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कोटा के बंजारी गांव में आठ फीट लंबा मगरमच्छ घर में घुसा, हयात खान टाइगर ने किया रेस्क्यू

कोटा के बंजारी गांव में आठ फीट लंबा मगरमच्छ घर में घुसा, हयात खान टाइगर ने किया रेस्क्यू

शोभना शर्मा।  राजस्थान के कोटा जिले के इटावा उपखंड क्षेत्र के बंजारी गांव में गुरुवार देर रात उस समय अफरा-तफरी मच गई, जब एक आठ फीट लंबा मगरमच्छ अचानक एक ग्रामीण के घर के अंदर घुस आया। यह घटना रात करीब 10 बजे की बताई जा रही है। घर के अंदर मगरमच्छ को देखकर परिवार के लोग चीख पड़े और देखते ही देखते पूरे गांव में दहशत का माहौल बन गया। गांव के कई लोग घरों से बाहर निकल आए और आसपास के घरों में भी हलचल मच गई। कुछ ग्रामीणों ने साहस दिखाकर मगरमच्छ को दूर से देखने की कोशिश की, लेकिन उसका विशाल आकार देखकर सभी भयभीत हो गए।

ग्रामीणों ने प्रशासन को दी सूचना, देर तक नहीं पहुंची मदद

घटना की जानकारी ग्रामीणों ने तुरंत प्रशासन और वन विभाग को दी। हालांकि, ग्रामीणों के अनुसार देर रात तक कोई अधिकारी या कर्मचारी मौके पर नहीं पहुंचा। गांव वालों ने खुद स्थिति को संभालने की कोशिश की। कई युवाओं ने मगरमच्छ को बाहर निकालने की योजना बनाई, लेकिन जब उन्होंने उसकी आठ फीट लंबी देह और ताकतवर जबड़ों को देखा, तो पीछे हट गए। ग्रामीणों ने बताया कि मगरमच्छ संभवतः भोजन या पानी की तलाश में गांव तक पहुंच गया। बंजारी गांव के आसपास कई छोटे जल स्रोत और तलाई हैं, जो बरसात के मौसम में चंबल नदी से जुड़ जाते हैं, इसी रास्ते से यह मगरमच्छ गांव में आ सकता है।

हयात खान टाइगर ने की बहादुरी से रेस्क्यू कार्रवाई

रात करीब साढ़े ग्यारह बजे, जब वन विभाग का कोई दल नहीं पहुंचा, तब इटावा के प्रसिद्ध वन्यजीव प्रेमी हयात खान टाइगर को सूचना दी गई।
हयात खान अपने साथियों के साथ तुरंत मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने ग्रामीणों को सुरक्षित दूरी पर रहने की सलाह दी और लगभग एक घंटे की मेहनत के बाद मगरमच्छ को सुरक्षित पकड़ लिया।

रेस्क्यू टीम ने रस्सियों और जाल की मदद से मगरमच्छ को नियंत्रित किया और घर से बाहर निकाला। इस पूरी कार्रवाई के दौरान बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे। मगरमच्छ को पकड़ने के बाद ग्रामीणों ने राहत की सांस ली। हयात खान ने बताया कि यह मगरमच्छ पूरी तरह स्वस्थ था और उसे नुकसान पहुंचाए बिना वन विभाग के सुपुर्द कर दिया गया। बाद में उसे चंबल नदी के सुरक्षित क्षेत्र में छोड़ दिया गया।

पहले भी बंजारी में दिख चुका है विशाल मगरमच्छ

यह पहली बार नहीं है जब बंजारी गांव में ऐसा मामला सामने आया है। कुछ महीने पहले भी इसी गांव के एक खेत में एक विशालकाय मगरमच्छ दिखाई दिया था, जिसे पकड़ने के लिए हयात खान को ही बुलाया गया था।

तब भी उन्होंने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर मगरमच्छ को सुरक्षित रूप से चंबल नदी में छोड़ा था। हयात खान अपने क्षेत्र में वन्यजीव संरक्षण, रेस्क्यू कार्यों और पर्यावरण जागरूकता अभियानों के लिए जाने जाते हैं। गांव के लोगों का कहना है कि यदि ऐसे वन्यजीव विशेषज्ञ मौजूद न होते, तो यह घटना किसी बड़ी दुर्घटना में बदल सकती थी।

गांव में अब भी बना है डर का माहौल

मगरमच्छ के पकड़े जाने के बाद भी गांव में भय का माहौल बना हुआ है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव के स्कूल के पास स्थित एक छोटी तलाई (तालाब) में कुछ मगरमच्छ पहले से मौजूद हैं। कई बार बच्चों और मवेशियों को पानी पिलाने के दौरान इन मगरमच्छों को देखा गया है।

इस कारण गांव के बच्चे और महिलाएं तालाब के पास जाने से डरते हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन और वन विभाग से आग्रह किया है कि तालाब की नियमित निगरानी की जाए और मगरमच्छों को सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित किया जाए। स्थानीय निवासी रामकिशन मीणा ने बताया कि “हर साल बरसात में चंबल नदी से पानी के साथ मगरमच्छ गांव की तलाई तक पहुंच जाते हैं। हमें डर है कि किसी दिन यह हादसा जानलेवा साबित न हो जाए।”

वन विभाग की लापरवाही पर उठे सवाल

घटना के बाद ग्रामीणों ने वन विभाग की धीमी कार्रवाई पर नाराजगी जताई। लोगों का कहना है कि अगर हयात खान और उनके साथी समय पर न पहुंचते, तो किसी व्यक्ति या बच्चे को गंभीर नुकसान हो सकता था। स्थानीय लोगों ने मांग की है कि वन विभाग ऐसे संवेदनशील क्षेत्रों में रेस्क्यू टीम और फील्ड स्टाफ की तैनाती करे ताकि किसी आपात स्थिति में तत्काल कार्रवाई हो सके। वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि टीम को देर रात सूचना मिली थी और अगले दिन सुबह मगरमच्छ को चंबल नदी में छोड़ दिया गया। विभाग ने बंजारी गांव और आसपास के जल स्रोतों की सर्वे रिपोर्ट तैयार करने के आदेश भी जारी किए हैं।

प्रशासन के लिए चेतावनी का संकेत

यह घटना वन्यजीव संरक्षण और मानव-वन्यजीव संघर्ष के बढ़ते खतरे की ओर संकेत करती है। चंबल नदी के आसपास बसे गांवों में मगरमच्छों की संख्या बढ़ने से ऐसे मामले लगातार सामने आ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि नदी और उसके आसपास मानव बस्तियों के विस्तार, तालाबों के प्रदूषण और जलाशयों में मछलियों की कमी के कारण मगरमच्छ भोजन की तलाश में मानव बस्तियों की ओर भटक जाते हैं। स्थानीय प्रशासन के लिए यह जरूरी हो गया है कि ऐसे क्षेत्रों में सुरक्षा बाड़, चेतावनी बोर्ड और नियमित गश्त की व्यवस्था की जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।

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