मनीषा शर्मा। राजस्थान में मूंग की सरकारी खरीद को लेकर लंबे समय से इंतजार कर रहे किसानों के लिए राहत की खबर आई है। हनुमानगढ़ जिला मुख्यालय सहित सभी मंडियों में 24 नवंबर से मूंग की सरकारी खरीद शुरू होने जा रही है। केंद्र सरकार की स्वीकृति मिलने के बाद राज्य सरकार ने आधिकारिक घोषणा कर दी है। हालांकि इस राहत के बीच किसानों की नाराजगी भी बनी हुई है क्योंकि एक बार फिर सरकार ने प्रति किसान केवल 40 क्विंटल मूंग खरीदने की सीमा तय की है।
किसानों का कहना है कि यह सीमा उनके वास्तविक उत्पादन के अनुपात में बहुत कम है। खासकर वे किसान जो बड़े पैमाने पर उत्पादन करते हैं, उन्हें अपनी बाकी फसल औने-पौने दामों पर निजी व्यापारियों को बेचनी पड़ती है, जिससे भारी आर्थिक नुकसान होता है।
खरीद में देरी से उठाना पड़ा नुकसान
इस वर्ष पंजीयन प्रक्रिया समय से शुरू कर दी गई थी और हजारों किसान सरकार द्वारा खरीद की तारीख की प्रतीक्षा कर रहे थे। लेकिन पंजीयन में अनियमितताओं की शिकायत के बाद अचानक खरीद प्रक्रिया रोक दी गई। इस विलंब के कारण कई किसान मजबूरी में मंडियों में अपनी उपज समर्थन मूल्य से करीब तीन हजार रुपए प्रति क्विंटल कम दामों पर बेच गए।
हनुमानगढ़ जिले की मंडियों में इस समय मूंग की कीमत लगभग 6000 रुपए प्रति क्विंटल है, जबकि सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी 8768 रुपए तय किया है। ऐसे में किसानों को प्रति क्विंटल 2500 से 3000 रुपए का सीधा नुकसान हो रहा है। यही स्थिति मूंगफली के साथ भी है, जिसका एमएसपी 7263 रुपए है, जबकि बाजार में कीमत 4500 से 5000 रुपए के बीच है।
खरीद लक्ष्य कम, किसानों में असंतोष
सरकार ने कुल उत्पादन का केवल 25 प्रतिशत खरीदने का लक्ष्य तय किया है। इससे उन किसानों में असंतोष बढ़ रहा है जिनका कहना है कि सरकार को उत्पादन के बजाय किसान की जरूरत के अनुसार खरीद करनी चाहिए। केवल 40 क्विंटल तक की खरीद सीमा उनके लिए राहत कम और औपचारिकता अधिक है।
किसानों का कहना है कि जब तक सरकार उनकी सारी उपज उचित दामों पर नहीं खरीदेगी, तब तक उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं हो सकती।
अब तक हुए पंजीयन
हनुमानगढ़ जिले में 11 खरीद केंद्र स्वीकृत किए गए हैं।
अब तक:
मूंग बेचने हेतु 7458 किसानों का पंजीयन
मूंगफली के लिए 2465 किसानों का पंजीयन
इन सभी किसानों को निर्धारित तारीख पर केंद्रों पर बुलाया जाएगा और नियमानुसार एमएसपी पर खरीद की जाएगी।
किसानों की उम्मीदें बनी हुई हैं
भले ही खरीद सीमा और देरी से किसान नाराज हैं, लेकिन सरकारी खरीद शुरू होने से उन्हें कुछ राहत जरूर मिलेगी। किसान उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार भविष्य में खरीद सीमा बढ़ाने पर विचार करेगी और उन्हें उत्पादन के उचित मूल्य दिलाने के प्रयास मजबूत होंगे।


