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सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट: SEBI के नए नियमों का क्या है असर?

सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट: SEBI के नए नियमों का क्या है असर?

शोभना शर्मा।  मार्केट रेगुलेटर SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) ने 28 नवंबर को स्टॉक एक्सचेंजों के लिए तकनीकी खामियों के दौरान ट्रेडिंग जारी रखने के लिए नए नियमों की घोषणा की। ये दिशानिर्देश 1 अप्रैल 2024 से लागू होंगे। इसके तहत, SEBI ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) को एक-दूसरे के लिए अल्टरनेटिव ट्रेडिंग वेन्यू के रूप में काम करने का निर्देश दिया है। इस नई व्यवस्था का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी एक्सचेंज में तकनीकी दिक्कत आने पर निवेशकों की ट्रेडिंग गतिविधियां बाधित न हों। SEBI ने कहा है कि दोनों एक्सचेंजों को अगले 60 दिनों के भीतर एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रॉसीजर (SOP) जारी करना होगा, जिसमें ट्रेडिंग शिफ्टिंग की प्रक्रिया का विवरण होगा।

कैसे काम करेगा नया नियम?

नए नियमों के अनुसार, यदि BSE में तकनीकी खामी आती है, तो केवल BSE में लिस्टेड शेयर NSE पर ट्रेड होंगे। इसी तरह, यदि NSE में कोई तकनीकी समस्या आती है, तो केवल NSE में लिस्टेड शेयर BSE पर ट्रेड हो सकेंगे।

F&O (फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस) सौदों को भी ऑफसेट किया जा सकेगा। हाई को-रिलेटेड इंडेक्स की पोजीशन को भी दूसरे एक्सचेंज पर स्थानांतरित किया जाएगा। इसके लिए SEBI ने SOP के तहत एक निश्चित समय सीमा तय की है:

  • एक्सचेंज में तकनीकी खामी आने के 75 मिनट के भीतर दूसरे एक्सचेंज को सूचना देनी होगी।
  • SOP के अनुसार, अल्टरनेटिव एक्सचेंज तुरंत दूसरे एक्सचेंज पर लिस्टेड शेयरों की ट्रेडिंग शुरू करेगा।

डिजास्टर रिकवरी साइट टेस्टिंग: क्यों है यह महत्वपूर्ण?

SEBI के नए नियमों से पहले, एक्सचेंजों की आपातकालीन तैयारी को जांचने के लिए डिजास्टर रिकवरी साइट का परीक्षण किया गया। 28 सितंबर 2024 को NSE ने एक स्पेशल मॉक ट्रेडिंग सेशन आयोजित किया।

यह मॉक ट्रेडिंग सेशन कैपिटल मार्केट और फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) सेगमेंट में हुआ, जिसमें दोपहर 12 बजे से 1 बजे तक ट्रेडिंग की गई। डिजास्टर रिकवरी साइट का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी आपातकालीन स्थिति में स्टॉक एक्सचेंज का संचालन बिना किसी रुकावट के जारी रह सके।

NSE और BSE की ट्रांजैक्शन फीस में बदलाव

हाल ही में NSE और BSE ने अपने कैश और डेरिवेटिव सेगमेंट्स के लिए ट्रांजैक्शन फीस में बदलाव किए। नए नियमों के तहत फीस संरचना इस प्रकार है:

NSE की नई ट्रांजैक्शन फीस:

  1. कैश मार्केट: ₹2.97 प्रति लाख ट्रेडेड वैल्यू
  2. इक्विटी फ्यूचर्स: ₹1.73 प्रति लाख ट्रेडेड वैल्यू
  3. इक्विटी ऑप्शंस: ₹35.03 प्रति लाख प्रीमियम वैल्यू
  4. करेंसी फ्यूचर्स: ₹0.35 प्रति लाख ट्रेडेड वैल्यू
  5. करेंसी ऑप्शंस और इंटरेस्ट रेट ऑप्शंस: ₹31.1 प्रति लाख प्रीमियम वैल्यू

BSE की नई ट्रांजैक्शन फीस:

  1. करेंसी फ्यूचर्स (क्रॉस करेंसी सहित): ₹45 प्रति करोड़ टर्नओवर वैल्यू
  2. ऑप्शंस: ₹100 प्रति करोड़ प्रीमियम टर्नओवर वैल्यू

यह बदलाव एक्सचेंजों की ऑपरेशनल लागत और निवेशकों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए किया गया है।

28 नवंबर 2024: सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट

SEBI के सर्कुलर की घोषणा के दिन, भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली।

  • सेंसेक्स: 1,190 अंक (1.48%) गिरकर 79,043 पर बंद हुआ।
  • निफ्टी: 360 अंक (1.49%) गिरकर 23,914 पर बंद हुआ।
  • BSE स्मॉलकैप: 221 अंक (0.41%) चढ़कर 54,782 पर बंद हुआ।

सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 29 में गिरावट रही, जबकि केवल 1 में तेजी दर्ज की गई। निफ्टी के 50 शेयरों में से 46 में गिरावट और 4 में तेजी रही। NSE IT सेक्टर सबसे अधिक 2.39% गिरावट के साथ बंद हुआ।

SEBI के नए नियमों का महत्व

SEBI के ये दिशानिर्देश भारतीय स्टॉक बाजार में पारदर्शिता और निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए एक बड़ा कदम हैं।

  1. निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा: तकनीकी खामी के दौरान ट्रेडिंग शिफ्टिंग की सुविधा से निवेशकों को नुकसान से बचाया जा सकेगा।
  2. आपातकालीन स्थितियों में तैयारी: डिजास्टर रिकवरी साइट्स और SOP के माध्यम से एक्सचेंजों की तत्परता सुनिश्चित की जाएगी।
  3. प्रतिस्पर्धा में सुधार: NSE और BSE दोनों के लिए SOP लागू करने से उनकी कार्यक्षमता में सुधार होगा।

SEBI के नए नियम 1 अप्रैल 2024 से लागू होने के बाद, भारतीय स्टॉक बाजार और अधिक मजबूत और निवेशक-अनुकूल बन जाएगा। तकनीकी खामियों के दौरान ट्रेडिंग को शिफ्ट करने की प्रक्रिया निवेशकों के लिए राहत भरी साबित होगी।

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