latest-newsराजस्थान

राजस्थान में अंतरजातीय विवाह योजना में फर्जीवाड़ा आ रहा है सामने

राजस्थान में अंतरजातीय विवाह योजना में फर्जीवाड़ा आ रहा है सामने

शोभना शर्मा । राजस्थान सरकार की डॉ. सविता बेन अंबेडकर अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना को लेकर बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े के मामले सामने आ रहे हैं। यह योजना अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा देने के लिए चलाई जा रही है, जिसके तहत योग्य जोड़ों को 10 लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है। इसमें से 5 लाख रुपये संयुक्त खाते में दिए जाते हैं और शेष 5 लाख रुपये आठ वर्षों के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट किए जाते हैं। योजना का 75% वित्त राज्य सरकार जबकि 25% केंद्र सरकार वहन करती है। लेकिन इस योजना का लाभ उठाने के लिए अब नियमों की अनदेखी और फर्जी दस्तावेजों के जरिए गलत लाभ उठाने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग को एक अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025 तक कुल 1295 आवेदन प्राप्त हुए। इनमें से करीब 30 फीसदी (29.88%) यानी 387 आवेदन अस्वीकार कर दिए गए। अस्वीकृति का मुख्य कारण दस्तावेजों में गड़बड़ी, जन्म तिथि की गलत जानकारी, संपत्ति की अधिकता और वर-वधु का राज्य निवासी न होना रहा। कई मामलों में यह भी पाया गया कि कपल्स पहले से लिव-इन में रह रहे थे और उनके बच्चे भी हैं, लेकिन आवेदन करते समय बच्चों की जानकारी छिपा ली गई।

कोटा जिले का एक मामला विशेष रूप से चौंकाने वाला रहा, जहां एक दंपति ने अपने दो वर्षीय बच्चे की जानकारी आवेदन पत्र में नहीं दी। जांच में यह भी सामने आया कि कुछ कपल्स के पास दो-दो विवाह प्रमाणपत्र थे, जिससे यह संकेत मिलता है कि एक ही शादी को दो अलग-अलग समयों में दिखाकर लाभ उठाने का प्रयास किया गया। इसके अलावा, कुछ लोगों ने उत्तर प्रदेश, बिहार या अन्य राज्यों के नागरिकों से विवाह कर राजस्थान निवासी होने का झूठा प्रमाण प्रस्तुत कर आवेदन किया।

हालांकि विभाग ने सैकड़ों आवेदनों को खारिज किया है, लेकिन अब तक किसी भी फर्जीवाड़ा करने वाले आवेदनकर्ता के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई है। अधिकारियों का कहना है कि योजना का उद्देश्य सामाजिक समरसता को बढ़ावा देना है और जिनके दस्तावेज पूरे होते हैं, उन्हें ही लाभ मिलता है। लेकिन यह भी स्वीकार किया गया कि यदि गलत जानकारी के आधार पर आवेदन किए जाते हैं और उन पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं होती, तो ऐसे मामलों की संख्या लगातार बढ़ सकती है।

यह भी सामने आया है कि कई आवेदक योजना के नियमों को नजरअंदाज करते हुए अपात्र होते हुए भी आवेदन करते हैं। जबकि नियम स्पष्ट रूप से कहते हैं कि दोनों वर-वधु राजस्थान के निवासी होने चाहिए, विवाह प्रमाण पत्र में कोई विसंगति नहीं होनी चाहिए और किसी भी प्रकार की जानकारी छुपाना नियमों का उल्लंघन है।

विभागीय अधिकारियों का मानना है कि यह एक प्रोत्साहन योजना है, और इसका लाभ केवल उन्हीं को मिलना चाहिए जो इसके योग्य हैं। लेकिन जब तक ऐसे फर्जीवाड़े के मामलों पर कार्रवाई नहीं की जाती, तब तक इस योजना की पारदर्शिता और प्रभावशीलता पर सवाल खड़े होते रहेंगे।

राज्य सरकार को अब इस योजना की प्रक्रिया में और अधिक निगरानी, सत्यापन और कानूनी कठोरता लाने की आवश्यकता है, जिससे यह सुनिश्चत किया जा सके कि सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने वाली यह पहल वास्तव में उन लोगों तक पहुंचे जो इसके असली हकदार हैं।

post bottom ad

Discover more from MTTV INDIA

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading