मनीषा शर्मा। राजस्थान के कोटा जिले की शान और पारंपरिक वस्त्र “कोटा डोरिया” को राज्य सरकार ने ‘एक जिला एक उत्पाद’ (ODOP) योजना के अंतर्गत शामिल किया है। इस चयन से न केवल स्थानीय कारीगरों को आर्थिक मजबूती मिलेगी, बल्कि इस प्राचीन कला को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान भी मिलेगी। जिला उद्योग एवं वाणिज्य केन्द्र कोटा के महाप्रबंधक हरिमोहन शर्मा ने बताया कि इस योजना से वही इकाइयाँ लाभ उठा सकेंगी, जो एसएसओ पोर्टल पर ODOP एप्लीकेशन के माध्यम से अपना पंजीकरण कराएंगी।
सरल पंजीकरण प्रक्रिया और आर्थिक लाभ
पंजीकरण की प्रक्रिया अत्यंत सरल रखी गई है। इच्छुक कारीगर या उद्यमी पोर्टल पर लॉगिन कर आवश्यक सूचनाएं भरकर स्वयं को पंजीकृत कर सकते हैं। पंजीकृत इकाइयों को सरकार की ओर से कई प्रकार की वित्तीय सहायता दी जाएगी। नई इकाइयों को 25% या अधिकतम ₹15 लाख तक का मार्जिन मनी अनुदान मिलेगा। यदि कोई उद्यम नवीनतम तकनीक या सॉफ्टवेयर अपनाता है, तो उसे कुल लागत का 50% या अधिकतम ₹5 लाख तक का अनुदान प्राप्त होगा।
गुणवत्ता प्रमाणीकरण और प्रदर्शनियों में भागीदारी पर भी अनुदान
योजना के तहत गुणवत्ता प्रमाणीकरण के लिए एक बार की सहायता में कुल लागत का 75% या अधिकतम ₹3 लाख तक की सहायता दी जाएगी। इतना ही नहीं, यदि कोई इकाई राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय मेलों में भाग लेती है, तो स्टॉल किराए का 75% या अधिकतम ₹50,000 तक का पुनर्भरण भी किया जाएगा।
स्थानीय कारीगरों को मिलेगा बड़ा मंच
महाप्रबंधक शर्मा ने कहा कि यह योजना पारंपरिक कारीगरों को नई तकनीक और संसाधनों के साथ जोड़ने का काम करेगी। इससे न केवल उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी, बल्कि “वोकल फॉर लोकल” अभियान को भी मजबूती मिलेगी। यह कदम आत्मनिर्भर राजस्थान के निर्माण की दिशा में भी अहम साबित होगा।
एक जिला एक उत्पाद नीति 2025
राज्य सरकार ने “पंच गौरव कार्यक्रम” के तहत ODOP नीति 2025 को लागू किया है। इस नीति का उद्देश्य पारंपरिक शिल्प, स्थानीय उत्पादों और लघु उद्यमों को संरक्षित कर उन्हें नया बाजार मुहैया कराना है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में 8 दिसंबर 2024 को यह नीति जारी की गई थी, जो 31 मार्च 2029 तक प्रभावी रहेगी।