शोभना शर्मा। राजस्थान में सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के तहत एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। इस योजना के अंतर्गत कई लोग फर्जी दस्तावेजों का उपयोग कर हर महीने 2500 रुपए की पेंशन प्राप्त कर रहे हैं। यह फर्जीवाड़ा ई-मित्र संचालकों, पंचायत समिति और तहसील कर्मियों की मिलीभगत से किया जा रहा है, जहां योग्य नहीं होने के बावजूद लोग कुष्ठ रोग मुक्त की श्रेणी में पेंशन उठा रहे हैं।
फर्जीवाड़ा कैसे हुआ सामने?
जांच में पता चला कि नागौर जिले के कई गांवों में यह फर्जीवाड़ा बड़े पैमाने पर चल रहा है। नागौर के CMHO राकेश कुमावत ने एक-एक गांव से कुष्ठ रोग मुक्त पेशेंट की लिस्ट जारी की। जांच में पाया गया कि जिस रियां बड़ी ब्लॉक में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक महज तीन कुष्ठ रोग मुक्त लोग थे, वहां सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अनुसार 204 लोग पेंशन उठा रहे थे। यह फर्जीवाड़ा तब और गंभीर हो गया जब सैंसड़ा गांव में चिकित्सा विभाग की लिस्ट के अनुसार कोई कुष्ठ रोग मुक्त पेशेंट नहीं पाया गया, जबकि पेंशन योजना के अंतर्गत 8 लोगों को 2500 रुपए प्रति माह की पेंशन मिल रही थी।
फर्जी लाभार्थियों के बयान
जांच के दौरान सैंसड़ा गांव के कई लोगों से बात की गई, जो कुष्ठ रोग मुक्त कैटेगरी में पेंशन उठा रहे थे। पहली लाभार्थी महिला बतूल बानो ने बताया कि उन्हें कभी कुष्ठ रोग नहीं हुआ था, फिर भी उन्हें इस श्रेणी में पेंशन दी जा रही थी। सत्यनारायण नामक एक अन्य लाभार्थी ने भी कहा कि उन्हें कभी कोई गंभीर बीमारी नहीं हुई, फिर भी वे हर महीने पेंशन प्राप्त कर रहे हैं। फिरोज नाम के एक तीसरे लाभार्थी ने भी स्वीकार किया कि उन्हें कभी कुष्ठ रोग नहीं हुआ, बावजूद इसके वे 2013 से पेंशन ले रहे हैं।
पात्र व्यक्ति को नहीं मिली पेंशन
जहां एक ओर कई लोग फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पेंशन उठा रहे हैं, वहीं कुछ वास्तविक कुष्ठ रोग मुक्त लोग पेंशन से वंचित हैं। पादूकला गांव में एक व्यक्ति ने बताया कि उन्होंने कुष्ठ रोग का सफल इलाज करवाया, फिर भी उन्हें पेंशन नहीं मिल रही है क्योंकि उन्हें इस योजना की जानकारी नहीं थी।
फर्जीवाड़ा कैसे होता है?
इस घोटाले में ई-मित्र संचालकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। वे फर्जी दस्तावेजों को जनाधार पोर्टल पर अपलोड करते हैं, जिससे व्यक्ति को कुष्ठ रोग मुक्त कैटेगरी में शामिल कर दिया जाता है। इसके बाद पंचायत समिति विकास अधिकारी इन फर्जी दस्तावेजों को अप्रूव कर देते हैं, जिससे पेंशन के लिए आवेदन स्वीकृत हो जाता है और ऑनलाइन सिस्टम से PPO ऑर्डर जारी हो जाता है।
फर्जीवाड़े की जांच में ढिलाई क्यों?
फर्जीवाड़े का प्रमुख कारण चिकित्सा विभाग और सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग के बीच समन्वय की कमी है। चिकित्सा विभाग का डेटा ऑनलाइन उपलब्ध नहीं है, और पेंशन देने वाले विभाग का कोई प्रॉपर वेरिफिकेशन सिस्टम नहीं है। इसके कारण फर्जी लाभार्थी पेंशन प्राप्त कर रहे हैं। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के डिप्टी डायरेक्टर पेंशन पूरण सिंह ने बताया कि राज्य में वर्तमान में 11,851 कुष्ठ रोग मुक्त पेंशनर्स हैं, जिन्हें हर महीने कुल 2 करोड़ 96 लाख 27 हजार 500 रुपए की पेंशन दी जा रही है। उन्होंने कहा कि जो लोग फर्जी तरीके से पेंशन ले रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
राजस्थान में सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के तहत कई फर्जी लाभार्थी सरकारी पेंशन का लाभ उठा रहे हैं, जबकि कई पात्र व्यक्ति इससे वंचित हैं। इस फर्जीवाड़े के पीछे ई-मित्र संचालकों और पंचायत समिति के कर्मियों की मिलीभगत है। इसे रोकने के लिए चिकित्सा विभाग और सामाजिक न्याय विभाग के डेटा का समन्वय और सही वेरिफिकेशन की आवश्यकता है।