शोभना शर्मा। राजस्थान की राजधानी जयपुर में चल रहे डॉ. राकेश बिश्नोई आत्महत्या मामले ने राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में हलचल मचा दी है। इस संवेदनशील मुद्दे पर आंदोलन कर रहे राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के संयोजक और सांसद हनुमान बेनीवाल सहित अन्य नेताओं को एसएमएस थाना पुलिस ने नोटिस भेजा है। नोटिस में इन्हें बिना वैध अनुमति के प्रदर्शन और अवैध जमावड़े के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।
पुलिस का नोटिस क्यों?
यह नोटिस हनुमान बेनीवाल, अभिमन्यु पूनिया, निर्मल चौधरी, अनिल चोपड़ा, और श्रवण चौधरी को भेजा गया है। इन सभी पर आरोप है कि उन्होंने एसएमएस अस्पताल के आरोग्य पथ और मोर्चरी के पास टेंट लगाकर अवैध रूप से लोगों को इकट्ठा किया और रास्ता बाधित किया।
पुलिस का कहना है कि सोशल मीडिया के माध्यम से भी लोगों को बिना अनुमति आंदोलन में शामिल होने के लिए आह्वान किया गया, जो विधि विरुद्ध और जनहित के विरुद्ध है। खासकर एसएमएस अस्पताल जैसे स्थान पर आंदोलन से मरीजों की आवाजाही प्रभावित होने की आशंका जताई गई है।
मरीजों की सुरक्षा का हवाला
नोटिस में यह भी उल्लेख है कि यह क्षेत्र गंभीर मरीजों के इलाज और मृतकों के अंतिम संस्कार से जुड़ा है। यहां की गतिविधियां बाधित होने से मरीजों की जान को खतरा हो सकता है। पुलिस ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई अप्रिय घटना होती है, तो इसके लिए आंदोलन करने वाले सीधे जिम्मेदार होंगे।
बावजूद इसके आंदोलन जारी
पुलिस की चेतावनी के बावजूद, हनुमान बेनीवाल ने सोशल मीडिया मंच X (पूर्व में ट्विटर) पर एक बार फिर से लोगों से आंदोलन में शामिल होने की अपील की है। उन्होंने लिखा: “दिवंगत डॉ. राकेश बिश्नोई के परिजनों को न्याय दिलाने के लिए जयपुर सहित आसपास के क्षेत्रों से युवा साथी 20 जून को सुबह 11 बजे तक मेरे जालूपुरा स्थित आवास पर पहुंचें। हम दोपहर 1 बजे सीएम आवास की ओर कूच करेंगे।”
डॉ. राकेश बिश्नोई आत्महत्या मामला
इस पूरे प्रकरण की जड़ में हैं डॉ. राकेश बिश्नोई, जिन्होंने 12 जून 2025 को जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी। इसके बाद उन्हें जयपुर के सवाई मान सिंह (SMS) अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी मौत हो गई। परिवार वालों का आरोप है कि राकेश बिश्नोई को उनके ही विभाग के HOD (विभागाध्यक्ष) द्वारा मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा था, जिससे तंग आकर उन्होंने यह कदम उठाया।
परिजनों की मांग है कि HOD को तुरंत गिरफ्तार किया जाए और उन्हें न्याय दिलाया जाए। परिजनों के साथ-साथ स्थानीय लोग, छात्र संगठन और कुछ राजनीतिक दलों के नेता इस मांग को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।
आज धरने का सातवां दिन
इस धरने को आज 7 दिन हो गए हैं। इस बीच डॉ. बिश्नोई का शव मोर्चरी में ही रखा गया है, क्योंकि परिजनों ने अंतिम संस्कार से इनकार कर दिया है जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलता। आंदोलन कर रहे लोगों का कहना है कि सरकार ने अब तक कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया है।
हनुमान बेनीवाल का कहना है कि सरकार पूरी तरह से संवेदनहीन हो चुकी है। एक डॉक्टर का शव मोर्चरी में पड़ा है, उनके परिजन भूखे-प्यासे न्याय की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन सरकार और प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है।
क्या है आगे की रणनीति?
इस मामले में तनाव की स्थिति बनी हुई है, क्योंकि 20 जून को सीएम आवास की ओर कूच की घोषणा की गई है। पुलिस द्वारा नोटिस दिए जाने के बावजूद यदि बड़ी संख्या में लोग एकत्रित होते हैं, तो कानून व्यवस्था पर संकट आ सकता है। राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन के लिए यह मामला संवेदनशील बन चुका है। एक ओर जनता और परिजनों की न्याय की मांग है, दूसरी ओर कानून व्यवस्था बनाए रखना भी चुनौती बन गया है।