शोभना शर्मा। बहरोड़ के पूर्व विधायक बलजीत यादव के 10 ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छापेमारी की है। यह कार्रवाई जयपुर, दौसा और अलवर में चल रही है, जिसमें जयपुर में 8 और दौसा तथा अलवर में 1-1 स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। यह छापेमारी बलजीत यादव की फर्म पर घटिया सामान आपूर्ति के आरोपों के चलते की गई है। जानकारी के अनुसार, ED ने इस मामले में जांच शुरू की थी, जिसके बाद संबंधित स्थानों पर छापेमारी की जा रही है। हालांकि, बहरोड़ में अभी तक ED की टीम नहीं पहुंची है और वहां किसी प्रकार की हलचल देखने को नहीं मिली है। बलजीत यादव और उनसे जुड़े कुछ लोगों पर आरोप है कि उनकी कंपनियों ने सरकारी स्कूलों में विधायक रहते हुए विधायक कोष से सामान की आपूर्ति में बड़ा घोटाला किया था।
विशेष रूप से, उन पर आरोप है कि उन्होंने सरकारी स्कूलों में क्रिकेट सामान वितरित किया था, जिसमें 3.72 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ था। इस मामले में पहले ही एसीबी (एंटी करप्शन ब्यूरो) में केस दर्ज किया जा चुका है। बलजीत यादव ने अपने विधायक कोष से स्कूली बच्चों को स्पोर्ट्स किट बांटी थीं, जिसमें कथित तौर पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। आरोप है कि ये किट फर्जी कंपनियों के माध्यम से वितरित की गईं और इन्हें वास्तविक लागत से कई गुना अधिक कीमत पर खरीदा गया था। खरीद प्रक्रिया के लिए एक कमिटी गठित की गई थी, लेकिन इस कमिटी ने टेंडर प्रक्रिया का पालन नहीं किया और उन्हीं फर्मों से सामान खरीदा गया, जिनकी पहले से अनुशंसा की गई थी।
दिलचस्प बात यह है कि बलजीत यादव ने खुद भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चलाई थी। उन्होंने ऐलान किया था कि जो भी भ्रष्टाचार के खिलाफ सबूत लेकर आएगा, उसे 51 हजार रुपए इनाम दिया जाएगा। लेकिन अब वे खुद भ्रष्टाचार के आरोपों में घिर गए हैं। इस मामले की शिकायत एसीबी में की गई थी, जिसके बाद दिसंबर 2024 में बलजीत यादव समेत 8 अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज किया गया। अब इसी मामले में ED भी छापेमारी कर रही है।
बलजीत यादव 2018 से 2023 में बहरोड़ विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक रह चुके हैं। उस समय विधायक रहते हुए उन्होंने अशोक गहलोत सरकार को समर्थन दिया था और राज्यसभा चुनाव में भी यादव ने कांग्रेस के पक्ष में वोटिंग की थी। बलजीत यादव के खिलाफ चल रही यह कार्रवाई न केवल उनके राजनीतिक करियर के लिए एक बड़ा झटका है, बल्कि यह भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही मुहिम के लिए भी एक महत्वपूर्ण मोड़ है। ED की छापेमारी से यह स्पष्ट होता है कि भ्रष्टाचार के मामलों में सख्त कार्रवाई की जा रही है और किसी भी व्यक्ति को कानून से ऊपर नहीं माना जाएगा।