मनीषा शर्मा। राजस्थान के जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत ने जयपुर जिले के नेवटा में आयोजित राजस्थान जल महोत्सव कार्यक्रम के दौरान राज्य में जल संरक्षण और बाढ़ सुरक्षा के लिए एक बड़ी योजना की घोषणा की। उन्होंने बताया कि प्रदेश में व्यर्थ बहने वाले जल के सदुपयोग और बाढ़ सुरक्षा प्रबंधन के लिए रन ऑफ वाटर ग्रिड की स्थापना की जाएगी, जिसमें लगभग 30000 करोड़ रुपये की लागत आएगी। यह योजना जल के विवेकपूर्ण उपयोग और भविष्य में जल संकट से बचने के उद्देश्य से बनाई गई है।
मंत्री रावत ने कहा कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व वाली सरकार ने जल संरक्षण और सिंचाई के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। ईआरसीपी (पूर्वी राजस्थान कैनाल परियोजना) के तहत पार्वती, कालीसिंध और चंबल नदी के अधिशेष जल का उपयोग 21 जिलों में सिंचाई और पेयजल के लिए किया जाएगा। जयपुर जिला भी इस परियोजना से लाभान्वित होगा। इसके साथ ही शेखावाटी क्षेत्र में यमुना जल लाने के लिए भी कार्य शुरू हो गया है, जिससे इस क्षेत्र में जल संकट से राहत मिलेगी।
उन्होंने बताया कि इस वर्ष राजस्थान में मानसून ने भरपूर बारिश दी है और राज्य के 385 बांध अपनी पूर्ण भराव क्षमता तक पहुँच चुके हैं। राज्य में सामान्य से 63.71% अधिक बारिश हुई है, जिससे जलाशयों में जल की प्रचुरता हो गई है। इससे आने वाले वर्षों में सिंचाई और पेयजल की समस्या को हल करने में सहायता मिलेगी।
कार्यक्रम के दौरान ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों को जल संरक्षण, जल का विवेकपूर्ण उपयोग, जल प्रदूषण रोकने और स्वच्छता की शपथ दिलाई गई। जल महोत्सव के अवसर पर बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे और उन्होंने जल देवता की पूजा-अर्चना की।
इस मौके पर रावत ने कहा कि सरकार जल के बेहतर उपयोग और संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने जनता से अपील की कि वे जल का मितव्ययी और विवेकपूर्ण उपयोग करें। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि इस जल महोत्सव का उद्देश्य राज्य के हर व्यक्ति को जल के महत्व के प्रति जागरूक करना और जन भागीदारी सुनिश्चित करना है। कार्यक्रम की शुरुआत नेवटा गांव के शिव मंदिर में जलाभिषेक और कलश पूजन से की गई। इस अवसर पर जिला प्रमुख रमा चोपड़ा, सांगानेर प्रधान भंवर कंवर, सरपंच प्रियंका शर्मा, जल संसाधन विभाग के अधिकारी, और कई जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।