मनीष शर्मा। जयपुर में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ राजस्थान सरकार ने कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। बीते 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद केंद्र और राज्य स्तर पर सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं। इसी संदर्भ में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के निर्देश पर गुरुवार सुबह जयपुर के विभिन्न इलाकों में एक विशेष सर्च ऑपरेशन चलाया गया, जिसमें 100 से अधिक संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है।
यह ऑपरेशन तड़के सुबह 4 बजे से 8 बजे तक चला। इस दौरान हसनपुरा, दौलपुरा और भांकरोटा जैसे संवेदनशील इलाकों में पुलिस और खुफिया एजेंसियों ने सघन तलाशी अभियान चलाया। जांच में पाया गया कि करीब 35 लोगों के पास फर्जी दस्तावेज मौजूद हैं।
इन सभी को हिरासत में लेकर दस्तावेजों की गहन जांच की जा रही है। इसके अतिरिक्त कॉल डिटेल्स, बैंकिंग ट्रांजेक्शन, और संदिग्ध गतिविधियों की भी बारीकी से जांच की जा रही है। यह कार्रवाई प्रदेश में चल रहे एक व्यापक अभियान का हिस्सा है जिसका उद्देश्य राज्य की सुरक्षा और सामाजिक संरचना को सुरक्षित रखना है।
50 बांग्लादेशी नागरिकों को किया गया डिपोर्ट
एडिशनल कमिश्नर डॉ. रामेश्वर सिंह ने बताया कि जिन लोगों की नागरिकता या पहचान संदिग्ध पाई गई है, उन्हें पहले अलवर स्थित डिटेंशन सेंटर में भेजा जाएगा। इसके पश्चात सीबीआई और गृह मंत्रालय के माध्यम से बांग्लादेश सरकार से संपर्क कर डिपोर्टेशन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
अब तक विशेष तलाशी अभियान के तहत 50 बांग्लादेशी नागरिकों को भारत से डिपोर्ट किया जा चुका है। यह आंकड़ा आने वाले दिनों में और बढ़ सकता है क्योंकि जांच की प्रक्रिया अभी जारी है।
फर्जी दस्तावेज बनाने वालों पर भी होगी कार्रवाई
राज्य सरकार की योजना सिर्फ अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों को बाहर निकालने तक सीमित नहीं है। डॉ. रामेश्वर सिंह ने स्पष्ट किया कि जिन लोगों ने इन अवैध नागरिकों को फर्जी आधार कार्ड, पते और अन्य दस्तावेज उपलब्ध कराए हैं, उनकी भी पहचान की जा रही है। जल्द ही उनके खिलाफ भी सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की उच्च स्तरीय बैठक
इस कार्रवाई की नींव मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में रखी गई थी, जो बुधवार को मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित की गई थी। इस बैठक में गृह विभाग, पुलिस, खुफिया एजेंसियों और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि राज्य सरकार अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाएगी। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि चिन्हित बस्तियों में सघन तलाशी और सत्यापन अभियान चलाया जाए, ताकि किसी भी प्रकार की सुरक्षा में सेंध न लग सके।
निर्दोष लोगों को परेशान न करने की हिदायत
हालांकि मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि इस पूरी प्रक्रिया में स्थानीय नागरिकों की सहभागिता सुनिश्चित की जाए ताकि निर्दोष व्यक्तियों को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े। उन्होंने कहा कि समाज की सुरक्षा के साथ-साथ सामाजिक सौहार्द बनाए रखना भी सरकार की जिम्मेदारी है। इसलिए यह सुनिश्चित किया जाए कि केवल वे ही लोग जांच के दायरे में आएं जिन पर वास्तविक संदेह है।
सुरक्षा और सामाजिक समरसता का सवाल
राज्य सरकार का यह कदम न केवल आतंरिक सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे राज्य की सामाजिक संरचना और समरसता बनाए रखने में भी मदद मिलेगी। बीते कुछ वर्षों से देशभर में अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों, विशेष रूप से बांग्लादेशी नागरिकों को लेकर सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ी है। इन पर अपराधों, धार्मिक कट्टरता और आतंकी नेटवर्क से जुड़ने के आरोप भी लगते रहे हैं।
केंद्र के साथ समन्वय
राज्य सरकार इस अभियान को केंद्र सरकार के सहयोग से आगे बढ़ा रही है। सीबीआई और खुफिया एजेंसियों के माध्यम से बांग्लादेशी दूतावास से संपर्क किया जा रहा है ताकि डिपोर्टेशन की प्रक्रिया कानूनी और तेजी से पूरी की जा सके। केंद्र और राज्य के बीच तालमेल से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि किसी भी संवेदनशील मुद्दे पर जल्द और सटीक कार्रवाई की जा सके।
अभियान की निरंतरता
सूत्रों के अनुसार, यह अभियान फिलहाल रुकने वाला नहीं है। मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से मिले संकेतों के अनुसार आने वाले हफ्तों में अजमेर, कोटा, भरतपुर और अलवर जैसे अन्य शहरों में भी इसी तरह के सघन तलाशी अभियान चलाए जाएंगे। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को इस अभियान को निष्पक्ष, व्यवस्थित और संवेदनशील तरीके से लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।