मनीषा शर्मा।
राजस्थान सरकार ने एक आदेश जारी कर 8 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारियों को जबरदस्ती रिटायर करने का फैसला किया है। यह आदेश उन कर्मचारियों पर लागू होगा जो काम नहीं करते, अक्षम हैं, या जिनका प्रदर्शन खराब है।
यह आदेश कई सवाल खड़े करता है, जैसे:
कौन तय करेगा कि कौन सा कर्मचारी कामचोर है?
क्या इस आदेश का इस्तेमाल भ्रष्ट कर्मचारियों को बचाने के लिए किया जाएगा?
क्या यह आदेश कर्मचारियों के अधिकारों का उल्लंघन करता है?
आइए इन सवालों का जवाब एक-एक करके देते हैं:
1. कौन तय करेगा कि कौन सा कर्मचारी कामचोर है?
सरकार ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि कौन तय करेगा कि कौन सा कर्मचारी कामचोर है। कुछ लोगों का मानना है कि यह विभागाध्यक्षों पर निर्भर करेगा, जबकि अन्य का मानना है कि इसके लिए एक विशेष समिति का गठन किया जाएगा।
2. क्या इस आदेश का इस्तेमाल भ्रष्ट कर्मचारियों को बचाने के लिए किया जाएगा?
यह एक चिंता का विषय है कि इस आदेश का इस्तेमाल भ्रष्ट कर्मचारियों को बचाने के लिए किया जा सकता है। भ्रष्टाचार के मामलों में आरोपी कर्मचारियों को अक्सर निलंबित कर दिया जाता है, लेकिन उन्हें बर्खास्त नहीं किया जाता है। यह संभव है कि सरकार इस आदेश का इस्तेमाल इन कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देकर बचाने के लिए कर सकती है।
3. क्या यह आदेश कर्मचारियों के अधिकारों का उल्लंघन करता है?
कुछ कर्मचारी संगठनों का मानना है कि यह आदेश कर्मचारियों के अधिकारों का उल्लंघन करता है। उनका तर्क है कि कर्मचारियों को उचित प्रक्रिया के बिना बर्खास्त नहीं किया जा सकता है।
राजस्थान सरकार का यह आदेश विवादास्पद है। यह देखा जाना बाकी है कि इस आदेश को कैसे लागू किया जाएगा और इसका कर्मचारियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।