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सरकार आलोचना सुनने का माद्दा खो चुकी है : अशोक गहलोत

सरकार आलोचना सुनने का माद्दा खो चुकी है : अशोक गहलोत

मनीषा शर्मा।  राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने एक बार फिर केंद्र और राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि आज देश की स्थिति यह हो गई है कि सरकार आलोचना सुनने का माद्दा ही खो चुकी है। लोकतंत्र में आलोचना एक अहम हिस्सा होती है, लेकिन मौजूदा सरकार आलोचना को स्वीकार करने की क्षमता खो चुकी है। गहलोत ने कहा कि यह स्थिति लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है, क्योंकि जब सत्ताधारी दल आलोचना से डरने लगे, तो यह लोकतंत्र की आत्मा पर प्रहार होता है।

गहलोत ने कहा कि विपक्ष का काम सवाल उठाना और सरकार की नीतियों पर चर्चा करना होता है, लेकिन आज ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि कोई भी सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए तो उसे देशविरोधी ठहरा दिया जाता है। उन्होंने कहा, “लोकतंत्र में स्वस्थ आलोचना से ही व्यवस्था मजबूत होती है, लेकिन जब आलोचना को ही अपराध बना दिया जाए तो लोकतंत्र का असली स्वरूप खतरे में पड़ जाता है।”

“लोकतंत्र में निष्पक्षता सबसे अहम”

अशोक गहलोत ने आगे कहा कि चुनाव जीतना जितना जरूरी है, उससे कहीं ज्यादा जरूरी है कि चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से कराए जाएं। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र और दिल्ली में जो कुछ हुआ, वह सबने देखा है। लोकतंत्र में निष्पक्षता सबसे अहम है, लेकिन जब सत्ताधारी दल खुद चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने लगें, तो जनता का विश्वास टूटता है। गहलोत ने कहा कि लोकतंत्र की खूबसूरती उसकी निष्पक्षता में है। यदि जनता यह महसूस करे कि चुनाव पूर्व निर्धारित परिणामों के साथ हो रहे हैं, तो लोकतंत्र का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा। उन्होंने कहा कि सत्ता में बैठे लोगों को यह समझना चाहिए कि लोकतंत्र जनता की भागीदारी से चलता है, न कि केवल सत्ता के अहंकार से।

किसानों के मुआवजे को लेकर सरकार पर हमला

पूर्व मुख्यमंत्री ने किसानों के मुद्दे पर भी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि राजस्थान में कई जिलों में फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गईं, लेकिन किसानों को अब तक मुआवजा नहीं मिला है। गहलोत ने बताया कि उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री को पत्र लिखा और बार-बार याद दिलाया, फिर भी सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। उन्होंने कहा, “सरकार की जिम्मेदारी है कि वह किसानों की मदद करे, लेकिन आज हालत यह है कि फसलें नष्ट हो गईं और किसान कर्ज में डूबते जा रहे हैं। गिरदावरी तक समय पर नहीं कराई गई, जिससे मुआवजा प्रक्रिया में देरी हुई।” गहलोत ने कहा कि यह सरकार की बड़ी नाकामी है कि जिन किसानों ने सालभर मेहनत की, उन्हें अब तक उनके नुकसान की भरपाई नहीं मिली। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री और प्रशासन को किसानों के प्रति संवेदनशीलता दिखानी चाहिए, क्योंकि किसानों की रीढ़ टूट चुकी है।

“प्रधानमंत्री मोदी का वादा अधूरा”

अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान पर भी तंज कसा, जिसमें उन्होंने कहा था कि किसानों की आमदनी दोगुनी की जाएगी। गहलोत ने कहा कि आज स्थिति यह है कि जिनकी फसलें बर्बाद हो गईं, उन्हें मुआवजा तक नहीं मिल पा रहा है, तो फिर आमदनी दोगुनी होने की बात सिर्फ एक राजनीतिक नारा बनकर रह गई है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार वास्तव में किसानों की आमदनी बढ़ाना चाहती है, तो उसे कृषि संकट पर गंभीरता से कदम उठाने होंगे। उन्होंने मांग की कि किसानों की गिरदावरी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाई जाए, और जिन क्षेत्रों में फसलें खराब हुई हैं, वहां तत्काल मुआवजा दिया जाए।

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