शोभना शर्मा। जयपुर में आयोजित 14वें ग्रेट इंडियन ट्रैवल बाजार (GITB-2025) में राजस्थान की उपमुख्यमंत्री एवं पर्यटन मंत्री दीया कुमारी ने प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत और आधुनिक पर्यटन ढांचे के समावेश को लेकर बड़ी घोषणा की। उन्होंने राजस्थान को सिर्फ एक ट्रेवल डेस्टिनेशन नहीं, बल्कि संभावनाओं की धरती बताया। तीन दिवसीय इस मेगा इवेंट का आयोजन केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय, राजस्थान पर्यटन विभाग और फिक्की के संयुक्त तत्वावधान में किया गया है।
दीया कुमारी ने उद्घाटन समारोह में कहा कि राजस्थान एक ऐसा प्रदेश है जहां लोकगीतों में जीवन की धड़कन और नृत्य में आत्मा बसती है। यह सिर्फ देखने का स्थान नहीं है, बल्कि अनुभव करने की भूमि है। पर्यटक अब महलों और किलों से आगे जाकर राज्य की जीवंतता, संगीत और संस्कृति से जुड़ना चाहते हैं। इसी सोच को केंद्र में रखकर कॉन्सर्ट टूरिज्म को बढ़ावा देने का निर्णय लिया गया है।
कॉन्सर्ट टूरिज्म के ज़रिए वैश्विक मंच पर राजस्थान
दीया कुमारी ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार आने वाले समय में देश-विदेश के कलाकारों को आमंत्रित कर राजस्थान में कॉन्सर्ट टूरिज्म की श्रृंखला शुरू करेगी। यह पर्यटन का एक ऐसा नया पहलू होगा जिसमें लोक संगीत, पारंपरिक वाद्य यंत्र, आधुनिक म्यूज़िक और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां एक साथ होंगी।
उन्होंने कहा कि हम सिर्फ पर्यटकों को आकर्षित नहीं करना चाहते, बल्कि उन्हें राजस्थान की आत्मा से जुड़ने का मौका देना चाहते हैं। राजस्थान में आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या को दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है।
आधारभूत संरचना का तेजी से विकास
दीया कुमारी ने बताया कि राज्य सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी ढांचे पर भी जोर दे रही है। नई सड़कों, हाईवे और रेलवे नेटवर्क का निर्माण किया जा रहा है। साथ ही नए एयरपोर्ट्स की भी योजना पर कार्य जारी है।
उन्होंने कहा कि जयपुर में जल्द ही “राजस्थान मंडपम्” का निर्माण किया जाएगा, जो दिल्ली के “भारत मंडपम” की तर्ज पर एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का बहुउद्देश्यीय आयोजन स्थल होगा। यह मंडपम वैश्विक पर्यटकों के लिए राजस्थान की सांस्कृतिक झलक को स्थायी रूप में प्रस्तुत करेगा।
लोक संगीत और आधुनिकता का अद्भुत संगम
पर्यटन विभाग के अतिरिक्त निदेशक आनंद त्रिपाठी ने बताया कि इस आयोजन का उद्देश्य केवल मनोरंजन नहीं था, बल्कि यह एक संगीतात्मक कथा की तरह रचा गया जिसमें राजस्थान की पारंपरिक धुनें आधुनिक वाद्ययंत्रों के साथ गूंजीं। इस कार्यक्रम का निर्देशन प्रसिद्ध कला मर्मज्ञ विनोद जोशी ने किया।
राजस्थान के मांगणियार, लंगा, मेघवाल, दमामी और जोगी समुदायों के कलाकारों ने मंच साझा किया। पारंपरिक वाद्य यंत्रों जैसे खड़ताल, कमायचा और भपंग के साथ-साथ सैक्सोफोन, कीबोर्ड, क्लैपबॉक्स और गिटार जैसे आधुनिक वाद्ययंत्रों की समकालीन धुनों ने दर्शकों को एक अनोखे अनुभव से रूबरू कराया।
लोक नृत्य ने बांधा समां
इस कार्यक्रम की विशेष आकर्षण थीं विश्वविख्यात कालबेलिया नृत्यांगनाएं – खातू सपेरा, भुरकी और राधा। जब उन्होंने मंच पर कदम रखा, तो दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। उनके नृत्य की हर एक भंगिमा में राजस्थान की आत्मा झलक रही थी। पारंपरिक और समकालीन नृत्य का ऐसा समावेश कम ही देखने को मिलता है।
राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व
इस भव्य आयोजन में भारत सरकार के पर्यटन, कला एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, ओडिशा की उपमुख्यमंत्री प्रावती पारिदा, भारत सरकार के पर्यटन महानिदेशक सुमन बिल्ला, फिक्की टूरिज्म कमेटी की मेंटर और ललित सूरी हॉस्पिटैलिटी ग्रुप की सीएमडी डॉ. ज्योत्ना सूरी जैसे प्रमुख लोग मौजूद रहे। इन सभी ने राजस्थान के पर्यटन विकास के प्रयासों की सराहना की।