शोभना शर्मा। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंगलवार रात उदयपुर में मीडिया से बातचीत के दौरान भाजपा नेतृत्व और मौजूदा मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि “वसुंधरा राजे जब मुख्यमंत्री थीं, तो थोड़ा अलग चल रही थीं, लेकिन बाद में हमारे संबंध ठीक हो गए। वह सक्षम थीं, दो बार सरकार चला चुकी हैं। पता नहीं उन्हें क्यों घर बैठा दिया गया।”
गहलोत ने आगे कहा कि “मुख्य सचिव सुधांश पंत को अचानक दिल्ली भेज दिया गया। मुझे चिंता है कि कहीं ऐसी स्थिति मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की भी न हो जाए।”
उन्होंने कहा कि भजनलाल शर्मा पहली बार विधायक बने हैं, पहली बार मुख्यमंत्री बने हैं, लेकिन उन्हें समझ नहीं आ रहा कि शासन कैसे चलाना है।
“सरकार विपक्ष की परवाह नहीं कर रही”
गहलोत ने कहा कि मौजूदा सरकार विपक्ष की भूमिका की अनदेखी कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार बिना विपक्ष को शामिल किए शासन चला रही है। प्रचार-प्रसार में सरकारी धन का बेहिसाब उपयोग किया जा रहा है।
पूर्व सीएम ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की भूमिकाएं अलग हैं, लेकिन लोकतंत्र में विपक्ष की बात सुनना जरूरी है। सरकार को आलोचना को विरोध नहीं, सुधार के अवसर के रूप में देखना चाहिए।”
“वंदे मातरम् के कार्यक्रम का बीजेपीकरण किया जा रहा”
गहलोत ने राज्य सरकार पर “वंदे मातरम्” कार्यक्रम का राजनीतिक इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “वंदे मातरम् कांग्रेस की देन है। इसे पहली बार रवींद्रनाथ टैगोर ने कांग्रेस अधिवेशन में गाया था। आरएसएस या भाजपा की शाखाओं में कभी वंदे मातरम् नहीं गाया गया।”
उन्होंने कहा कि “वंदे मातरम् कार्यक्रम का बीजेपीकरण नहीं होना चाहिए। यह राष्ट्रीय गीत है, सबका है। अगर आप इसे मनाना चाहते हैं तो स्वागत है, लेकिन पूरे देश में राजनीतिक दलों, समाजसेवियों और साहित्यकारों से सुझाव लेकर कार्यक्रम तय करें। अभी तो केवल इवेंटबाजी हो रही है — पैसा सरकार खर्च कर रही है और कार्यक्रम बीजेपी के नाम से चलाए जा रहे हैं।”
“मुख्य सचिव की तरह सीएम की स्थिति न हो जाए”
मुख्य सचिव सुधांश पंत के अचानक तबादले पर टिप्पणी करते हुए गहलोत ने कहा कि यह निर्णय राजनीतिक प्रभाव में लिया गया लगता है। उन्होंने कहा, “मुख्य सचिव को दिल्ली भेज दिया गया, जो चिंता का विषय है। मुझे डर है कि कहीं यही स्थिति मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की भी न बन जाए।”
गहलोत ने यह भी कहा कि शासन व्यवस्था में स्थिरता जरूरी है, लेकिन मौजूदा सरकार जल्दबाजी और दबाव में फैसले ले रही है, जिससे प्रशासनिक अस्थिरता बढ़ सकती है।
“दिल्ली धमाके की तह तक जांच जरूरी”
दिल्ली में हालिया विस्फोट की घटना पर भी गहलोत ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि “ऐसी घटनाओं की तह तक जांच होनी चाहिए। देश में हर साल ढाई लाख और राजस्थान में करीब दस हजार लोग सड़क हादसों में मरते हैं। सरकार को ऐसी घटनाओं की मॉनिटरिंग के लिए सभी विभागों की संयुक्त समिति बनानी चाहिए।”
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका महत्वपूर्ण है। “बिना विपक्ष के लोकतंत्र अधूरा है,” उन्होंने जोड़ा।
“शेखावत के साथ मेरे अच्छे संबंध थे”
गहलोत ने कहा कि भाजपा नेता भैरोंसिंह शेखावत के साथ उनके संबंध हमेशा सम्मानजनक रहे, चाहे वे सत्ता में रहे हों या विपक्ष में। “शेखावत ने कहा था कि उनके जीते-जी कांग्रेस की सरकार नहीं आने देंगे, मैंने जवाब दिया कि भगवान उन्हें लंबी उम्र दें, लेकिन सरकार कांग्रेस की आएगी। बाद में सरकार बनी, लेकिन हमारे संबंध वैसे ही अच्छे रहे।”
उन्होंने कहा कि आज का माहौल वैसा नहीं है, भाजपा विपक्ष को इग्नोर कर रही है और संवाद खत्म हो गया है।
“अवैध कॉलोनियों पर कार्रवाई कानून के अनुसार हो”
उदयपुर सविना खेड़ा में हाल ही में हुए अतिक्रमण हटाने के अभियान पर गहलोत ने सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अगर कॉलोनी अवैध थी, तो जब लोग प्लॉट काट रहे थे, उस समय कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
उन्होंने कहा कि “बिना नोटिस निर्माण गिराना गलत है। गरीबों को लाखों का नुकसान हुआ है। अफसरों को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए। कानून के तहत नोटिस दिया जाए, जवाब मांगा जाए और फिर निर्णय लिया जाए।”
गहलोत ने कहा कि “यूपी में बुलडोजर चलाने पर लोग खुश हो जाते हैं, लेकिन जब वही बुलडोजर आपके घर आएगा तब क्या होगा? कानून सबके लिए समान होना चाहिए।”
“सरकार कार्यक्रम चला रही, फायदा बीजेपी उठा रही”
गहलोत ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार के खर्च से जो जनकल्याण कार्यक्रम चल रहे हैं, उनका राजनीतिक श्रेय भाजपा ले रही है। उन्होंने कहा कि “सरकार का पैसा जनता का है, उसे पार्टी प्रचार में नहीं लगाया जाना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि कांग्रेस विपक्ष की भूमिका निभाएगी और जनता की आवाज को सदन में मजबूती से उठाएगी।


