latest-newsअजमेरराजस्थान

आनासागर झील में मछलियों की मौत से फैली दुर्गंध

आनासागर झील में मछलियों की मौत से फैली दुर्गंध

शोभना शर्मा। अजमेर की ऐतिहासिक आनासागर झील में इन दिनों मछलियों की बड़े पैमाने पर मौत हो रही है। गर्मी बढ़ने और झील में ऑक्सीजन की कमी के कारण झील के किनारे मृत मछलियों का ढेर लग गया है। इन मरी हुई मछलियों से उत्पन्न दुर्गंध से आसपास के निवासियों, राहगीरों और पर्यटकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। झील में पानी की सतह पर बहती इन मछलियों की दुर्गंध ऐसी है कि वहां से गुजरना भी दूभर हो गया है।

स्थानीय प्रशासन द्वारा नगर निगम की ओर से मृत मछलियों को हटाने की कार्रवाई की जा रही है, लेकिन यह केवल अस्थायी समाधान साबित हो रहा है। झील में मूल समस्या – ऑक्सीजन की कमी और वाटर एरिएटर की निष्क्रियता – अब तक जस की तस बनी हुई है।

झील में बढ़ती गर्मी और ऑक्सीजन की कमी बनी मौत की वजह

विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है, झील का जलस्तर घटता जा रहा है। इसके साथ ही पानी में घुली ऑक्सीजन की मात्रा भी कम हो रही है, जिससे मछलियों के लिए जीवित रहना मुश्किल होता जा रहा है। झील के पानी में मौजूद जलकुंभी और काई की परत भी इस संकट को बढ़ा रही है, क्योंकि यह सतह को ढक देती है और ऑक्सीजन के प्रवाह को बाधित करती है।

गर्मी में पानी के वाष्पीकरण के कारण झील में काई तेजी से जमने लगती है। यह काई मछलियों के लिए सांस लेना और भी कठिन बना देती है। यही कारण है कि प्रतिदिन 30 से 40 मछलियां किनारे पर मृत अवस्था में बहकर आ रही हैं।

मछली पालन पर भी पड़ी असर की मार

झील में पहले मत्स्य विभाग द्वारा मछली पालन का ठेका दिया जाता था, जिससे झील की पारिस्थितिकी में संतुलन बना रहता था। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से झील में जलकुंभी की भरमार और प्रदूषण की समस्या के चलते नगर निगम ने इस ठेके पर आपत्ति जताई। परिणामस्वरूप मत्स्य विभाग ने इस वर्ष मछली पालन का ठेका जारी नहीं किया। हालांकि पहले डाले गए मछली के अंडे अब मछलियों में परिवर्तित हो चुके हैं, जो अब गर्मी और ऑक्सीजन की कमी से प्रभावित हो रही हैं।

विफल हो रही हैं ऑक्सीजन बढ़ाने की कोशिशें

आनासागर झील में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाने के लिए वाटर एरिएटर लगाए गए थे। ये उपकरण पानी में ऑक्सीजन की मात्रा बनाए रखने में मदद करते हैं। लेकिन वर्तमान में ये एरिएटर काम नहीं कर रहे हैं। प्रशासन का दावा है कि उन्हें जल्द ही ठीक करवाकर दोबारा झील में लगाया जाएगा, लेकिन फिलहाल झील में ऑक्सीजन का स्तर खतरनाक रूप से गिरा हुआ है।

इसके अलावा, झील के पानी को साफ करने और उसकी गुणवत्ता बनाए रखने के लिए चूना पाउडर भी डाला जा रहा है। फिर भी, बढ़ती गर्मी के कारण ये उपाय प्रभावी नहीं साबित हो रहे हैं। इससे यह स्पष्ट है कि केवल सतही प्रयासों से समस्या का समाधान संभव नहीं है।

स्थानीय लोग और पर्यटक हो रहे हैं परेशान

मृत मछलियों की गंध इतनी तीव्र हो गई है कि झील के आस-पास रहने वाले लोग खिड़कियां तक बंद रखने को मजबूर हो गए हैं। वहीं, पर्यटक जो आनासागर झील की सुंदरता का आनंद लेने आते हैं, वे नाक पर रूमाल रखकर झील के किनारे से गुजरते हैं। इससे अजमेर की पर्यटन छवि पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है।

स्थानीय लोगों का आरोप है कि नगर निगम और प्रशासन समय रहते इस समस्या पर ध्यान नहीं देता। हर साल गर्मियों में यह संकट गहराता है, लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं ढूंढा जाता।

क्या है समाधान?

विशेषज्ञों का मानना है कि झील की सफाई और ऑक्सीजन लेवल बनाए रखने के लिए दीर्घकालिक योजना की जरूरत है। वाटर एरिएटर की नियमित मरम्मत, जलकुंभी की सफाई, और मछली पालन को फिर से व्यवस्थित करना आवश्यक है। साथ ही, झील के आसपास के इलाकों में कचरा निस्तारण की बेहतर व्यवस्था भी जरूरी है।

post bottom ad

Discover more from MTTV INDIA

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading