शोभना शर्मा। राजस्थान में सरकारी स्कूलों में सूर्य नमस्कार के आयोजन को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। राज्य सरकार ने 3 फरवरी को प्रदेशभर के सरकारी स्कूलों में सामूहिक रूप से सूर्य नमस्कार करवाने की घोषणा की है। इसे लेकर शिक्षा विभाग पूरी तैयारी कर रहा है, लेकिन इस फैसले पर राजस्थान मुस्लिम फोरम ने कड़ा विरोध जताया है।
मुस्लिम फोरम का कहना है कि सूर्य नमस्कार हिंदू धर्म की धार्मिक क्रिया है और इसमें कुछ ऐसे मंत्र शामिल हैं, जो इस्लामिक मान्यताओं के खिलाफ जाते हैं। मुस्लिम फोरम ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार 3 फरवरी को सूर्य नमस्कार करवाने पर अड़ी रहती है, तो वे अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे और इस फैसले के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाएंगे।
इस विवाद पर राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने पलटवार करते हुए कहा कि जो लोग सूर्य नमस्कार का विरोध कर रहे हैं, वे सूर्य के प्रकाश को क्यों स्वीकार कर रहे हैं? उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इस आयोजन को लेकर पूरी तरह तैयार है और इस कार्यक्रम को नया विश्व रिकॉर्ड बनाने के इरादे से आयोजित किया जा रहा है।
सरकारी स्कूलों में सूर्य नमस्कार: सरकार की योजना
राजस्थान सरकार ने घोषणा की है कि 3 फरवरी को प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में सामूहिक सूर्य नमस्कार का अभ्यास किया जाएगा। इसे लेकर शिक्षा विभाग ने सभी जिला और ब्लॉक स्तर के शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए हैं।
सरकार का उद्देश्य विद्यार्थियों को योग और सूर्य नमस्कार के महत्व से परिचित कराना है। यह आयोजन न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए किया जा रहा है, बल्कि इसे एक ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में दर्ज करने का भी लक्ष्य रखा गया है।
शिक्षा विभाग का कहना है कि सूर्य नमस्कार को केवल योगाभ्यास के रूप में देखा जाना चाहिए और इसमें किसी तरह की धार्मिक भावना नहीं जोड़नी चाहिए। लेकिन इस आयोजन को लेकर विवाद गहराता जा रहा है।
मुस्लिम फोरम का विरोध: धार्मिक मान्यताओं का हवाला
राजस्थान मुस्लिम फोरम ने सूर्य नमस्कार को एक धार्मिक अनुष्ठान करार देते हुए इसका विरोध किया है। मुस्लिम फोरम के सदस्य शहाबुद्दीन खान ने कहा कि सूर्य नमस्कार केवल एक योगाभ्यास नहीं है, बल्कि हिंदू धर्म में सूर्य की उपासना का एक तरीका है।
उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रक्रिया में कुछ वैदिक मंत्रों का उच्चारण किया जाता है, जो इस्लाम की मान्यताओं के खिलाफ है। इस्लाम में अल्लाह के अलावा किसी अन्य की पूजा नहीं की जाती, इसलिए मुस्लिम छात्र-छात्राओं को इस क्रिया के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए।
फोरम के नेताओं का कहना है कि यदि सरकार इसे अनिवार्य बनाती है, तो वे इस मुद्दे को लेकर न्यायालय का रुख करेंगे और विरोध प्रदर्शन करेंगे।
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर का पलटवार
मुस्लिम फोरम के विरोध पर राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि सूर्य किसी एक धर्म का नहीं है, बल्कि पूरी मानवता के लिए है।
उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि,
“जो लोग सूर्य नमस्कार का विरोध कर रहे हैं, वे फिर सूर्य के प्रकाश को क्यों ले रहे हैं? उन्हें इसका भी विरोध करना चाहिए।”मदन दिलावर ने आगे कहा कि सूर्य नमस्कार सिर्फ एक योगाभ्यास है, जिसे किसी धार्मिक भावना से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार 3 फरवरी को सूर्य नमस्कार कार्यक्रम को विश्व रिकॉर्ड बनाने के उद्देश्य से आयोजित कर रही है और इसमें किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किया जाएगा।
शिक्षा मंत्री ने विरोध करने वालों से अपील की कि वे इस मुद्दे को धार्मिक रंग देने के बजाय योग और स्वास्थ्य लाभ के रूप में देखें।
सूर्य नमस्कार: योगाभ्यास या धार्मिक अनुष्ठान?
सूर्य नमस्कार योग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है, जिसमें 12 आसन होते हैं। यह अभ्यास शरीर को मजबूत और लचीला बनाने में मदद करता है और मानसिक शांति प्रदान करता है।
हालांकि, हिंदू धर्म में सूर्य को ईश्वर का स्वरूप मानकर उनकी उपासना की जाती है और कई धार्मिक ग्रंथों में सूर्य नमस्कार को आध्यात्मिक साधना के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
वहीं, मुस्लिम समुदाय की मान्यता है कि अल्लाह के सिवाय किसी अन्य की पूजा नहीं की जा सकती, इसलिए वे इस प्रथा का हिस्सा नहीं बन सकते।
इसी कारण यह बहस उठ रही है कि क्या सरकारी स्कूलों में सूर्य नमस्कार को अनिवार्य किया जाना चाहिए या नहीं?
मुस्लिम फोरम की चेतावनी: कोर्ट जाने की तैयारी
मुस्लिम फोरम ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि सरकार 3 फरवरी को सूर्य नमस्कार को अनिवार्य बनाती है, तो वे अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे।
फोरम के नेताओं ने कहा कि यदि सरकार ने उनकी मांगों को अनसुना किया, तो वे इस फैसले को कोर्ट में चुनौती देंगे। उनका कहना है कि किसी भी धर्मनिरपेक्ष सरकार को स्कूलों में धार्मिक गतिविधियां लागू करने का अधिकार नहीं है।