शोभना शर्मा। जयपुर शहर में ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों के लिए अब ड्रोन की नजर से बच पाना मुश्किल होगा। जयपुर पुलिस ने शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने के लिए एक नया और अत्याधुनिक तरीका अपनाया है। डीसीपी ट्रैफिक की ओर से पहली बार ट्रैफिक नियम तोड़ने वालों की निगरानी के लिए ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह तकनीक न सिर्फ ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन को रोकेगी, बल्कि वाहन चालकों को त्वरित रूप से ऑनलाइन चालान भी भेजेगी।
ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन रोकने की नई पहल:
जयपुर पुलिस ने पिछले 4-5 दिनों से ड्रोन तकनीक का ट्रायल शुरू किया है, जिसे यादगार भवन से कंट्रोल किया जा रहा है। ड्रोन की निगरानी का दायरा 5 किलोमीटर तक है, जिससे ट्रैफिक पुलिस को काफी मदद मिलेगी। यह ड्रोन ट्रैफिक नियम तोड़ने वाले वाहन चालकों पर लगातार नजर रखेगा और उनके खिलाफ तुरंत चालान जारी किया जाएगा। चालान के साथ तस्वीरें भी भेजी जाएंगी, जो सबूत के तौर पर काम करेंगी।
कैसे काम करेगा ड्रोन?
पुलिस उपायुक्त सागर राणा ने बताया कि ड्रोन की तकनीकी क्षमता काफी उन्नत है। यह 200 मीटर की दूरी से चलते हुए वाहनों की नंबर प्लेट को साफ तौर पर पढ़ सकता है। इसका मतलब है कि ट्रैफिक नियम तोड़ने वाले वाहन चालकों को ड्रोन से छिपना नामुमकिन होगा। फिलहाल इसे दिन में 6 से 7 बार उड़ाया जा रहा है, और ट्रैफिक पुलिस कंट्रोल रूम से इसे मॉनिटर किया जा रहा है।
ऑनलाइन चालान की प्रक्रिया:
ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहन चालकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए ऑनलाइन चालान प्रक्रिया को अपनाया जाएगा। ड्रोन द्वारा वाहन की नंबर प्लेट और उल्लंघन की तस्वीर ली जाएगी, जिसके बाद चालान उनके घर पर भेजा जाएगा। चालान की कॉपी के साथ उल्लंघन की तस्वीर भी सबूत के तौर पर मौजूद होगी, जिससे चालान को लेकर कोई विवाद नहीं हो सकेगा।
वीवीआईपी मूवमेंट और रैलियों की निगरानी:
इस ड्रोन तकनीक का उपयोग केवल ट्रैफिक नियमों का पालन सुनिश्चित करने तक सीमित नहीं रहेगा। वीवीआईपी मूवमेंट और रैलियों के दौरान भी यह ड्रोन ट्रैफिक व्यवस्था पर निगरानी रखेगा। इसके जरिए ट्रैफिक के दबाव वाले क्षेत्रों का आसानी से पता लगाया जा सकेगा और ट्रैफिक को वैकल्पिक मार्गों पर डायवर्ट किया जा सकेगा। इससे वीवीआईपी मूवमेंट के दौरान ट्रैफिक जाम जैसी समस्याओं से बचा जा सकेगा।
पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर प्रयोग:
यह ड्रोन तकनीक फिलहाल एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चल रही है। अगर इसका परिणाम सकारात्मक रहा, तो इसे पूरे जयपुर शहर में लागू किया जा सकता है। पुलिस उपायुक्त सागर राणा का कहना है कि ड्रोन तकनीक से ट्रैफिक नियंत्रण में सुधार होगा और जयपुर शहर के यातायात की स्थिति में बड़ा बदलाव आएगा।
ड्रोन से ट्रैफिक निगरानी के फायदे:
- रियल-टाइम मॉनिटरिंग: ड्रोन तकनीक की मदद से ट्रैफिक नियम तोड़ने वालों पर तुरंत कार्रवाई की जा सकेगी।
- ऑनलाइन चालान: उल्लंघनकर्ताओं को ऑनलाइन चालान भेजे जाएंगे, जिससे मैन्युअल प्रोसेस की जरूरत नहीं होगी।
- वीवीआईपी मूवमेंट में मदद: ड्रोन से ट्रैफिक के दबाव वाले क्षेत्रों का पता लगाकर वीवीआईपी मूवमेंट के लिए ट्रैफिक को डायवर्ट किया जा सकेगा।
- रैलियों और जुलूसों पर निगरानी: किसी भी बड़े आयोजन, रैली या जुलूस के दौरान ट्रैफिक की स्थिति पर नजर रखी जा सकेगी।
- फोटो प्रूफ: चालान के साथ उल्लंघन की तस्वीरें भेजी जाएंगी, जिससे कोई भी चालान विवाद रहित होगा।
यदि जयपुर ट्रैफिक पुलिस का यह पायलट प्रोजेक्ट सफल रहता है, तो जयपुर की ट्रैफिक व्यवस्था में आने वाले दिनों में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।