शोभना शर्मा। जब सरकारी कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) एक आदर्श विकल्प है, तब प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के पास भी अपनी पेंशन सुनिश्चित करने के कई प्रभावी तरीके हैं। प्राइवेट नौकरी में पेंशन पाने के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) और राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) जैसे स्कीम बेहद कारगर साबित हो सकते हैं।
EPF और NPS कैसे करते हैं काम?
कर्मचारी भविष्य निधि (EPF): EPF एक ऐसा स्कीम है जिसमें कर्मचारी और नियोक्ता दोनों हर महीने कर्मचारी के वेतन का एक निश्चित हिस्सा जमा करते हैं। सेवानिवृत्ति के बाद यह राशि एक बड़े फंड के रूप में मिलती है, जो पेंशन के रूप में नियमित आय का स्रोत बन सकती है।
राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS): NPS एक वॉलंटरी पेंशन योजना है जिसमें कर्मचारी अपने कार्यकाल के दौरान नियमित रूप से अंशदान करते हैं। सेवानिवृत्ति के समय NPS का एक हिस्सा कर्मचारी को एकमुश्त मिलता है, जबकि शेष राशि को पेंशन के रूप में मासिक भुगतान के लिए रखा जाता है।
प्राइवेट सेक्टर में पेंशन का गणित
अगर आप 14,000 रुपये के मासिक मूल वेतन के साथ प्राइवेट नौकरी शुरू करते हैं और आपकी सालाना वेतन वृद्धि 10% है, तो आप EPF और NPS में नियमित योगदान करके 30 साल की सेवा के बाद एक मजबूत पेंशन पा सकते हैं।
EPF और NPS में किए गए निवेश से आपको 2.9 लाख रुपये तक की मासिक पेंशन प्राप्त हो सकती है, जो आपके अंतिम मूल वेतन (2.44 लाख रुपये) से अधिक होगी। इसके जरिए आप सेवानिवृत्ति के बाद भी एक आरामदायक जीवन जी सकते हैं।
पेंशन की गारंटी
EPF और NPS जैसी योजनाओं के माध्यम से प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों को पेंशन की गारंटी मिलती है। हालांकि, इन योजनाओं में निवेश करते समय यह ध्यान रखना आवश्यक है कि आप समय पर और नियमित रूप से योगदान करें। साथ ही, लंबी अवधि के निवेश से मिलने वाले लाभ को अधिकतम करने के लिए आपको निवेश पर गहन अध्ययन करना चाहिए।