शोभना शर्मा। बाड़मेर जिले के उपखंड मुख्यालय पर रविवार को आयोजित एक भव्य समारोह में आदर्श विद्या मंदिर का लोकार्पण किया गया। यह समारोह न केवल स्थानीय जनता के लिए एक ऐतिहासिक अवसर था, बल्कि प्रदेश के शिक्षा जगत में भी एक नई दिशा का प्रतीक बना। लोकार्पण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शिक्षा एवं पंचायतीराज मंत्री मदन दिलावर उपस्थित रहे। इस मौके पर उनके साथ संघ के सह क्षेत्र संपर्क प्रमुख योगेंद्र कुमार, वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री कृष्ण कुमार विश्नोई, सिवाना विधायक हमीरसिंह भायल, पूर्व केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी, संत रूगनाथ भारती, महंत हनुमानदास, महंत पारसराम जेतेश्वर धाम और महंत तृप्तात्मानंद जैसे कई प्रमुख व्यक्तित्व उपस्थित रहे।
संस्कारयुक्त शिक्षा से बनता है राष्ट्र: मंत्री दिलावर
समारोह को संबोधित करते हुए मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि जब शिक्षा में संस्कार और मूल्य जुड़ते हैं, तभी वह वास्तविक शिक्षा कहलाती है। उन्होंने कहा, “संस्कारयुक्त शिक्षा से ही व्यक्ति का सर्वांगीण विकास संभव है और जब व्यक्ति सशक्त होता है, तो समाज और राष्ट्र स्वतः प्रगति करता है।” दिलावर ने कहा कि राजस्थान में शिक्षा के स्तर में लगातार सुधार हो रहा है। सरकार का प्रयास है कि प्रत्येक बालक और बालिका को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले। उन्होंने कहा कि आदर्श विद्या मंदिर जैसे संस्थान बच्चों में न केवल ज्ञान देते हैं, बल्कि उनमें राष्ट्रभाव और सेवा की भावना भी जगाते हैं।
कांग्रेस पर साधा निशाना, कहा– ‘बबूल की तरह खुद के लिए घातक’
अपने संबोधन के दौरान मंत्री दिलावर ने कांग्रेस पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने कहा, “कांग्रेस एक बबूल की तरह है, जैसे बबूल की झाड़ियां अपने लिए ही घातक होती हैं, वैसे ही कांग्रेस अपने अस्तित्व को खत्म कर रही है।” उन्होंने राहुल गांधी पर टिप्पणी करते हुए कहा, “जो आज वोट चोरी का आरोप लगा रहे हैं, वे अपने शासन के समय में हुए चुनावों को क्यों भूल जाते हैं? आज जब फर्जी नाम हटाए जा रहे हैं, तब उन्हें परेशानी हो रही है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं।”
बाड़मेर-बालोतरा में शिक्षकों की कमी होगी पूरी
मंत्री दिलावर ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि प्रदेश में शिक्षकों की कमी को लेकर सरकार गंभीर है। उन्होंने बताया कि बाड़मेर और बालोतरा क्षेत्र में शिक्षकों की कमी को अन्य जिलों की तर्ज पर समानांतर नियम लागू कर शीघ्र पूरा किया जाएगा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि पंचायतीराज विभाग के अंतर्गत विलायती बबूल जैसे पौधे, जो पर्यावरण और स्थानीय वनस्पति के लिए हानिकारक हैं, उन्हें हटाने की दिशा में कार्य चल रहा है। उन्होंने कहा कि आमजन भी इस मुहिम में सहयोग करें ताकि पर्यावरण को बचाया जा सके।
25 हजार से अधिक विद्यालयों से गूंज रहा राष्ट्रभाव
समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित संघ के सह क्षेत्र संपर्क प्रमुख योगेंद्र कुमार ने कहा कि वर्ष 1952 से प्रारंभ हुई विद्या भारती की यात्रा आज एक विशाल स्वरूप ले चुकी है। उन्होंने बताया कि आज देशभर में 25 हजार से अधिक आदर्श विद्या मंदिर संचालित हो रहे हैं, जो राष्ट्रप्रेम, संस्कार और समाजसेवा के आदर्श स्थापित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन विद्यालयों का उद्देश्य केवल शिक्षा देना नहीं, बल्कि ऐसे नागरिक तैयार करना है जो समाज के प्रति जिम्मेदार हों और देश की प्रगति में अपना योगदान दें।
ध्यानाराम संत ने कहा – संघ सनातन ज्ञान को पुनः जागृत कर रहा है
ब्रह्मधाम आसोतरा के संत ध्यानाराम ने अपने संबोधन में कहा कि आज संघ के माध्यम से सनातन संस्कृति का दिव्य ज्ञान समाज में पुनः जागृत किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब शिक्षा में धर्म, नैतिकता और भारतीयता का समावेश होता है, तब राष्ट्र मजबूत होता है। वहीं, राज्य मंत्री कृष्ण कुमार विश्नोई ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत 2047 के विकसित राष्ट्र के लक्ष्य की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि देश में “स्वदेशी के प्रति जनता का विश्वास” लगातार बढ़ रहा है और यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम है।
विधायक भायल और पूर्व मंत्री कैलाश चौधरी ने दी शुभकामनाएं
सिवाना विधायक हमीरसिंह भायल ने कार्यक्रम में मंत्री दिलावर से अपने क्षेत्र में शिक्षकों की कमी दूर करने का अनुरोध किया, जिस पर मंत्री ने शीघ्र समाधान का आश्वासन दिया। वहीं, पूर्व केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि अतीत में देश के गौरवशाली इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में अब भारतीय चिंतन, सृजनात्मकता और मूल विचारों को प्राथमिकता दी जा रही है, जो आने वाली पीढ़ियों को आत्मनिर्भर बनाएगी।
भामाशाहों और सहयोगियों का हुआ सम्मान
कार्यक्रम में विद्यालय निर्माण में सहयोग देने वाले दानदाताओं और भामाशाहों का साफा, अंगवस्त्र और स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया गया। समारोह का संचालन बाबूलाल प्रजापत ने किया। इस अवसर पर सैकड़ों की संख्या में स्थानीय लोग, शिक्षक, विद्यार्थी और गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। समारोह के दौरान वातावरण में राष्ट्रगीतों और जयघोषों की गूंज सुनाई देती रही, जो भारतीय संस्कृति और शिक्षा के समन्वय का प्रतीक थी।


