मनीषा शर्मा। कांग्रेस में राहुल गांधी के नेतृत्व में चल रहे संगठन सृजन अभियान के तहत राजस्थान की राजनीति में बड़ा फेरबदल होने जा रहा है। पार्टी ने संकेत दिए हैं कि अब प्रदेश के सभी जिलाध्यक्ष बदले जाएंगे और नई नियुक्तियां की जाएंगी। इसके लिए कांग्रेस ने एक अहम कदम उठाते हुए राजस्थान में 30 नेताओं को ऑब्जर्वर नियुक्त किया है, लेकिन खास बात यह है कि इनमें से कोई भी नेता राजस्थान का नहीं है।
गुजरात और एमपी मॉडल पर काम
कांग्रेस ने संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने के लिए गुजरात और मध्य प्रदेश मॉडल को अपनाने का फैसला लिया है। इन राज्यों की तरह अब राजस्थान में भी जिलाध्यक्षों को बदला जाएगा। नई नियुक्तियों का मकसद पार्टी को जमीनी स्तर पर सक्रिय करना और संगठन को अधिक मजबूत बनाना है।
इस प्रक्रिया में प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली भी शामिल रहेंगे। लेकिन अंतिम निर्णय बाहरी ऑब्जर्वरों के सुझावों और रिपोर्ट के आधार पर लिया जाएगा।
राजस्थान के लिए बने बाहरी ऑब्जर्वर
कांग्रेस ने राजस्थान के लिए जिन 30 नेताओं को ऑब्जर्वर नियुक्त किया है, उनमें विजय इंदर सिंगला, लालजी देसाई, जीआर राजू, विकार रसूल वाणी, यशोमति ठाकुर, यशपाल आर्य, भरत सिंह सोलंकी, कुलजीत नागरा, डॉ. अमि याज्ञनिक, अनिल चौधरी, सुभाष चोपड़ा, अशोक तंवर, परेश धनानी, राजेश तिवाड़ी, सुखदेव भगत, सलीम अहमद, राजेश कच्छप, राजेश लीलोथिय, अनिल भारद्वाज, रोहित चौधरी, गीता भुक्कल, कैप्टन प्रवीण डावर, केवल सिंह पठानिया, विमल चुड़ासमा, जेटि कुसुम कुमार, अमित सिहाग, ममता देवी, सुखदेव पांसे, अमित विज और शाकिर सनादी शामिल हैं।
ये सभी ऑब्जर्वर राजस्थान से बाहर के हैं। यानी पहली बार ऐसा होगा जब राजस्थान कांग्रेस संगठन में जिलाध्यक्षों की नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी तरह बाहरी नेताओं की निगरानी में होगी।
नए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति की प्रक्रिया
इन ऑब्जर्वरों का मुख्य काम जिलों में जाकर कार्यकर्ताओं से राय लेना, स्थानीय संगठन की स्थिति का आकलन करना और अपनी रिपोर्ट प्रदेश नेतृत्व को सौंपना होगा। इसके आधार पर ही नए जिलाध्यक्षों का चयन किया जाएगा। पार्टी का मानना है कि बाहरी ऑब्जर्वर निष्पक्ष तरीके से काम करेंगे और किसी भी तरह की गुटबाजी से दूर रहेंगे।
राहुल गांधी का संगठन पुनर्गठन मिशन
राहुल गांधी लंबे समय से कांग्रेस संगठन को नई ऊर्जा देने और युवा नेतृत्व को आगे लाने पर जोर दे रहे हैं। इसी कड़ी में यह अभियान पूरे देश में चलाया जा रहा है। राजस्थान में यह कदम खास तौर पर महत्वपूर्ण है क्योंकि राज्य में कांग्रेस पिछले विधानसभा चुनाव में सत्ता गंवा चुकी है और अब उसे संगठन को फिर से मजबूत कर 2029 लोकसभा चुनाव और 2028 विधानसभा चुनाव की तैयारी करनी है।
राजस्थान के नेताओं की भूमिका सीमित
हालांकि प्रदेश प्रभारी और स्थानीय नेतृत्व को भी प्रक्रिया में शामिल किया गया है, लेकिन जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में उनकी भूमिका सीमित रहेगी। पार्टी का मानना है कि बाहरी नेताओं की नियुक्ति से संगठन में गुटबाजी और पुराने विवाद कम होंगे और नए चेहरों को आगे लाने का रास्ता साफ होगा।
सीपी जोशी और अन्य नेताओं को बाहर राज्यों की जिम्मेदारी
दिलचस्प बात यह है कि राजस्थान के वरिष्ठ नेता भी दूसरे राज्यों में ऑब्जर्वर बनाए गए हैं। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी को तेलंगाना का ऑब्जर्वर नियुक्त किया गया है। वहीं विधायक रीटा चौधरी, नेता रेहाना रियाज और सीताराम लांबा को छत्तीसगढ़ का ऑब्जर्वर बनाया गया है।


