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गहलोत BJP और RSS पर बोले: “शाखा में वंदे मातरम नहीं गाया जाता, सरकार विपक्ष को साथ नहीं ले रही”

गहलोत BJP और RSS पर बोले: “शाखा में वंदे मातरम नहीं गाया जाता, सरकार विपक्ष को साथ नहीं ले रही”

मनीषा शर्मा। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने एक बार फिर सत्तारूढ़ भाजपा सरकार और आरएसएस पर तीखा हमला बोला है। उदयपुर सर्किट हाउस में कांग्रेस कार्यकर्ताओं और आम जनता से मुलाकात के दौरान गहलोत ने न केवल सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए, बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और वंदे मातरम गीत को लेकर भी बड़ा बयान दिया।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में पहली बार ऐसा हो रहा है जब सरकार विपक्ष को दरकिनार कर फैसले ले रही है। उन्होंने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि वह केवल अपने कार्यकर्ताओं तक सीमित है और विपक्ष की राय या भागीदारी की परवाह नहीं कर रही।

“पहली बार मुख्यमंत्री बने हैं, समझ ही नहीं आ रहा क्या कर रहे हैं”

अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा, “पहली बार विधायक बने हैं और पहली बार मुख्यमंत्री भी बन गए। भगवान ने मौका दे दिया है, पर समझ नहीं आ रहा कि सरकार क्या कर रही है। शहरी सेवा शिविर चल रहा है, लेकिन उसकी मॉनिटरिंग कौन कर रहा है, यह तक पता नहीं।”

उन्होंने कहा कि सरकार के कई कार्यक्रम सिर्फ प्रचार के लिए चलाए जा रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है। “सरकारी योजनाओं का विज्ञापनों में खूब शोर है, लेकिन असल कामकाज में पारदर्शिता नहीं दिख रही,” गहलोत ने कहा।

“विपक्ष कुछ बोले तो जांच करवा लीजिए, पर उसे नजरअंदाज न करें”

गहलोत ने कहा कि एक स्वस्थ लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका बेहद अहम होती है, लेकिन वर्तमान सरकार विपक्ष की बात सुनना ही नहीं चाहती। उन्होंने कहा, “हम विपक्ष में हैं तो अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे। अगर हम किसी बात पर सवाल उठाते हैं, तो उसकी जांच करवाना सरकार का काम है, लेकिन यहां तो सरकार विपक्ष को दरकिनार कर एकतरफा फैसले ले रही है। सरकारी धन विज्ञापनों में उड़ा रही है और जनता के सवालों का जवाब नहीं दे रही।”

गहलोत ने कहा कि भाजपा सरकार लोकतंत्र के बुनियादी सिद्धांतों को नजरअंदाज कर रही है और केवल “अपनी छवि चमकाने” पर ध्यान दे रही है।

“आरएसएस शाखा में वंदे मातरम नहीं गाया जाता”

गहलोत ने एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि आरएसएस की शाखाओं में आज तक वंदे मातरम नहीं गाया गया है। उन्होंने कहा, “वंदे मातरम से इनका संबंध क्या है? आज तक शाखा में यह गीत नहीं गाया जाता। उनका अलग गीत है। वंदे मातरम सबसे पहले कांग्रेस के अधिवेशन में गाया गया था, और रविंद्रनाथ टैगोर ने इसे पहली बार प्रस्तुत किया था। तब से कांग्रेस इस परंपरा को निभा रही है।”

उन्होंने कहा कि “देश की स्तुति में वंदे मातरम गाना गौरव की बात है। अगर आप सरकार में हैं और 150वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, तो खुशी की बात है, लेकिन इसका राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए।”

“केवल बीजेपी कार्यकर्ताओं को बुलाया जा रहा, जनता को नहीं”

अशोक गहलोत ने कहा कि सरकार अपने कार्यक्रमों में केवल भाजपा और आरएसएस कार्यकर्ताओं को बुला रही है। उन्होंने कहा, “देश में जितनी पार्टियां हैं, पत्रकार, लेखक और समाज के प्रतिष्ठित लोग हैं — उन्हें भी बुलाना चाहिए। ऐसे आयोजन तभी सार्थक होंगे जब सभी वर्गों की भागीदारी हो। लेकिन अभी यह सब केवल दिखावे के लिए किया जा रहा है।”

गहलोत ने कहा कि “सरकार की सोच संकुचित है। भाजपा और आरएसएस केवल अपने लोगों को शामिल करके राष्ट्रीय आयोजनों की गरिमा कम कर रहे हैं।”

विपक्षी भूमिका और लोकतंत्र पर गहलोत की टिप्पणी

गहलोत ने कहा कि लोकतंत्र में सत्ता और विपक्ष दोनों जरूरी हैं। अगर विपक्ष को नजरअंदाज किया जाएगा, तो लोकतंत्र कमजोर होगा। उन्होंने कहा, “सरकार को आलोचना से डरना नहीं चाहिए, बल्कि उसे सुधार के मौके के रूप में देखना चाहिए।”

उदयपुर दौरे पर गहलोत ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से संवाद करते हुए कहा कि जनता की समस्याओं को लगातार उठाना कांग्रेस की प्राथमिकता है। उन्होंने भरोसा जताया कि आने वाले समय में कांग्रेस जनता के मुद्दों पर और मजबूती से सामने आएगी।

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