मनीषा शर्मा। अजमेर के किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर मूंग की खरीद को सुनिश्चित करने के लिए कलेक्ट्रेट पहुंचकर विरोध प्रदर्शन किया और जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। किसानों का कहना है कि अजमेर मूंग उत्पादन का प्रमुख जिला है, लेकिन प्राकृतिक आपदाओं के कारण इस वर्ष उत्पादन प्रभावित हुआ है। किसानों का आरोप है कि उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य से वंचित होना पड़ रहा है।
किसानों ने अपनी मांगों को लेकर पहले नसीराबाद में धरना दिया था और अब जिला मुख्यालय पहुंचकर अपनी आवाज बुलंद की। उन्होंने कहा कि यदि उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजस्थान दौरे के दौरान ज्ञापन सौंपने को मजबूर होंगे।
खरीद प्रक्रिया में बाधाएं और भुगतान में देरी
किसानों ने बताया कि नसीराबाद में मूंग की खरीद तो हुई, लेकिन वेयरहाउस द्वारा मूंग जमा नहीं किए जाने के कारण 77 लाख रुपये का भुगतान लंबित है। इस देरी से न केवल किसानों को नुकसान हो रहा है, बल्कि मूंग की तुलाई भी रुक गई है।
इस मुद्दे को सुलझाने के लिए 30 नवंबर को एक कमेटी की बैठक बुलाई गई थी। हालांकि, नैफेड, वेयरहाउस मैनेजर और राजफैड के प्रतिनिधियों की अनुपस्थिति के कारण बैठक में कोई ठोस निर्णय नहीं हो सका। किसानों का कहना है कि यह प्रक्रिया सेवा नियमों के विरुद्ध है और जनहित का उल्लंघन करती है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकार का रवैया
किसानों ने यह भी आरोप लगाया कि इस वर्ष मूंग की खरीद का लक्ष्य केवल 11.41 प्रतिशत रखा गया है, जो कि बेहद कम है। जबकि अरहर, मसूर और उड़द जैसे दलहनों पर 25 प्रतिशत खरीद की सीमा हटा दी गई है, मूंग और चना पर यह प्रतिबंध अभी भी लागू है।
किसानों ने कहा कि एक तरफ सरकार दलहन का आयात करती है, और दूसरी तरफ देश में उत्पादित दलहनों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने की समुचित व्यवस्था नहीं की जाती। यह नीति किसानों के हितों के खिलाफ है।
फसल बीमा और प्राकृतिक आपदाओं का असर
किसानों ने फसल बीमा क्लेम के भुगतान में भी देरी की शिकायत की। उनका कहना है कि प्राकृतिक आपदाओं के कारण मूंग और अन्य फसलों को भारी नुकसान हुआ है। बावजूद इसके, बीमा कंपनियों द्वारा क्लेम की राशि का भुगतान नहीं किया जा रहा है।
संसद में दिए आश्वासन के बावजूद नुकसान
भारत सरकार ने संसद में आश्वासन दिया था कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दाम पर अपनी उपज बेचने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ेगा। लेकिन हकीकत यह है कि अजमेर के किसान प्रति क्विंटल मूंग पर 3,000 रुपये का घाटा झेल रहे हैं।
किसानों ने मांग की है कि सभी किसानों की उपज को समर्थन मूल्य पर खरीदा जाए और टोकन की सीमा बढ़ाई जाए। इसके अलावा, सितंबर, अक्टूबर और 15 नवंबर तक मंडियों में 5.38 लाख क्विंटल मूंग आ चुका है, जिसका अनुमानित घाटा 90 करोड़ रुपये से अधिक है। किसानों ने इस घाटे की भरपाई की मांग भी की है।
अंतिम चेतावनी
किसानों ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे प्रधानमंत्री के राजस्थान दौरे के दौरान ज्ञापन सौंपेंगे। विरोध प्रदर्शन के दौरान किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट समेत कई प्रमुख किसान नेता मौजूद रहे।