शोभना शर्मा। जयपुर में 2008 में हुए सीरियल बम ब्लास्ट के बाद मिले जिंदा बम मामले में विशेष अदालत ने चार आरोपियों को दोषी करार दिया है। अदालत ने यह फैसला 4 अप्रैल को सुनाया और अब 8 अप्रैल को इन दोषियों को सजा सुनाई जाएगी। इस केस को लेकर लंबे समय से कानूनी कार्यवाही चल रही थी और अब न्यायिक प्रक्रिया ने एक नया मोड़ ले लिया है।
क्या है मामला?
13 मई 2008 को राजस्थान की राजधानी जयपुर में एक के बाद एक कुल आठ बम धमाके हुए थे। इन धमाकों में कई निर्दोष नागरिकों की मौत हुई और सैकड़ों लोग घायल हुए। घटना के बाद पूरे शहर में दहशत फैल गई थी। इसी दौरान चांदपोल इलाके के रामचंद्र मंदिर के पास एक और जिंदा बम बरामद हुआ था, जिसे बाद में बम निरोधक दस्ते ने निष्क्रिय किया। जिंदा बम की बरामदगी के बाद जांच एजेंसियों ने चार लोगों को आरोपी बनाकर उनके खिलाफ मामला दर्ज किया था। इन चारों पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर केस विशेष अदालत को सौंपा गया।
चार आरोपी दोषी करार
विशेष अदालत ने इस मामले में सैफुर्रहमान, मोहम्मद सैफ, सरवर आजमी और शाहबाज हुसैन को दोषी करार दिया है। चारों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी (षड्यंत्र), 121-ए (राज्य के विरुद्ध युद्ध छेड़ने की साजिश), 124-ए (देशद्रोह), 153-ए (धार्मिक भावनाएं भड़काना), 307 (हत्या का प्रयास), अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट 1967 की धारा 18, और विस्फोटक अधिनियम 1908 की धारा 4 और 5 के तहत आरोप सिद्ध हुए हैं।
कोर्ट में पेश हुए आरोपी
सुनवाई के दिन सभी चारों आरोपी विशेष सुरक्षा के बीच कोर्ट में पेश किए गए। आरोपी मोहम्मद सैफ और सैफुर्रहमान को पुलिस अभिरक्षा में लाया गया, जबकि सरवर आजमी और शाहबाज हुसैन, जो फिलहाल जमानत पर थे, स्वयं कोर्ट पहुंचे। दोषी करार दिए जाने के तुरंत बाद कोर्ट ने शाहबाज और सरवर को भी हिरासत में ले लिया। कोर्ट से बाहर आते समय आरोपियों की हंसी और बेशर्मी ने सबका ध्यान खींचा। यह तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल भी हुईं और पीड़ितों के परिवारों में आक्रोश व्याप्त हो गया।
अभियोजन और बचाव पक्ष की दलीलें
अभियोजन पक्ष ने कोर्ट में 112 गवाहों के बयान दर्ज कराए और लगभग 1200 दस्तावेजों को सबूत के तौर पर प्रस्तुत किया। वहीं बचाव पक्ष ने कोई भी गवाह पेश नहीं किया, लेकिन 122 दस्तावेज कोर्ट के समक्ष रखे। बचाव पक्ष की दलील थी कि इस केस के तथ्य और पहले के बम ब्लास्ट केस जैसे ही हैं, और इसी आधार पर हाईकोर्ट इन आरोपियों को पहले बरी कर चुका है।
बचाव पक्ष ने यह भी कहा कि किसी भी आरोपी की चांदपोल गेट पर मौजूदगी साबित नहीं हो सकी और न ही यह पता चल सका कि साइकिल किसने रखी थी, जिसमें बम लगा था। इसके बावजूद अदालत ने अभियोजन के तथ्यों को पर्याप्त मानते हुए चारों को दोषी माना।
पहले भी हो चुका है बड़ा फैसला
20 दिसंबर 2019 को विशेष अदालत ने जयपुर बम ब्लास्ट केस में सैफुर्रहमान, मोहम्मद सैफ और सरवर आजमी को फांसी की सजा सुनाई थी, जबकि शाहबाज अहमद को बरी किया गया था। लेकिन 29 मार्च 2023 को राजस्थान हाईकोर्ट ने इस फैसले को पलटते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। इसके बाद पीड़ित पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में SLP दाखिल की थी।
अगली सुनवाई: 8 अप्रैल
चारों आरोपियों को दोषी करार दिए जाने के बाद अब अदालत 8 अप्रैल को सजा पर बहस करेगी और उसके बाद अंतिम सजा सुनाई जाएगी। यह निर्णय पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए बेहद अहम है, जो पिछले 16 वर्षों से न्याय की उम्मीद में थे।