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डोटासरा बोले: शिक्षा मंत्री दिलावर सरकार की सबसे बड़ी परेशानी बन चुके

डोटासरा बोले: शिक्षा मंत्री दिलावर सरकार की सबसे बड़ी परेशानी बन चुके

शोभना शर्मा।  राजस्थान में छह दिसंबर को शौर्य दिवस मनाने को लेकर जारी आदेश भले ही 12 घंटे के भीतर वापस ले लिया गया हो, लेकिन इसका विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। कांग्रेस, विपक्षी नेताओं और सिविल सोसाइटी संगठनों ने इस फैसले को सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल उठाने वाला कदम बताया है। आदेश वापस होने के बावजूद राजनीतिक विवाद शांत होने के बजाय और तेज हो गया है।

डोटासरा का आरोप: मंत्री विवाद का केंद्र बन चुके

राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने आदेश को लेकर तीखा हमला बोला और कहा कि शिक्षा विभाग का यह निर्देश भजनलाल शर्मा सरकार की मानसिकता को उजागर करता है। डोटासरा के अनुसार आदेश देर रात जारी हुआ और रविवार सुबह बिना किसी कारण बताए वापस ले लिया गया, जिससे साफ है कि सरकार अपनी नीतियों को लेकर स्पष्ट नहीं है।

शिक्षा मंत्री मदन दिलावर पर निशाना साधते हुए डोटासरा ने कहा कि दिलावर सरकार के लिए सबसे बड़ी परेशानी बन चुके हैं। उनके मुताबिक, मंत्री का काम अब सिर्फ विवादित बयान देना और झूठी घोषणाएं करना रह गया है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि शिक्षा विभाग की स्थिति ऐसी है कि अधिकारी आदेश जारी करने से भी डर रहे हैं, जबकि वही आदेश मंत्री के आधिकारिक व्हाट्सएप ग्रुप से प्रसारित हुआ था।

विधायक रफीक खान ने भी उठाए सवाल

कांग्रेस विधायक रफीक खान ने भी इस आदेश की आलोचना की और कहा कि यह राजस्थान की समावेशी संस्कृति के खिलाफ है। उन्होंने शिक्षा मंत्री के उस बयान की याद दिलाई जिसमें उन्होंने छात्रों से पारंपरिक पोशाक पहनने की बात कही थी और बाद में टिप्पणी की थी कि क्या कोई लड़की बुर्का पहनकर आई। खान ने कहा कि स्कूलों में नामांकन बढ़ाने, भवन मरम्मत कराने, शिक्षकों की भर्ती तेज करने और शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की जरूरत है, लेकिन मंत्री हिंदू-मुस्लिम राजनीति में उलझे हुए हैं।

सिविल सोसाइटी ने सरकार से मांगा स्पष्ट जवाब

पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) और कई अन्य संगठनों ने मांग की है कि सरकार स्पष्ट करे कि क्या आदेश स्थायी रूप से वापस लिया गया है या केवल फिलहाल रोक दिया गया है। PUCL अध्यक्ष कविता श्रीवास्तव ने कहा कि यह निर्देश संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 25 के खिलाफ है, और राइट टू एजुकेशन एक्ट व राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की भावना को भी आहत करता है, जिनमें समानता और धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों को बढ़ावा देने की बात कही गई है।

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