शोभना शर्मा। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने शनिवार सुबह अजमेर से दिल्ली रवाना होने से पहले देशवासियों को आजादी और भाईचारे का महत्व समझाया। उन्होंने कहा कि हमें बड़ी मुश्किलों से अंग्रेजों से छुटकारा मिला था और अब इसे कायम रखना हर नागरिक की जिम्मेदारी है।
अजमेर यात्रा के दौरान फारूक अब्दुल्ला ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में जियारत की और देश में अमन, चैन और भाईचारा बनाए रखने की दुआ की। उन्होंने देशवासियों से अपील की कि भारत की आजादी को बरकरार रखने के लिए सभी को एकजुट होकर प्रयास करने होंगे।
“भाईचारा भारत की मजबूती का आधार”
फारूक अब्दुल्ला ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि भारत एक महान देश है और यहां सभी धर्म और समुदाय के लोग इसके वारिस हैं। उन्होंने कहा, “हम सबको मिलकर इस देश को बनाना है। जब तक भाईचारा और प्रेम नहीं होगा, तब तक हम भारत को उसकी सही पहचान नहीं दे पाएंगे। मुझे उम्मीद है कि मोहन भागवत और अन्य नेता उस भारत को बनाने का प्रयास करेंगे, जहां हर कोई खुशी और शांति से रह सके।”
महाकुंभ आयोजन पर दी शुभकामनाएं
महाकुंभ जैसे बड़े धार्मिक आयोजनों की सराहना करते हुए फारूक अब्दुल्ला ने कहा, “यह एक शानदार परंपरा है। गंगा मां में डुबकी लगाने वाले सभी श्रद्धालुओं को मेरी शुभकामनाएं हैं। यह आयोजन हमारी संस्कृति और आस्था का प्रतीक है, जो सदियों से हमारी परंपरा में शामिल है।”
दरगाह जियारत: अमन और शांति की दुआ
फारूक अब्दुल्ला ने अपनी अजमेर यात्रा के दौरान ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर जियारत की। उन्होंने गरीब नवाज की मजार पर मखमल की चादर और फूल पेश किए। जियारत से पहले उन्होंने दरगाह में हुई रोशनी की दुआ में हिस्सा लिया। अपनी इस यात्रा को लेकर उन्होंने कहा कि दरगाह आकर उन्हें बहुत सुकून मिला और उन्होंने देश के लिए अमन, भाईचारा और खुशहाली की प्रार्थना की।
देश की एकता और विकास के लिए अपील
पूर्व मुख्यमंत्री ने जोर दिया कि आजादी को बरकरार रखना और देश को विकास की राह पर ले जाना हम सभी की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि सभी धर्मों और समुदायों को एकजुट होकर देश को मजबूत बनाना होगा


