शोभना शर्मा। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने रविवार को कहा कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे पहले से तय हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए गठबंधन एक बार फिर प्रचंड बहुमत से सत्ता में वापसी करेगा। जयपुर स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत के दौरान शेखावत ने कहा कि बिहार की जनता आज भी विकास, स्थिरता और सुशासन के पक्ष में खड़ी है। उन्होंने कहा, “यह चुनाव नतीजों से पहले ही स्पष्ट था कि जनता मोदी जी और नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में एनडीए को दोबारा सत्ता सौंपेगी। बिहार की जनता माफिया राज और गुंडा राज के दौर को भुलाना नहीं चाहती। वह स्थायी विकास चाहती है, जो एनडीए ही दे सकता है।”
विपक्ष पर तीखा प्रहार: “महागठबंधन अव्यवस्थित और कमजोर”
शेखावत ने विपक्षी महागठबंधन पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि विपक्ष की हालत ऐसी है कि उसके घटक दल खुद उसे गंभीरता से नहीं लेते। “जहां सीट बंटवारे को लेकर सिरफुटव्वल मची हो, टिकट वितरण पर विरोध के नारे लग रहे हों, और एक ही गठबंधन के उम्मीदवार एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हों — वहां जनता का विश्वास कैसे बनेगा?” उन्होंने कहा कि महागठबंधन का संगठनात्मक ढांचा पूरी तरह से अव्यवस्थित है और उसके नेताओं में सामंजस्य का अभाव है। “कांग्रेस और राजद के नेता जनता को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन जनता सब समझती है। उनके पटना पहुंचते ही लोग ‘टिकट चोर वापस जाओ’ के नारे लगाने लगते हैं। ऐसे दल के वादों का न जनता में वजन है और न ही राजनीतिक असर।”
“नीतीश जी का अनुभव बिहार की ताकत है”
शेखावत ने तेजस्वी यादव के हालिया बयान पर भी प्रतिक्रिया दी, जिसमें तेजस्वी ने कहा था कि “नीतीश कुमार बुजुर्ग हो चुके हैं और बीजेपी ने उन्हें हाईजैक कर लिया है।” इस पर शेखावत ने कहा कि यह टिप्पणी न केवल हास्यास्पद है बल्कि बिहार के अनुभव और नेतृत्व का अपमान भी है। उन्होंने कहा कि “नीतीश कुमार का अनुभव ही बिहार की असली ताकत है। उन्होंने एनडीए के सहयोग से बिहार में सुशासन और विकास का नया अध्याय लिखा है। तेजस्वी यादव की राजनीति अभी अपरिपक्व है, और जनता उन्हें गंभीरता से नहीं लेती। बिहार के मतदाता भावनाओं से नहीं, काम और परिणामों से प्रभावित होते हैं।”
गहलोत पर निशाना: “राजस्थान का जादू बिहार में नहीं चलेगा”
केंद्रीय मंत्री ने कांग्रेस नेता अशोक गहलोत पर भी व्यंग्य करते हुए कहा कि उनका “राजनीतिक जादू” अब कहीं नहीं चल रहा। शेखावत ने कहा, “राजस्थान के जादूगर पहले गुजरात गए थे, वहां उनका जादू नहीं चला। अब बिहार जा रहे हैं, लेकिन नतीजे वही रहेंगे। गहलोत जी तीन बार मुख्यमंत्री बने, लेकिन हर बार किसी और की रणनीति का इस्तेमाल करके। उन्हें बस इतना जादू आता है कि चुनाव के बाद जो चेहरा सामने होता है, उसे हटाकर खुद मुख्यमंत्री बन जाते हैं। लेकिन बिहार में ऐसा कोई मौका नहीं मिलेगा।” उन्होंने कहा कि कांग्रेस अब चुनावों में केवल प्रतीकात्मक उपस्थिति दर्ज कराती है, वास्तविक मुद्दों से उसका कोई संबंध नहीं रहा।
“जनता विकास चाहती है, वादे नहीं”
शेखावत ने कहा कि बिहार की जनता पिछले 15 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जोड़ी से परिचित है। इस जोड़ी ने बिहार को सड़क, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में नई दिशा दी है। उन्होंने कहा कि “जनता अब झूठे वादों के बजाय वास्तविक विकास चाहती है। यही कारण है कि बिहार में एनडीए के प्रति भरोसा लगातार मजबूत हुआ है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि “महागठबंधन केवल जातिगत समीकरणों और तुष्टिकरण की राजनीति पर टिका है। जबकि एनडीए का फोकस विकास, पारदर्शिता और जनकल्याण पर है। यह अंतर जनता भलीभांति समझती है।”
“बिहार का भविष्य स्थिर नेतृत्व में सुरक्षित”
शेखावत ने कहा कि बिहार ने लंबे समय तक अस्थिरता और अपराध का दौर देखा है। अब जनता ऐसे दौर में लौटना नहीं चाहती। उन्होंने कहा कि “एनडीए की सरकार ने बिहार को विकास की पटरी पर लाया है। अब उद्योग, शिक्षा और रोजगार के अवसरों में निरंतर वृद्धि हो रही है। यह यात्रा रुकनी नहीं चाहिए, बल्कि और गति पकड़नी चाहिए।” उन्होंने दावा किया कि बिहार में एनडीए की जीत केवल राजनीतिक विजय नहीं बल्कि जनता के भरोसे की पुनः पुष्टि होगी।
राजनीतिक संदेश और राष्ट्रीय प्रभाव
गजेंद्र सिंह शेखावत के बयान को केवल बिहार तक सीमित नहीं माना जा रहा। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, उनका यह वक्तव्य 2025 के विधानसभा चुनावों के साथ-साथ आने वाले लोकसभा चुनावों की रणनीति का भी हिस्सा है। बीजेपी राष्ट्रीय स्तर पर यह संदेश देना चाहती है कि मोदी नेतृत्व में एनडीए आज भी जनता के विश्वास का प्रतीक है।
राजनीतिक पर्यवेक्षक मानते हैं कि बिहार का यह चुनाव एनडीए की एकजुटता और विपक्ष की बिखरी स्थिति के बीच साफ तुलना प्रस्तुत करेगा। वहीं, गहलोत जैसे वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं की सक्रियता यह दिखाने की कोशिश है कि पार्टी अभी भी मैदान में है, लेकिन हालात उनके पक्ष में नहीं हैं।
गजेंद्र सिंह शेखावत के बयान ने बिहार की सियासत में नई हलचल पैदा कर दी है। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि बिहार में जनता की पसंद विकास, स्थिरता और सुशासन है — न कि जातिगत समीकरण या वादों की राजनीति।


