शोभना शर्मा। देश के किसानों को नकली खाद और बीज से हो रहे नुकसान को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने एक कड़ा और निर्णायक कदम उठाया है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी के नेतृत्व में 12 विशेष जांच टीमों का गठन किया गया है। ये टीमें देशभर में खाद-बीज की दुकानों और डीलरों के यहां सघन जांच अभियान चला रही हैं।
इस अभियान का उद्देश्य नकली और मिलावटी खाद-बीज का नेटवर्क तोड़ना, दोषियों को जेल भेजना और किसानों में विश्वास बहाल करना है। इस कार्यवाही को लेकर कृषि मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि “सैंपल फेल तो सीधे जेल” की नीति अपनाई गई है।
किशनगढ़ में हुई छापेमारी
राजस्थान के अजमेर जिले के किशनगढ़ क्षेत्र में भी जांच टीमों की ओर से सघन छापेमारी की गई है। यहां आधा दर्जन से अधिक दुकानों और गोदामों पर खाद और बीज के सैंपल लिए गए हैं। प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, कुछ नमूनों में गड़बड़ी की आशंका जताई गई है। यदि जांच में दोष सिद्ध होता है तो संबंधित विक्रेताओं और डीलरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जेल भेजने की तैयारी की जा रही है।
केंद्र और राज्य सरकार का साझा अभियान
यह कार्रवाई राजस्थान सरकार के कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा की ओर से हाल ही में की गई कार्रवाई के बाद और तेज की गई है। प्रदेश स्तर पर नकली खाद और बीज की फैक्ट्रियों पर पहले ही ताबड़तोड़ छापेमारी की जा चुकी है। अब केंद्र सरकार ने इसे राष्ट्रीय स्तर पर एक अभियान के रूप में शुरू किया है।
इस पूरे अभियान को केंद्र और राज्य सरकारों का साझा प्रयास माना जा रहा है, जो यह दर्शाता है कि अब किसानों को धोखा देने वालों के खिलाफ “जीरो टॉलरेंस” की नीति अपनाई जाएगी।
दोषियों को नहीं मिलेगी राहत
कृषि मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि यदि जांच में लिए गए नमूने निर्धारित गुणवत्ता के अनुरूप नहीं पाए गए, तो संबंधित व्यक्ति को सीधे जेल भेजा जाएगा। किसी भी विक्रेता, डीलर या सप्लायर को किसानों की मेहनत और उनके उत्पादन से खिलवाड़ करने का अधिकार नहीं है।
इस नीति का उद्देश्य न केवल दोषियों को दंडित करना है बल्कि संपूर्ण सप्लाई चेन को पारदर्शी और जवाबदेह बनाना है।
किसानों में भरोसा और सुरक्षा की भावना
इस राष्ट्रव्यापी अभियान से किसानों के बीच विश्वास की भावना फिर से मजबूत होती दिखाई दे रही है। देशभर में लगातार सामने आ रहे नकली खाद और बीज घोटालों ने किसानों को नुकसान पहुंचाया है, जिससे उनकी फसलें खराब हुईं और आर्थिक संकट गहराया। अब सरकार द्वारा उठाए गए इस ठोस कदम से किसानों को यह भरोसा मिला है कि उनके हितों की सुरक्षा के लिए हर स्तर पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।