मनीषा शर्मा। राजस्थान की एसआई (सब-इंस्पेक्टर) भर्ती 2021 में हुए पेपर लीक मामले में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। सरकारी टीचर वर्षा बिश्नोई, जो इस मामले में एक डमी अभ्यर्थी के रूप में परीक्षा में बैठी थी, को जोधपुर रेंज की स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) ने कोटा से गिरफ्तार किया। वर्षा, जोधपुर की रहने वाली और एक सरकारी टीचर है, लंबे समय से पुलिस से बचने के लिए फरारी काट रही थी।
वर्षा का पकड़े जाने का सिलसिला: ऑपरेशन फिक्सिट
वर्षा बिश्नोई पर पिछले कुछ महीनों से SOG की नजर थी। मार्च 2024 में SI जगदीश सिहाग, जो पेपर लीक मामले में मुख्य आरोपी है, की गिरफ्तारी के बाद वर्षा बिश्नोई का नाम सामने आया था। SOG को कई प्रमाण मिले थे कि वर्षा ने अन्य परीक्षाओं में भी डमी कैंडिडेट बनकर परीक्षा दी थी।
SOG ने वर्षा की गिरफ्तारी के लिए ऑपरेशन फिक्सिट नाम से एक विशेष अभियान चलाया। ऑपरेशन का यह नाम पेपर लीक के चलते ‘फिक्सिंग’ की प्रतीकात्मकता को ध्यान में रखते हुए रखा गया था। जांच अधिकारी ने बताया कि वर्षा ने परीक्षा में बैठने के लिए प्रत्येक अभ्यर्थी से 15-15 लाख रुपये लिए थे। इसके बाद, एसओजी ने वर्षा पर 25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया और उसकी तलाश शुरू की।
डमी कैंडिडेट बनकर कई परीक्षाएं दीं
एसआई भर्ती परीक्षा में डमी कैंडिडेट बनकर बैठने वाली वर्षा ने केवल इस परीक्षा में ही नहीं, बल्कि अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में भी इसी तरह से फर्जीवाड़ा किया था। उसने इंदुबाला और भगवती नाम की दो अभ्यर्थियों के एडमिट कार्ड पर अपनी फोटो लगाई थी और उनके स्थान पर परीक्षा दी थी। वर्षा ने 13 सितंबर 2021 को जयपुर के झोटवाड़ा स्थित सिद्धार्थ पब्लिक सेकेंडरी स्कूल में डमी कैंडिडेट बनकर परीक्षा दी थी।
जोधपुर में सरकारी शिक्षक के पद पर कार्यरत वर्षा बिश्नोई ने कुछ साल पहले यह नौकरी प्राप्त की थी। सूत्रों के अनुसार, वर्षा अपने इसी पद का उपयोग कर प्रतियोगी परीक्षाओं में धांधली करती थी और उसके बदले में मोटी रकम वसूलती थी।
फरारी काटने के लिए कोटा में स्टूडेंट बनकर रह रही थी
वर्षा बिश्नोई लंबे समय से फरारी काट रही थी और पुलिस की नज़रों से बचने के लिए उसने एक नई पहचान बना ली थी। वह कोटा के जवाहर नगर इलाके में एक रिटायर्ड बैंक मैनेजर के घर में PG बनकर रह रही थी और उसने फर्जी डॉक्यूमेंट्स का उपयोग कर नाम बदल लिया था। गिरफ्तारी के समय उसने खुद को विमला बताया और एक फर्जी आधार कार्ड भी दिखाया। लेकिन सख्ती से पूछताछ करने पर उसने अपनी असली पहचान उजागर कर दी।
जगदीश सिहाग की गिरफ्तारी और वर्षा का पर्दाफाश
वर्षा के संपर्क में आने वाला SI जगदीश सिहाग खुद भी विवादों से घिरा रहा है। जगदीश का चयन 2014 में सब-इंस्पेक्टर के पद पर हुआ था और उसकी पहली नियुक्ति बालोतरा, बाड़मेर में हुई थी। जगदीश को पहली नियुक्ति के दौरान ही रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया था, हालांकि बाद में वह उस मामले में बरी हो गया था। लेकिन इसके बाद भी उसका भ्रष्टाचार का सिलसिला जारी रहा और वह पेपर लीक कांड में लिप्त हो गया।
मार्च 2024 में, जगदीश की गिरफ्तारी के बाद SOG को वर्षा बिश्नोई का नाम मिला। इसके बाद से SOG ने ऑपरेशन फिक्सिट के तहत वर्षा पर शिकंजा कसना शुरू किया और आखिरकार उसे कोटा से गिरफ्तार कर लिया गया।
कोर्ट में केस और आगे की कार्यवाही
वर्षा की गिरफ्तारी के बाद अब SOG उसे राजस्थान के विभिन्न पेपर लीक मामलों में पूछताछ के लिए जोधपुर लेकर जाएगी। इस गिरफ्तारी के बाद सरकारी परीक्षाओं में डमी कैंडिडेट के नाम पर हो रहे फर्जीवाड़े पर और भी सख्त कदम उठाए जाने की उम्मीद है। SOG वर्षा के पिछले रिकॉर्ड्स की जांच कर रही है और यह पता लगाने का प्रयास कर रही है कि उसने और कितनी परीक्षाओं में डमी कैंडिडेट बनकर भाग लिया है।