शोभना शर्मा। राजस्थान की राजनीति और सुरक्षा व्यवस्था उस समय चौंक गई जब पूर्व मंत्री शाले मोहम्मद के निजी सहायक (पीए) शकूर खान को सुरक्षा एजेंसियों ने जैसलमेर से हिरासत में लिया। आरोप है कि शकूर खान विभाग को बिना सूचना दिए पाकिस्तान गया था। इस पर गंभीर संदेह जताया जा रहा है कि उसकी यह यात्रा केवल व्यक्तिगत नहीं थी, बल्कि इसके पीछे किसी गहरी साजिश की आशंका जताई जा रही है। शकूर खान की गिरफ्तारी के बाद पूरे मामले की जांच में कई सुरक्षा एजेंसियां सक्रिय हो गई हैं। इस प्रकरण ने राजस्थान की राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्था में हलचल पैदा कर दी है।
पाकिस्तान यात्रा की सूचना नहीं दी विभाग को
शकूर खान जैसलमेर के बड़ोड़ा गांव स्थित मंगलियों की ढाणी का निवासी है और वह पूर्व मंत्री शाले मोहम्मद का निजी सहायक रह चुका है। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार वह विभाग को बिना सूचना दिए पाकिस्तान चला गया था। एक सरकारी कर्मचारी का बिना अनुमति विदेश यात्रा करना न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि जब वह संवेदनशील सीमा क्षेत्र से जुड़ा हो तो यह मामला और भी गंभीर हो जाता है। सुरक्षा एजेंसियों को जब इस संदिग्ध यात्रा की जानकारी मिली, तो उन्होंने तुरंत सक्रिय होकर उसे जैसलमेर से हिरासत में ले लिया। इस घटना ने देश की आंतरिक सुरक्षा के प्रति गहरी चिंता पैदा कर दी है।
गजेंद्र सिंह शेखावत ने दिया कड़ा बयान
गुरुवार को केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने उदयपुर में मीडिया से बात करते हुए इस मामले पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “यह मामला बेहद गंभीर है। मुझे जानकारी मिली है कि पूर्व मंत्री के पीए को जासूसी के आरोप में हिरासत में लिया गया है। यह न केवल राज्य बल्कि देश की सुरक्षा से जुड़ा मामला है और इसकी गहन जांच होनी चाहिए। इसमें जो भी दोषी पाया जाएगा, उसे सख्त सजा मिलनी चाहिए।” शेखावत के इस बयान ने इस मामले को केवल प्रशासनिक नहीं बल्कि राजनीतिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के परिप्रेक्ष्य में और महत्वपूर्ण बना दिया है।
संयुक्त जांच समिति कर रही है पूछताछ
शकूर खान से संयुक्त जांच समिति (Joint Interrogation Committee – JIC) द्वारा लगातार पूछताछ की जा रही है। इस समिति में विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। सूत्रों की मानें तो पूछताछ में कुछ ऐसे सुराग मिले हैं जो आने वाले दिनों में और बड़े खुलासों की ओर इशारा कर सकते हैं।
खुफिया एजेंसियों का मानना है कि यह मामला केवल एक कर्मचारी की विदेश यात्रा तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे संबंधित कई कड़ियों का खुलासा अभी बाकी है। शकूर के पाकिस्तान यात्रा के पीछे किसका समर्थन था, किससे संपर्क हुआ, और क्या सूचना का आदान-प्रदान हुआ—इन सवालों के जवाब खोजे जा रहे हैं।
जैसलमेर की संवेदनशीलता से जुड़ा मामला
भारत-पाक सीमा से सटा जैसलमेर क्षेत्र पहले से ही सुरक्षा एजेंसियों के लिए संवेदनशील रहा है। यहां छोटी सी भी संदिग्ध गतिविधि पर तुरंत कार्रवाई होती है। ऐसे में एक पूर्व मंत्री का पीए, जो संवेदनशील सूचनाओं तक पहुंच रखता है, यदि चुपचाप पाकिस्तान चला जाए तो यह बेहद चिंताजनक है।