शोभना शर्मा। राजस्थान में नकली खाद-बीज बेचने वालों पर कार्रवाई को लेकर शुरू हुआ विवाद अब राजनीतिक बहस का बड़ा मुद्दा बन गया है। जहां एक ओर कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा लगातार छापेमारी कर सुर्खियों में हैं, वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस पर सरकार को खुला चैलेंज देते हुए तंज कसा है।
गहलोत ने न केवल इस कार्यशैली पर सवाल उठाए, बल्कि इसे प्रशासनिक व्यवस्था के खिलाफ भी बताया। उन्होंने पूछा कि यदि एक मंत्री छापेमारी कर सकता है, तो क्या अन्य मंत्री भी अपने-अपने विभागों में यही तरीका अपनाएं?
गहलोत का चैलेंज: मुख्यमंत्री और पूरी कैबिनेट तय करे नीति
अशोक गहलोत ने स्पष्ट किया कि छापेमारी जैसी संवेदनशील कार्रवाई कोई व्यक्तिगत फैसला नहीं होना चाहिए। यह निर्णय मुख्यमंत्री और कैबिनेट की सामूहिक सोच से लिया जाना चाहिए।
उन्होंने सवाल उठाया,
“अगर किरोड़ी मीणा छापे मार रहे हैं, तो क्या अब हर मंत्री ऐसा करेगा? फिर तो मुख्यमंत्री को भी छापे मारने निकल जाना चाहिए।”
गहलोत का यह बयान इस ओर इशारा करता है कि वह इस पूरी कार्यशैली को नीतिगत और प्रशासनिक संतुलन के लिए खतरनाक मानते हैं।
छापेमारी प्रशासनिक प्रक्रिया, न कि राजनीतिक प्रदर्शन
गहलोत ने साफ किया कि किसी विभाग में अनियमितताओं की जांच और कार्रवाई प्रशासनिक एजेंसियों की ज़िम्मेदारी होती है, जैसे – एंटी करप्शन ब्यूरो, विजिलेंस विभाग या जिला स्तरीय जांच टीमें।
उनके अनुसार,
पहले सूचनाएं जुटाई जाती हैं,
फिर रेकी होती है,
और सबूत मिलने पर नियमानुसार कार्रवाई होती है।
यदि मंत्री स्वयं छापेमारी करेंगे, तो यह नियमों और प्रक्रियाओं को दरकिनार करने जैसा होगा, जिससे शासन प्रणाली पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।
मंत्री खुद छापे मारें तो कैसी होगी व्यवस्था?
गहलोत ने तंज कसते हुए कहा कि अगर सरकार का यही मॉडल है, तो सभी मंत्रियों को छापेमारी की खुली छूट मिलनी चाहिए।
उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा,
“यदि हर मंत्री छापे मारने लगे, तो राजस्थान से भ्रष्टाचार, मिलावट और कालाबाजारी खत्म हो जाएगी और गुड गवर्नेंस की मिसाल बन जाएगी।”
हालांकि उन्होंने साथ ही जोड़ा कि यह व्यावहारिक नहीं है और इससे सिर्फ प्रशासनिक भ्रम और टकराव की स्थिति पैदा होगी।
पायलट के बयान पर कृषि मंत्री का तीखा पलटवार
इस पूरे विवाद की शुरुआत तब हुई जब कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने मंत्री किरोड़ी मीणा की छापेमारी पर सवाल उठाए।
पायलट ने कहा था कि ऐसी कार्रवाइयों से लोकतांत्रिक प्रक्रिया और प्रशासनिक संरचना प्रभावित हो सकती है।
इस पर किरोड़ी मीणा ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा,
“अगर हम नकली पेस्टिसाइड्स और बीज पकड़ रहे हैं तो पायलट साहब को इसमें क्या आपत्ति है? उन्हें शर्म आनी चाहिए।”
मीणा ने आगे कहा कि सचिन पायलट खुद को किसान का बेटा कहते हैं, लेकिन किसानों के हित में की गई कार्रवाई पर सवाल उठा रहे हैं, यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
नकली बीज-कंपनियों पर कार्रवाई या राजनीतिक मंच?
राजस्थान में लगातार मिल रही नकली खाद और बीज की शिकायतों पर कृषि मंत्री किरोड़ी मीणा की सक्रियता ने एक ओर जहां किसानों में विश्वास बढ़ाया है, वहीं अब इसे राजनीतिक रंग भी मिल चुका है।
यह सवाल उठता है कि क्या ये छापेमारी कानून व्यवस्था को मजबूत करने का प्रयास है या जनता के बीच लोकप्रियता हासिल करने का जरिया?
गहलोत ने अपने बयान में यही मुद्दा उठाया और पूछा कि क्या ऐसे फैसले कैबिनेट के बाहर लिए जा सकते हैं, और क्या इससे संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन नहीं होता?
सत्ता और विपक्ष में टकराव का नया मुद्दा
इस पूरे विवाद ने राजस्थान में सत्ताधारी भाजपा और विपक्षी कांग्रेस के बीच नई बहस की जमीन तैयार कर दी है।
कांग्रेस एक ओर इसे प्रशासनिक प्रक्रिया के विरुद्ध बता रही है,
वहीं भाजपा और किरोड़ी मीणा इसे किसानों के हित में उठाया गया जरूरी कदम बता रहे हैं।