी दौरा — कृषि शिक्षा में गुणवत्ता सुधार और युवाओं को कृषि से जोड़ने पर जोर

राज्यपाल हरिभाऊ बागडे का कृषि यूनिवर्सिटी दौरा — कृषि शिक्षा में गुणवत्ता सुधार और युवाओं को कृषि से जोड़ने पर जोर

मनीषा शर्मा। राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने हाल ही में कृषि विश्वविद्यालय का दौरा किया, जहां उन्होंने विश्वविद्यालय के कुलगुरु, शिक्षकों और अधिकारियों के साथ विस्तृत संवाद किया। इस दौरान उन्होंने विश्वविद्यालय में संचालित शैक्षणिक कार्यक्रमों, छात्रों की वर्तमान स्थिति, नामांकन प्रक्रिया, शैक्षणिक गुणवत्ता और संस्थागत व्यवस्था की गहन समीक्षा की। राज्यपाल ने इस अवसर पर कृषि को भारत की आर्थिक और सामाजिक मजबूती का मूल स्तंभ बताया और कहा कि युवाओं को कृषि और कृषि-आधारित उद्योगों की ओर आकर्षित करने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

कृषि राष्ट्र की आर्थिक रीढ़ — युवाओं को जोड़ना समय की मांग

राज्यपाल बागडे ने कहा कि भारत की आत्मनिर्भरता का मार्ग कृषि से होकर गुजरता है। उन्होंने बताया कि आज जब वैश्विक परिप्रेक्ष्य में कृषि तकनीक और नवाचार के नए अवसर सामने आ रहे हैं, तो भारत के युवाओं को इस क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने कहा — “कृषि को राष्ट्र की आर्थिक और सामाजिक मजबूती का आधार माना जाता है। ऐसे में युवाओं का कृषि और कृषि आधारित व्यवसायों की ओर रुझान बढ़ाना आवश्यक है। इसके लिए विश्वविद्यालयों को आधुनिक तकनीक, स्टार्टअप संस्कृति और उद्यमिता को शिक्षा में समाहित करना चाहिए।”

प्लेसमेंट सेल और अलुमनाई नेटवर्क की स्थापना पर बल

राज्यपाल ने कृषि विश्वविद्यालय में प्लेसमेंट सेल (Placement Cell) स्थापित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को इस बात का रिकॉर्ड रखना चाहिए कि उसके पूर्व छात्र निजी या सरकारी क्षेत्र में कितनी प्रगति कर रहे हैं। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि विश्वविद्यालय में हर वर्ष ‘अलुमनाई मीट’ (Alumni Meet) आयोजित की जाए ताकि पूर्व छात्र अपने अनुभव साझा कर वर्तमान छात्रों को प्रेरित कर सकें। राज्यपाल ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम न केवल विद्यार्थियों के आत्मविश्वास को बढ़ाते हैं, बल्कि उन्हें व्यावहारिक जीवन के अनुभवों से भी परिचित कराते हैं। उन्होंने विदेशों और बड़े शहरों में कार्यरत पूर्व छात्रों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शैक्षणिक गतिविधियों से जोड़ने की बात कही।

राज्यपाल ने किया सिंदूर पौधारोपण — पर्यावरण संरक्षण का संदेश

अपने दौरे के दौरान राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने विश्वविद्यालय परिसर में सिंदूर पौधे का पौधारोपण किया। उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय केवल शिक्षा का केंद्र नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और हरित विकास का प्रतीक भी होना चाहिए। उन्होंने विश्वविद्यालय को हरित पहल (Green Initiatives) को और विस्तार देने और छात्रों में पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता विकसित करने की सलाह दी।

नामांकन बढ़ाने और शिक्षा की गुणवत्ता पर जोर

राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अधिक से अधिक छात्र कृषि शिक्षा से जुड़ें। उन्होंने निर्देश दिया कि नामांकन प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाया जाए ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के छात्र भी आसानी से प्रवेश पा सकें। उन्होंने यह भी कहा कि कृषि विश्वविद्यालय में पर्याप्त फैकल्टी (Faculty) और शैक्षणिक संसाधन मौजूद हैं, अब आवश्यकता है कि विद्यार्थी संख्या में वृद्धि की जाए। राज्यपाल ने शिक्षकों और छात्रों के अनुपात की समीक्षा करते हुए कहा कि गुणवत्तापूर्ण कृषि शिक्षा ही भारत को “मजबूत कृषि-शक्ति” के रूप में स्थापित कर सकती है।

मानक पूरा न करने वाले संस्थानों पर कार्रवाई की चेतावनी

राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने सख्त लहजे में कहा कि यदि कोई संस्था विश्वविद्यालय से संबद्धता के लिए निर्धारित मानकों पर खरी नहीं उतरती है, तो ऐसे संस्थानों पर आवश्यक कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा संस्थानों को केवल डिग्री देने का केंद्र नहीं बनना चाहिए, बल्कि उन्हें अनुसंधान, नवाचार और कौशल विकास के माध्यम से कृषि क्षेत्र में वास्तविक योगदान देना चाहिए।

विश्वविद्यालय के कार्यों की प्रशंसा

राज्यपाल ने कृषि विश्वविद्यालय द्वारा शिक्षा, अनुसंधान, मानव संसाधन विकास, प्रशासनिक एवं वित्तीय सुधार, आधारभूत संरचना विकास, उद्यमिता और स्टार्टअप के क्षेत्र में किए जा रहे उत्कृष्ट कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की यह प्रगति कृषि क्षेत्र को नई दिशा देने में सहायक सिद्ध होगी। राज्यपाल ने कहा, “कृषि विश्वविद्यालयों को केवल पारंपरिक शिक्षा तक सीमित नहीं रहना चाहिए। उन्हें अनुसंधान, नवाचार, और आधुनिक तकनीक के माध्यम से कृषि को आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर करना होगा।”

कृषि शिक्षा से आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम

राज्यपाल हरिभाऊ बागडे के इस दौरे ने कृषि शिक्षा के प्रति एक नई सोच को जन्म दिया है। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन को स्पष्ट निर्देश दिए कि कृषि शिक्षा को रोजगारोन्मुखी बनाया जाए। उन्होंने कहा कि यदि कृषि विश्वविद्यालय युवाओं को कृषि तकनीक, स्टार्टअप और उद्यमिता की दिशा में प्रशिक्षित करते हैं, तो देश एक मजबूत कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था बन सकता है। राज्यपाल ने अपने संबोधन के अंत में कहा कि “कृषि केवल आजीविका का साधन नहीं, बल्कि यह भारत की संस्कृति, परंपरा और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।”

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