शोभना शर्मा। राजस्थान में शिक्षा विभाग ने 22 सितंबर को बड़े स्तर पर प्रशासनिक कदम उठाते हुए प्रिंसिपलों के तबादले कर दिए। कुल 4527 प्रिंसिपल की ट्रांसफर लिस्ट जारी की गई। जैसे ही यह सूची सार्वजनिक हुई, राजनीति तेज हो गई। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष और पूर्व शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने इस पर कड़ा विरोध जताते हुए इसे राजनीतिक द्वेष से प्रेरित करार दिया। वहीं दूसरी ओर, वर्तमान शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि यह निर्णय लंबे समय से लंबित मांग और प्रशासनिक आवश्यकताओं के आधार पर लिया गया है।
मदन दिलावर का बयान: “किसी राजनीतिक द्वेष से तबादले नहीं”
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने स्पष्ट किया कि प्रदेश में नई सरकार बनने के बाद से शिक्षकों का स्थानांतरण रोका हुआ था। लंबे समय से विभिन्न जिलों से प्रिंसिपलों के स्थानांतरण की मांग उठ रही थी। इसी को ध्यान में रखते हुए यह व्यापक तबादला सूची जारी की गई है। दिलावर ने कहा कि इस प्रक्रिया में खास ध्यान रखा गया कि अधिकतर प्रिंसिपलों को रिक्त पदों पर ही समायोजित किया जाए। उनका कहना है कि यदि किसी को उनके वर्तमान पद से हटाया भी गया है, तो उन्हें उसी जिले के अंदर समायोजित करने की पूरी कोशिश की गई। उन्होंने दोहराया कि इसमें किसी भी तरह की राजनीतिक दुर्भावना या व्यक्तिगत द्वेष शामिल नहीं है।
ट्रांसफर लिस्ट का ब्योरा
मंत्री दिलावर ने ट्रांसफर लिस्ट का पूरा ब्योरा पेश करते हुए बताया कि:
कुल 4527 प्रिंसिपल का स्थानांतरण किया गया है।
इनमें से लगभग 2400 को रिक्त पदों पर लगाया गया है।
करीब 1306 प्रिंसिपल को प्रशासनिक आधार या शिकायतों के आधार पर नई जगह नियुक्त किया गया है।
साथ ही पीएम श्री विद्यालय के 218 रिक्त पदों पर भी प्रिंसिपल नियुक्त किए गए हैं।
दिलावर के अनुसार, इस प्रक्रिया से राजकोष पर अतिरिक्त भार नहीं पड़ेगा और शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने का प्रयास होगा।
डोटासरा का आरोप: “जाति विशेष को भी टार्गेट किया गया”
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने इस तबादला सूची को लेकर भाजपा सरकार पर बड़ा हमला बोला। उन्होंने कहा कि मेरे लक्ष्मणगढ़ क्षेत्र में 2019 में कांग्रेस सरकार के दौरान नियुक्त किए गए प्रिंसिपलों को हटाकर जालोर, सिरोही और बाड़मेर भेज दिया गया।
डोटासरा ने आरोप लगाया कि यह केवल इसलिए किया गया क्योंकि उन्हें “डोटासरा द्वारा लगाए गए” माना गया। उन्होंने कहा, “इस तरह न तो वे वहां मन से काम कर पाएंगे और न ही यहां उनकी कमी पूरी हो पाएगी।” उन्होंने और गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि इस तबादले में जाति विशेष को भी निशाना बनाया गया है। उनके मुताबिक, लक्ष्मणगढ़ क्षेत्र से लगभग 60-65 प्रिंसिपलों का तबादला कर दिया गया है। डोटासरा ने कहा, “मैंने अपने जीवन में इतनी राजनीतिक दुर्भावना पहले कभी नहीं देखी।”
कांग्रेस बनाम भाजपा की जंग
राजस्थान की राजनीति में शिक्षक और प्रिंसिपल तबादले हमेशा विवाद का विषय बने रहे हैं। कांग्रेस और भाजपा एक-दूसरे पर हमेशा राजनीतिक हस्तक्षेप के आरोप लगाती रही हैं। वर्तमान मामले में भी यही देखा गया। जहां भाजपा सरकार का दावा है कि यह कदम प्रशासनिक आवश्यकता और शिक्षा व्यवस्था सुधार के लिए उठाया गया है, वहीं कांग्रेस का मानना है कि इस सूची को खास राजनीतिक उद्देश्य से तैयार किया गया है।
शिक्षा व्यवस्था पर असर
इतने बड़े स्तर पर तबादले का असर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर सीधे तौर पर पड़ेगा। विशेषज्ञ मानते हैं कि जहां रिक्त पदों पर नियुक्तियां होने से कई विद्यालयों में प्रशासनिक कामकाज सुचारू होगा, वहीं अचानक किए गए ट्रांसफरों से कुछ जगहों पर असंतुलन और असंतोष की स्थिति भी पैदा हो सकती है। शिक्षा जगत में यह भी चर्चा है कि यदि तबादलों में पारदर्शिता बनी रहती है तो इससे स्कूलों की व्यवस्थाओं में सुधार आएगा, लेकिन यदि राजनीतिक प्रभाव अधिक रहा तो शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।