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गहलोत ने सीएम को ‘भला आदमी’ कहकर दी गरिमा निभाने की नसीहत

गहलोत ने सीएम को ‘भला आदमी’ कहकर दी गरिमा निभाने की नसीहत

शोभना शर्मा। राजस्थान की राजनीति एक बार फिर चर्चा में है, जब राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने मौजूदा मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को ‘भला आदमी’ बताया, लेकिन साथ ही मुख्यमंत्री पद की गरिमा बनाए रखने की कड़ी नसीहत भी दे डाली। गहलोत सोमवार को जयपुर स्थित प्रदेश कांग्रेस कार्यालय पहुंचे थे, जहां उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ पहाड़िया की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस मौके पर पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा समेत कई वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे।

मुख्यमंत्री को बताया भला आदमी, लेकिन…

मीडिया से बातचीत करते हुए अशोक गहलोत ने कहा, “भजनलाल जी भले आदमी हैं, लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री पद की गरिमा बनाए रखनी चाहिए। यह एक बहुत गरिमामयी पद होता है, जिसकी गरिमा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।” उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से संकेत दिया कि भजनलाल शर्मा को फैसलों में अधिक सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।

सरकार के निर्णयों पर उठाए सवाल

गहलोत ने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार स्वतंत्र नहीं है और सभी निर्णय दिल्ली या आरएसएस के मुख्यालय से लिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, “सरकार और उसके मुखिया के हाथ में कुछ भी नहीं है। फैसले दिल्ली या जयपुर में स्थित आरएसएस दफ्तर में होते हैं। ट्रांसफर-पोस्टिंग से लेकर योजनाओं तक, सब कुछ वहीं से तय होता है।” गहलोत ने यह भी दावा किया कि एक हालिया ट्रांसफर लिस्ट के बाद मुख्यमंत्री को यह पूछना पड़ा कि क्या उसमें उनके बताए हुए नाम शामिल हैं या नहीं।

सीएम को खुद के दम पर खड़ा होने की सलाह

पूर्व मुख्यमंत्री ने भजनलाल शर्मा को सलाह देते हुए कहा कि वे मुख्यमंत्री पद पर बैठे हैं और उन्हें स्वयं निर्णय लेने की ताकत दिखानी चाहिए। उन्होंने कहा, “अगर सरकार खुद के फैसले नहीं ले सकती, तो यह स्थिति बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। मुख्यमंत्री को खुद के दम पर खड़ा होना चाहिए, तभी जनता का विश्वास बना रहेगा।”

केंद्र सरकार की रणनीति पर भी निशाना

शशि थरूर को लेकर गहलोत ने कहा कि वे एक अच्छे नेता हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने कांग्रेस में फूट डालने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के चार सांसदों को विभिन्न डेलीगेशन का हिस्सा बनाया गया है, लेकिन केंद्र सरकार ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा सुझाए गए नामों को दरकिनार किया। गहलोत ने इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया के विरुद्ध बताया।

उन्होंने यह भी जोड़ा, “शशि थरूर को यह जानकारी कांग्रेस हाईकमान को पहले देनी चाहिए थी। हालांकि उनकी नीयत पर कोई सवाल नहीं है, लेकिन चयन प्रक्रिया में केंद्र सरकार ने अनुचित तरीके से हस्तक्षेप किया।”

 

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