latest-newsराजस्थान

गणेश चतुर्थी 2025: गणपति स्थापना कब करें, 26 या 27 अगस्त?

गणेश चतुर्थी 2025: गणपति स्थापना कब करें, 26 या 27 अगस्त?

शोभना शर्मा।।गणेश चतुर्थी का महापर्व हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन विघ्नहर्ता गणपति बप्पा का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। उत्तर भारत से लेकर महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत तक इस त्योहार का विशेष महत्व है। घरों, पंडालों और मंदिरों में गणेश जी की भव्य प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं और 10 दिनों तक उत्सव मनाया जाता है। साल 2025 में गणेश चतुर्थी को लेकर भक्तों में विशेष उत्साह है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि गणपति बप्पा की स्थापना किस दिन की जाए—26 अगस्त को या 27 अगस्त को?

कब है गणेश चतुर्थी 2025?

ज्योतिषियों के अनुसार, वर्ष 2025 में गणेश चतुर्थी का पर्व 27 अगस्त, बुधवार को मनाया जाएगा। हालांकि पंचांगों के अनुसार चतुर्थी तिथि 26 अगस्त की रात 11:18 बजे से शुरू होकर 27 अगस्त की रात 08:05 बजे तक रहेगी। धार्मिक मान्यता यह कहती है कि पूजा हमेशा उदय तिथि के अनुसार की जानी चाहिए। ऐसे में 27 अगस्त को गणेश चतुर्थी मनाना और इसी दिन गणपति स्थापना करना सबसे शुभ माना जाएगा। कुछ लोग 26 अगस्त की देर रात को भी प्रतिमा स्थापना कर सकते हैं, लेकिन सर्वमान्य मत यही है कि मुख्य पूजन और स्थापना 27 अगस्त को ही करना चाहिए।

शुभ मुहूर्त

गणेश चतुर्थी के दिन गणपति स्थापना और पूजा के लिए शुभ मुहूर्त बेहद अहम माना जाता है। इस बार 27 अगस्त, बुधवार को पूजा का शुभ समय सुबह 11:05 बजे से दोपहर 01:45 बजे तक रहेगा। इस समय के बीच गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना करने और उनका पूजन करने से विशेष पुण्यफल प्राप्त होगा। यदि किसी कारण भक्त इस मुहूर्त में स्थापना नहीं कर पाते, तो दिनभर अन्य प्रातःकालीन या मध्यान्ह मुहूर्त में भी पूजा कर सकते हैं, लेकिन शास्त्रसम्मत परिणाम पाने के लिए यही समय श्रेष्ठ माना गया है।

प्रतिमा स्थापना की दिशा और स्थान

गणपति प्रतिमा की स्थापना केवल शुभ समय पर ही नहीं, बल्कि सही दिशा और स्थान पर भी की जानी चाहिए। वास्तु शास्त्र और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) गणपति स्थापना के लिए सबसे उत्तम मानी जाती है। यह दिशा घर की समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने वाली होती है। यदि घर या पंडाल में ईशान कोण उपलब्ध न हो, तो पूर्व दिशा में भी गणपति की प्रतिमा रखी जा सकती है। यह ध्यान रखना चाहिए कि प्रतिमा हमेशा साफ-सुथरी और पवित्र जगह पर स्थापित की जाए और उसके सामने पर्याप्त स्थान हो ताकि पूजा-अर्चना आसानी से की जा सके।

पूजा विधि और महत्व

गणेश चतुर्थी पर गणपति बप्पा की प्रतिमा स्थापित कर उन्हें मोदक, दूर्वा घास, लाल फूल, और सिंदूर चढ़ाया जाता है। गणपति जी को 21 दूर्वा और 21 मोदक अर्पित करने का विशेष महत्व बताया गया है। भक्त गणपति अथर्वशीर्ष, गणपति स्तोत्र और गणेश मंत्रों का जाप करते हैं। गणेश चतुर्थी के दिन गणपति जी का पूजन परिवार सहित करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति आती है। यह पर्व न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी बेहद खास है, क्योंकि यह सामूहिक उत्सव और भाईचारे का संदेश देता है।

10 दिनों तक चलता है उत्सव

गणेश चतुर्थी का त्योहार केवल एक दिन तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह उत्सव पूरे 10 दिनों तक चलता है। इन दिनों भक्त गणपति बप्पा की सुबह-शाम पूजा करते हैं, भजन-कीर्तन का आयोजन होता है और पूरे वातावरण में भक्ति का माहौल बना रहता है। अंतिम दिन, यानी अनंत चतुर्दशी को गणपति विसर्जन किया जाता है। इस अवसर पर ‘गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ’ के जयकारों के साथ प्रतिमाओं का विसर्जन होता है। विसर्जन का दिन भी भक्तों के लिए बेहद भावनात्मक होता है, क्योंकि वे अपने प्रिय बप्पा को विदा करते हैं।

post bottom ad

Discover more from MTTV INDIA

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading