शोभना शर्मा । राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने दो दिवसीय जोधपुर दौरे के दूसरे दिन कांग्रेस कार्यकर्ताओं और आमजन से संवाद करते हुए मोदी सरकार पर तीखा राजनीतिक हमला बोला। उन्होंने प्रेस से बातचीत में अंतरराष्ट्रीय मामलों से लेकर राज्य के बिजली-पानी संकट तक, कई मुद्दों पर केंद्र सरकार की आलोचना की। गहलोत ने अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कश्मीर मुद्दे पर बयान को लेकर भी आपत्ति जताई और कहा कि भारत की विदेश नीति को कमजोर किया जा रहा है। साथ ही, उन्होंने प्रदेश में बढ़ती बिजली कटौती और पानी की समस्या पर राज्य सरकार को चेताया कि यह मुद्दे आमजन के लिए गंभीर चिंता का कारण बन सकते हैं।
बिजली संकट पर गहलोत का आरोप
गहलोत ने कहा कि जोधपुर समेत पूरे राजस्थान में अघोषित रूप से बिजली की कटौती हो रही है। उन्होंने राज्य सरकार से सवाल किया कि आखिर जब “राइजिंग राजस्थान” जैसे बड़े दावे किए जा रहे हैं, तो आमजन को बुनियादी सुविधाएं क्यों नहीं मिल रही हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री पर तंज कसते हुए कहा कि वे खुद को जी बुलवाते हैं, लेकिन जनसमस्याओं पर मौन रहते हैं। गहलोत ने यह भी कहा कि अगर जल्द ही बिजली-पानी की समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो यह एक बड़ी राजनीतिक चुनौती बन सकती है।
ऑपरेशन सिंदूर और नेशनल हेराल्ड पर टिप्पणी
पूर्व मुख्यमंत्री ने “ऑपरेशन सिंदूर” को लेकर भी सरकार की मंशा पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जब राहुल गांधी ने इस विषय पर सवाल पूछा तो सरकार की प्रतिक्रिया से ऐसा लगा जैसे कोई बड़ा अपराध हो गया हो। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने फिर से ‘नेशनल हेराल्ड’ अखबार की शुरुआत की है, जो पार्टी की विचारधारा को जनता तक पहुंचाने का माध्यम बनेगा। लेकिन इसी को लेकर ईडी की कार्रवाइयों और कोर्ट केस दर्ज होना दर्शाता है कि केंद्र सरकार असहमति की आवाज को दबाने का प्रयास कर रही है।
ट्रंप और कश्मीर पर तीखी प्रतिक्रिया
गहलोत ने डोनाल्ड ट्रंप के कश्मीर मुद्दे में मध्यस्थता करने के बयान पर भी सख्त प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि भारत का हमेशा से यही रुख रहा है कि कश्मीर एक द्विपक्षीय मामला है और इसमें किसी तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं है। गहलोत ने पूछा कि अमेरिका ने आज तक भारत का साथ कब दिया? उन्होंने गोवा, सिक्किम और कारगिल जैसे ऐतिहासिक संदर्भों का हवाला देते हुए कहा कि अमेरिका ने कभी भी भारत के हितों का समर्थन नहीं किया। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि वह स्पष्ट रूप से ट्रंप के बयान का खंडन करे और बताए कि सीजफायर भारत और पाकिस्तान के बीच आपसी बातचीत से हुआ है, न कि किसी तीसरे देश के हस्तक्षेप से।
विपक्ष की भूमिका पर जोर
अशोक गहलोत ने जोर देकर कहा कि लोकतंत्र में विपक्ष की जिम्मेदारी है कि वह जनता के सवालों को सरकार के सामने रखे। उन्होंने कहा कि अगर राहुल गांधी सवाल नहीं पूछेंगे, तो जनता जरूर पूछेगी। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह असहमति और आलोचना से डरती है, और इसी कारण हर सवाल को देशद्रोह या राजनीति का रूप दे दिया जाता है।
तिरंगा यात्रा और एकता पर टिप्पणी
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान, खासकर पहलगाम की घटना के बाद, देश में पहली बार ऐसा हुआ जब पक्ष-विपक्ष और आमजन सभी एकजुट हुए थे। उस समय मोदी को जो ताकत मिली, उसका उपयोग देशहित में किया जाना चाहिए था। लेकिन आज की स्थिति में सरकार खुद समाज को विभाजित कर रही है। उन्होंने कहा कि “तिरंगा यात्रा” जैसे अभियानों को राजनीतिक हथियार बनाया जा रहा है, जबकि इनका कोई वास्तविक संबंध तिरंगे या राष्ट्रवाद से नहीं है। उन्होंने सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग का भी आरोप लगाया और जनता से इन मुद्दों पर सोचने और समझने की अपील की।