शोभना शर्मा। राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित प्रसिद्ध सांवलिया सेठ मंदिर न केवल धार्मिक महत्ता का केंद्र है, बल्कि भक्तों की अनोखी आस्था और समर्पण का भी प्रतीक बन चुका है। यह मंदिर देशभर के लाखों श्रद्धालुओं के लिए आस्था का ऐसा स्थल है जहां मनोकामनाओं के पूर्ण होने की अटूट विश्वास के साथ लोग आते हैं और अपनी श्रद्धा के अनुसार भेंट चढ़ाते हैं।
हाल ही में इस मंदिर में एक ऐसी अनूठी भेंट ने सभी का ध्यान आकर्षित किया, जिसने श्रद्धा और समर्पण की परिभाषा को और गहराई दी है। मध्यप्रदेश के धार जिले के कुक्षी गांव से आए एक व्यापारी भक्त ने अपने आराध्य सांवलिया सेठ को चांदी से बनी डंपर और दो पोकलेन मशीनें भेंट कीं। यही नहीं, इस श्रद्धालु ने एक चांदी का पेन भी मंदिर में चढ़ाया। ये तीनों प्रतीकात्मक वाहन चांदी के 1595 ग्राम से तैयार किए गए थे और इन्हें भक्त ने स्वयं मंदिर में जाकर अर्पित किया।
व्यापार में सफलता पर की अनूठी भेंट
इस भक्त ने बताया कि कुछ समय पहले उन्होंने नया व्यापार आरंभ किया था। उस समय उन्होंने दिल से सांवलिया सेठ का स्मरण किया और अपने व्यवसाय की सफलता की कामना की। समय के साथ उनका कारोबार जमने लगा और कुछ ही महीनों में मुनाफा कई गुना बढ़ गया। इस सफलता को वे सांवलिया सेठ की कृपा मानते हैं और इसी भाव से उन्होंने अपने ईष्ट को यह विशेष भेंट चढ़ाने का निर्णय लिया।
भक्त ने बताया कि डंपर और पोकलेन मशीनें उनके व्यवसाय का प्रतीक हैं, इसलिए उन्होंने इनका प्रतीकात्मक रूप चांदी में बनवाया और बाबा के चरणों में समर्पित किया। यह भेंट न केवल उनके धन्यवाद की भावना है, बल्कि उस विश्वास और भक्ति का प्रतीक भी है जो उन्होंने प्रारंभ से ही सांवलिया सेठ में रखा।
हर महीने दर्शन की परंपरा
इस भेंट के माध्यम से भक्त ने यह भी बताया कि वे पिछले कई वर्षों से सांवलिया सेठ मंदिर में नियमित रूप से दर्शन के लिए आते रहे हैं। प्रत्येक माह वे अपने परिवार के साथ एक बार अवश्य मंदिर पहुंचते हैं और बाबा के दर्शन करते हैं। उनका मानना है कि सच्चे मन से जो भी इस दरबार में आता है, वह खाली हाथ नहीं लौटता।
इस व्यापारी ने न केवल मंदिर के प्रति अपनी श्रद्धा दिखाई, बल्कि यह भी सिद्ध कर दिया कि भक्ति में भावनाएं सबसे बड़ी होती हैं। चांदी जैसे कीमती धातु से बने डंपर और पोकलेन भले ही छोटे प्रतीकात्मक हों, लेकिन उनकी भावना अत्यंत विशाल है।
सांवलिया सेठ मंदिर: भक्ति और भेंट का संगम
सांवलिया सेठ मंदिर वैसे भी उन गिने-चुने मंदिरों में से एक है जहां चढ़ावे की राशि हर महीने करोड़ों में पहुंचती है। मंदिर में सोना-चांदी, नकद राशि, और कीमती वस्तुएं नियमित रूप से चढ़ाई जाती हैं। यहां आने वाले भक्तों की मन्नतें और मान्यताएं इतनी प्रबल हैं कि जब कोई मुराद पूरी होती है तो लोग कुछ न कुछ विशेष भेंट लेकर मंदिर पहुंचते हैं।
मंदिर प्रशासन के अनुसार, बीते कुछ वर्षों में ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं जब भक्तों ने अपने व्यवसाय या व्यक्तिगत सफलता के प्रतीक स्वरूप विशेष वस्तुएं सांवलिया सेठ को भेंट की हैं। इस बार चांदी के डंपर और पोकलेन मशीनों की यह अनूठी भेंट उस श्रृंखला में एक और अध्याय जोड़ती है।
श्रद्धा की शक्ति और सामाजिक संदेश
यह घटना न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से प्रेरणादायक है, बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी एक सकारात्मक संदेश देती है कि आस्था और श्रद्धा किसी भी कठिनाई को पार करने में सहायता कर सकती है। साथ ही, यह भी दर्शाती है कि जब सफलता मिलती है, तो अपने आरंभिक विश्वास को न भूलकर उसका आभार प्रकट करना व्यक्ति की महानता का प्रतीक होता है।