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राजस्थान की 6759 ग्राम पंचायतों में चुनाव स्थगित, सरपंच बने प्रशासक

राजस्थान की 6759 ग्राम पंचायतों में चुनाव स्थगित, सरपंच बने प्रशासक

शोभना शर्मा।  राजस्थान में 6759 ग्राम पंचायतों के चुनाव स्थगित करते हुए सरकार ने मौजूदा सरपंचों को प्रशासक नियुक्त करने का निर्णय लिया है। यह कदम वन स्टेट वन इलेक्शन की नीति को लागू करने और पंचायत चुनाव में असमानता को कम करने के उद्देश्य से उठाया गया है।

सरपंचों को प्रशासक नियुक्त करने का निर्णय

राजस्थान पंचायती राज विभाग ने 6759 ग्राम पंचायतों में मौजूदा सरपंचों को प्रशासक नियुक्त करने और प्रशासकीय कमेटियां बनाने का नोटिफिकेशन जारी किया है। यह कदम पंचायत चुनाव के अंतराल को खत्म करने और पंचायतों के सुचारु संचालन के लिए उठाया गया है।

सरकार ने मध्य प्रदेश मॉडल को अपनाते हुए सरपंचों को प्रशासक बनाया है। पहले चुनाव स्थगन की स्थिति में ग्राम सचिव को प्रशासक नियुक्त किया जाता था। इस बार सरपंच संघ की मांगों को ध्यान में रखते हुए यह नई प्रणाली लागू की गई है।

पंचायतों के पुनर्गठन की प्रक्रिया

पंचायती राज संस्थाओं का पुनर्गठन 20 जनवरी से 15 अप्रैल के बीच किया जाएगा। इसमें नई ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों का गठन किया जाएगा, साथ ही मौजूदा पंचायतों की सीमाओं में बदलाव किया जाएगा। नई सीमाओं को निर्धारित करने के लिए जनसंख्या और भौगोलिक दूरी जैसे मापदंडों में इस बार छूट दी गई है।

कलेक्टर 20 जनवरी से 18 फरवरी तक नई पंचायतों के प्रस्ताव तैयार करेंगे। इस पुनर्गठन का उद्देश्य स्थानीय प्रशासन को अधिक प्रभावी बनाना और ग्रामीण नागरिकों के लिए सरकारी सेवाओं को सुगम बनाना है।

सरपंचों की भूमिका और प्रशासकीय कमेटियां

जिन पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हो गया है, उनमें मौजूदा सरपंच प्रशासक के रूप में कार्य करेंगे। उन्हें पंचायत की प्रशासनिक समिति से सलाह लेनी होगी। इस समिति में उप सरपंच और वार्ड पंच सदस्य होंगे।

प्रशासक के रूप में सरपंचों को नियुक्त करने से सरकार ने सरपंच संघ को संतुष्ट कर लिया है। हालांकि, सियासी चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं। पंचायत स्तर पर सरपंच विरोधी गुट इस निर्णय से नाराज हो सकते हैं।

चुनाव स्थगित करने का कारण

प्रदेश में कुल 11,000 से अधिक ग्राम पंचायतें हैं, जिनका कार्यकाल अलग-अलग समय पर समाप्त होता है। वन स्टेट वन इलेक्शन नीति के तहत पंचायत चुनाव एक साथ कराने के लिए यह निर्णय लिया गया है। जनवरी 2025 में 6759 पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हो गया है, जबकि 704 पंचायतों का कार्यकाल मार्च में और 3847 पंचायतों का कार्यकाल सितंबर-अक्टूबर में समाप्त होगा।

सरकार की रणनीति और संभावित चुनौतियां

सरकार का यह कदम सियासी समीकरणों को साधने और सरपंच संघ की मांगों को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, हर पंचायत में राजनीतिक गुटबाजी के चलते विरोध और असंतोष की संभावना है। प्रशासक नियुक्ति की समय सीमा अधिसूचना में तय नहीं की गई है, जिससे इस व्यवस्था की अवधि अनिश्चित बनी हुई है।

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