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गोवर्धन जैविक उर्वरक योजना: किसानों को मिलेगा 50% अनुदान

गोवर्धन जैविक उर्वरक योजना: किसानों को मिलेगा 50% अनुदान

मनीषा शर्मा। रासायनिक खेती के दुष्प्रभाव से पर्यावरण, मृदा और मानव स्वास्थ्य को नुकसान हो रहा है। इस समस्या को हल करने और जैविक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राजस्थान सरकार ने किसानों के लिए गोवर्धन जैविक उर्वरक योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत किसानों को वर्मी कम्पोस्ट (Vermicompost) यूनिट स्थापित करने के लिए 50% या अधिकतम 10,000 रुपये तक का अनुदान मिलेगा। यह योजना मुख्यमंत्री बजट घोषणा वर्ष 2024-25 के तहत लागू की गई है।

जैविक खाद के माध्यम से रासायनिक खेती का समाधान

वर्तमान समय में रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से न केवल फसलों की गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है, बल्कि मृदा की उर्वरा शक्ति भी घट रही है। इसके अलावा, रासायनों के उपयोग से पर्यावरण पर भी गंभीर दुष्प्रभाव देखने को मिल रहे हैं। इन समस्याओं के समाधान के रूप में, राजस्थान सरकार ने गोवर्धन जैविक उर्वरक योजना की शुरुआत की है, जिसमें किसानों को उनके गोवंश के माध्यम से जैविक खाद उत्पादन को प्रेरित किया जाएगा।

वर्मी कम्पोस्ट यूनिट लगाने के लिए मिलेगी 50% सब्सिडी

इस योजना के तहत, किसानों को वर्मी कम्पोस्ट यूनिट स्थापित करने के लिए 50% या अधिकतम 10,000 रुपये तक की सब्सिडी प्रदान की जाएगी। योजना के तहत किसानों को 10 फीट x 3 फीट x 1.5 फीट के 2 बैड या 20 फीट x 3 फीट x 1.5 फीट के एक बैड की यूनिट लगाने की अनुमति दी जाएगी।

वर्मी कम्पोस्ट यूनिट के माध्यम से किसान जैविक खाद का उत्पादन कर सकते हैं, जिससे फसलों को प्राकृतिक पोषण मिलेगा और मृदा की उर्वरा शक्ति में सुधार होगा। यह योजना न केवल किसानों की उत्पादन लागत को कम करेगी, बल्कि उन्हें स्वस्थ और टिकाऊ खेती की दिशा में भी प्रेरित करेगी।

किसानों के लिए शर्तें

योजना का लाभ उठाने के लिए, किसानों को कुछ शर्तें पूरी करनी होंगी:

  1. किसान के पास कम से कम 5 गौवंश होने चाहिए।

  2. किसान के पास जमीन का स्वामित्व, पर्याप्त पशुधन, पानी और कार्बनिक पदार्थ की उपलब्धता होनी चाहिए।

  3. योजना के तहत चयन ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर होगा, यानी आवेदन करने वाले पहले किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी।

ऑनलाइन आवेदन की सुविधा

किसानों को योजना के तहत आवेदन करने के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया उपलब्ध कराई गई है। राजकिसान साथी पोर्टल के माध्यम से किसान स्वयं या नजदीकी ई-मित्र कियोस्क में जाकर आवेदन कर सकते हैं। आवेदन करने के लिए किसानों को अपनी SSO आईडी या जनआधार आईडी का उपयोग करना होगा।

टिकाऊ खेती की दिशा में कदम

गोवर्धन जैविक उर्वरक योजना का उद्देश्य न केवल जैविक खाद उत्पादन को बढ़ावा देना है, बल्कि इससे पर्यावरण पर पड़ रहे रासायनिक दुष्प्रभाव को भी कम करना है। जैविक खाद का उपयोग करने से मृदा की संरचना और उर्वरा शक्ति में सुधार होता है, जिससे फसलों की गुणवत्ता और उत्पादन में वृद्धि होती है। इसके अलावा, जैविक खेती टिकाऊ होती है और इससे किसानों को लंबे समय तक लाभ मिलता है।

मृदा उर्वरा शक्ति और पर्यावरण को मिलेगा लाभ

रासायनिक उर्वरकों के लगातार उपयोग से मृदा की उर्वरा शक्ति घटती जा रही है, लेकिन जैविक खाद मृदा के लिए प्राकृतिक पोषण का काम करती है। वर्मी कम्पोस्ट जैसे जैविक खाद से न केवल फसलों की गुणवत्ता में सुधार होता है, बल्कि मृदा का स्वास्थ्य भी बेहतर होता है। इससे किसानों की भूमि की उत्पादकता बढ़ती है और लंबे समय तक टिकाऊ रहती है।

किसानों के लिए एक लाभदायक योजना

गोवर्धन जैविक उर्वरक योजना से किसानों को जैविक खाद उत्पादन के लिए प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे वे रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम कर सकेंगे। यह योजना किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो न केवल उनकी आय बढ़ाने में मदद करेगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देगी।

योजना का प्रभाव

इस योजना के तहत प्रत्येक ब्लॉक में 50 किसानों को लाभान्वित किया जाएगा, जिससे राज्य भर के किसानों को जैविक खेती की दिशा में प्रेरित किया जा सके। योजना का मुख्य उद्देश्य रासायनिक खेती के दुष्प्रभावों को कम करना और मृदा की उर्वरा शक्ति को बनाए रखना है। राजस्थान सरकार की गोवर्धन जैविक उर्वरक योजना एक महत्वपूर्ण पहल है, जो किसानों को जैविक खेती की ओर आकर्षित करेगी। यह योजना न केवल कृषि उत्पादकता को बढ़ाएगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और मृदा की उर्वरा शक्ति को भी सुधारने में सहायक होगी।

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