शोभना शर्मा। राजस्थान में मेडिकल साइंस के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल हुई है। पहली बार राज्य में लंग्स (फेफड़ों) का सफल ट्रांसप्लांट हुआ। यह ऑपरेशन जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल में हुआ, जहां 23 वर्षीय युवती को नया जीवन मिला। इस पूरी प्रक्रिया में हेलिकॉप्टर का उपयोग करते हुए ऑर्गन ट्रांसपोर्ट किया गया। उत्तर भारत में इस तरह का पहला मामला है, जिसमें एक ही मरीज के लिए हार्ट और लंग्स का “कॉम्बो ट्रांसप्लांट” किया गया हो।
डोनर विष्णु: ऑर्गन डोनेशन से चार लोगों को मिला नया जीवन
झालावाड़ के 33 वर्षीय युवक विष्णु, जो 10 दिसंबर को सिर में चोट के कारण एसआरजी हॉस्पिटल में भर्ती थे, ब्रेनडेड घोषित कर दिए गए थे। उनके परिजनों ने मानवता की मिसाल पेश करते हुए अंगदान की सहमति दी। विष्णु के हार्ट, लंग्स, किडनी, लिवर और कॉर्निया डोनेट किए गए। उनके ऑर्गन चार लोगों को नई जिंदगी देने में कामयाब हुए।
हेलिकॉप्टर से ऑर्गन ट्रांसपोर्ट का प्रयोग
इस महत्वपूर्ण मेडिकल प्रक्रिया में समय की अहमियत को देखते हुए विष्णु के हार्ट और लंग्स को हेलिकॉप्टर के जरिए तीन घंटे में जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल पहुंचाया गया। वहीं, उनकी किडनी और लिवर को जोधपुर के एम्स भेजा गया, जहां दो अन्य मरीजों को ट्रांसप्लांट किया गया। यह राजस्थान में पहली बार था जब ऑर्गन ट्रांसपोर्ट के लिए हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल किया गया।
लंग्स ट्रांसप्लांट: एसएमएस हॉस्पिटल में इतिहास रचा गया
एसएमएस हॉस्पिटल की सीटीवीएस (कार्डियोथोरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी) टीम ने लंग्स ट्रांसप्लांट को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। ऑपरेशन टीम के हेड डॉ. राजकुमार यादव ने बताया कि यह उत्तर भारत में पहला ऐसा मामला है जहां लंग्स ट्रांसप्लांट किया गया। उन्होंने कहा कि मरीज के हर अंग के मूवमेंट और पैरामीटर का बारीकी से निरीक्षण किया जा रहा है। मरीज को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया है और उसकी हालत स्थिर बनी हुई है।
मरीज की हालत पर नजर
डॉ. यादव ने बताया कि मरीज के हार्ट और लंग्स काम कर रहे हैं, लेकिन एहतियात के तौर पर उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया है। मरीज के यूरिन आउटपुट, ब्लड प्रेशर और ऑक्सीजन लेवल का लगातार परीक्षण किया जा रहा है। वेंटिलेटर सपोर्ट तभी हटाया जाएगा जब डॉक्टर पूरी तरह आश्वस्त होंगे कि सभी अंग सामान्य रूप से काम कर रहे हैं।
जोधपुर में बिजनेसमैन को नई जिंदगी मिली
विष्णु की किडनी और लिवर जोधपुर एम्स में एडमिट 33 वर्षीय बिजनेसमैन को ट्रांसप्लांट किए गए। मरीज लंबे समय से किडनी और लिवर की समस्याओं से जूझ रहा था। अहमदाबाद और जयपुर में इलाज के बाद डॉक्टरों ने डायलिसिस की सलाह दी थी। इसके बाद जोधपुर एम्स में ट्रांसप्लांट का निर्णय लिया गया। रविवार रात 2 बजे ट्रांसप्लांट प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी हुई।
ऑर्गन ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया और चुनौतियां
ऑर्गन ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया में हर मिनट कीमती होता है। विष्णु के ब्रेनडेड घोषित होने के बाद उनकी परिजनों से सहमति ली गई। उनके ऑर्गन को मेडिकल टीम ने तुरंत निकालकर अलग-अलग हॉस्पिटलों में भेजा। हेलिकॉप्टर का उपयोग करने का निर्णय यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया कि ऑर्गन जल्दी और सुरक्षित रूप से ट्रांसप्लांट सेंटर तक पहुंच सकें।
ऑपरेशन की चुनौतीपूर्ण तैयारी
डॉ. यादव ने बताया कि इस तरह के ऑपरेशन के लिए विशेष अनुभव और तैयारी की आवश्यकता होती है। मरीज के शरीर को पंप सपोर्ट पर रखा गया ताकि हार्ट और लंग्स का कामकाज सुचारू रूप से जारी रहे। यह सुनिश्चित किया गया कि हर पैरामीटर पर गहराई से नजर रखी जाए।
डोनर के परिवार की सराहना
डोनर विष्णु के परिवार ने अपने दुःख को दरकिनार करते हुए अंगदान की सहमति देकर चार लोगों को नया जीवन दिया। यह कदम न केवल उनके बेटे की स्मृति को अमर बनाता है, बल्कि समाज के लिए भी प्रेरणादायक है।
राजस्थान में अंगदान और ट्रांसप्लांट का बढ़ता महत्व
राजस्थान में अंगदान और ट्रांसप्लांटेशन का यह कदम अन्य राज्यों के लिए मिसाल है। जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल और जोधपुर एम्स ने मिलकर यह साबित किया कि राज्य में मेडिकल साइंस का स्तर लगातार बढ़ रहा है।
दक्षिण भारत का मॉडल और उत्तर भारत की उपलब्धि
अब तक लंग्स ट्रांसप्लांट ज्यादातर दक्षिण भारत के बड़े अस्पतालों में ही होते थे, खासतौर पर चेन्नई में। लेकिन राजस्थान में हुए इस सफल लंग्स ट्रांसप्लांट ने उत्तर भारत के लिए एक नई दिशा तय की है।
भविष्य की संभावनाएं
यह ऐतिहासिक उपलब्धि राजस्थान में ऑर्गन ट्रांसप्लांट की संभावनाओं को मजबूत करती है। हेलिकॉप्टर का उपयोग, कुशल डॉक्टरों की टीम और आधुनिक तकनीक ने इस प्रक्रिया को सफल बनाया। इस घटना से अन्य मरीजों को भी उम्मीद जगी है कि राज्य में उच्चस्तरीय मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध हैं।