शोभना शर्मा। राजस्थान में बाजरे की एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर खरीद को लेकर सियासत तेज हो गई है। विपक्ष में रहते हुए भाजपा ने कांग्रेस सरकार पर किसानों की अनदेखी का आरोप लगाया था, लेकिन अब सत्ता में आने के बाद भी भाजपा बाजरे की एमएसपी पर खरीद सुनिश्चित नहीं कर रही। इसी मुद्दे पर अब पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। हालांकि, सवाल यह भी उठता है कि जब गहलोत खुद मुख्यमंत्री थे, तब उनकी सरकार ने किसानों के लिए बाजरा एमएसपी पर क्यों नहीं खरीदा?
गहलोत का सरकार पर वार: बाजरे की खरीद नहीं करने पर साधा निशाना
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि बाजरे की खरीद एमएसपी पर नहीं की जा रही है, जबकि भाजपा ने अपने घोषणापत्र में किसानों से यह वादा किया था। गहलोत ने कहा कि भाजपा सरकार ने किसानों से वादाखिलाफी की है, जिससे उन्हें बड़ा नुकसान हो रहा है।
उन्होंने ट्विटर पर एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया:
“राजस्थान में बाजरे की फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) न मिलने के कारण किसान संकट में हैं। अब मूंगफली, मूंग और सोयाबीन की फसल को भी किसान बाजार में एमएसपी से कम दामों पर बेचने को मजबूर हैं। अधिकांश खरीद केंद्रों पर खरीद ही नहीं हो रही और जहां हो रही है, वहां भी लक्ष्य सीमित रखे गए हैं।”
गहलोत ने यह भी कहा कि प्याज की बंपर पैदावार के कारण भी किसानों को उनकी फसल का सही मूल्य नहीं मिल रहा है।
गहलोत सरकार में क्यों नहीं हुई एमएसपी पर बाजरे की खरीद?
जब गहलोत सरकार सत्ता में थी, तब किसानों ने कई बार एमएसपी पर बाजरा खरीद की मांग उठाई थी। किसानों ने आंदोलन किए, मुख्यमंत्री निवास तक प्रदर्शन किया, लेकिन सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। अब जब भाजपा सरकार ने भी बाजरे की एमएसपी पर खरीद नहीं की, तो गहलोत इस मुद्दे को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह विरोधाभास स्पष्ट रूप से दिखाता है कि सत्ता में रहते हुए दलों की नीतियां कुछ और होती हैं, जबकि विपक्ष में रहते हुए वे जनता के मुद्दों को उठाने लगते हैं।
भाजपा सरकार का जवाब: क्यों नहीं हो रही एमएसपी पर खरीद?
भाजपा सरकार का कहना है कि बाजरे की एमएसपी पर खरीद को लेकर केंद्र सरकार की नीति स्पष्ट है। राजस्थान में सरकार ने किसानों को अन्य सुविधाएं और सब्सिडी देने की योजना बनाई है, लेकिन बाजरा खरीद को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया गया।
सरकार का यह भी कहना है कि कुछ जिलों में बाजरे की खरीद एमएसपी पर सिमित मात्रा में की जा रही है, लेकिन बजट और अन्य तकनीकी कारणों से इसे पूर्ण रूप से लागू नहीं किया जा सका।
किसानों के लिए क्यों जरूरी है एमएसपी पर खरीद?
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) किसानों के लिए बेहद अहम है, क्योंकि इससे उनकी फसल का सही दाम सुनिश्चित होता है। अगर सरकारें एमएसपी पर फसल खरीदने से इनकार करती हैं, तो किसानों को अड़तियों और व्यापारियों पर निर्भर रहना पड़ता है, जो कई बार बहुत कम दामों पर फसल खरीदते हैं।
राजस्थान में बाजरा, मूंग, मूंगफली, सोयाबीन और प्याज जैसे कृषि उत्पादों का बड़ा उत्पादन होता है, लेकिन एमएसपी पर खरीद नहीं होने से किसानों को घाटा उठाना पड़ता है।
किसानों का बढ़ता आक्रोश: आंदोलन की तैयारी?
बाजरे की एमएसपी पर खरीद न होने से किसानों में आक्रोश बढ़ रहा है। किसान संगठन इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की योजना बना रहे हैं और आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं।
किसान संगठनों का कहना है कि अगर सरकार जल्द ही एमएसपी पर खरीद शुरू नहीं करती, तो वे मुख्यमंत्री आवास तक प्रदर्शन करेंगे और सड़क जाम करेंगे।
क्या एमएसपी पर खरीद को लेकर कोई समाधान निकलेगा?
वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह कहना मुश्किल है कि सरकार बाजरे की एमएसपी पर खरीद शुरू करेगी या नहीं। हालाँकि, राजनीतिक दबाव और किसान आंदोलन के चलते सरकार पर इसे लागू करने का दबाव बढ़ सकता है।