शोभना शर्मा। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने वर्ष 2025 के मानसून सीजन (जून से सितंबर) के लिए राहत भरी खबर दी है। विभाग के अनुसार, इस साल देशभर में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है। 27 मई को जारी किए गए इस अद्यतन पूर्वानुमान में कहा गया है कि देश में दीर्घ अवधि औसत (Long Period Average – LPA) का 106% बारिश होने की संभावना है, यानी सामान्य से लगभग 6 प्रतिशत अधिक।
मानसून की अच्छी शुरुआत का संकेत
जून माह में मानसून की सक्रियता अधिक रहने की संभावना जताई गई है, खासकर मध्य और दक्षिण भारत में सामान्य से अधिक वर्षा हो सकती है। इससे खरीफ फसलों की बुवाई समय पर और अच्छी तरह होने की उम्मीद है। मौसम विभाग के अनुसार, मानसून के कोर ज़ोन यानी वे क्षेत्र जहां बारिश आधारित कृषि होती है, वहां भी इस बार सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान है।
राजस्थान में भी होगी अच्छी बारिश
मौसम विभाग ने राजस्थान के लिए भी अच्छे मानसून की भविष्यवाणी की है।
पश्चिमी राजस्थान में 115% वर्षा का अनुमान है, जो सामान्य से 15% अधिक है।
पूर्वी राजस्थान में 110% वर्षा का पूर्वानुमान व्यक्त किया गया है, जो सामान्य से 10% अधिक है।
इससे प्रदेश में सिंचाई की सुविधा बेहतर होगी और जल संकट से कुछ हद तक राहत मिल सकती है।
इन राज्यों को होगा फायदा
मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल जैसे कृषि प्रधान राज्यों में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है। इससे धान, कपास, सोयाबीन जैसी प्रमुख खरीफ फसलों की पैदावार बढ़ने की उम्मीद है।
पूर्वोत्तर भारत के लिए चिंता
हालांकि, पूर्वोत्तर भारत के कुछ राज्यों में सामान्य से कम बारिश हो सकती है। अरुणाचल प्रदेश, असम और मेघालय जैसे क्षेत्रों में वर्षा सामान्य से कम रह सकती है, जिससे वहां की कृषि और पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित हो सकता है।
गर्मी से भी राहत मिलने के आसार
IMD के इस पूर्वानुमान में तापमान को लेकर भी सकारात्मक संकेत दिए गए हैं।
देश के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से कम रहने की संभावना है।
हीटवेव वाले दिनों की संख्या भी सामान्य से कम रहने की उम्मीद है, खासकर उत्तर-पश्चिम, मध्य और पूर्वी भारत में।
हालांकि पूर्वोत्तर और उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक रह सकता है।
न्यूनतम तापमान अधिकांश क्षेत्रों में सामान्य से ऊपर रहेगा, लेकिन मध्य भारत और दक्षिणी प्रायद्वीप में कुछ स्थानों पर सामान्य से कम भी हो सकता है।
खेती-किसानी को मिल सकती है रफ्तार
इस मानसूनी पूर्वानुमान को कृषि विशेषज्ञों द्वारा सकारात्मक माना जा रहा है। विशेष रूप से उन इलाकों के लिए जहां वर्षा आधारित खेती होती है, यह बारिश का स्तर कृषि उत्पादन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने वाला हो सकता है।