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राजस्थान में शहरों का विकास खाका अब विधायकों की राय से बनेगा

राजस्थान में शहरों का विकास खाका अब विधायकों की राय से बनेगा

मनीषा शर्मा। राजस्थान सरकार ने नगरीय विकास से जुड़ा एक बड़ा निर्णय लिया है। अब राज्य के सभी शहरों में बनने वाली विकास योजनाओं और परियोजनाओं को अंतिम रूप देने से पहले संबंधित क्षेत्र के विधायकों से राय ली जाएगी। इस फैसले का उद्देश्य जनता की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए योजनाएं तैयार करना और स्थानीय जरूरतों के अनुसार विकास सुनिश्चित करना है।

यूडीएच मंत्री ने दिए निर्देश

नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने विभाग के प्रमुख सचिव को पत्रावली के जरिए स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा है कि प्रदेश के सभी विकास प्राधिकरण, नगर विकास न्यास और नगरीय निकाय अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि किसी भी विकास परियोजना को अंतिम रूप देने से पहले स्थानीय जनप्रतिनिधियों से चर्चा हो।

मंत्री के अनुसार, जनप्रतिनिधि जनता के बीच रहते हैं और उनकी समस्याओं व आवश्यकताओं को भली-भांति समझते हैं। ऐसे में अगर विकास योजनाएं उनकी राय लेकर बनाई जाएंगी तो वे अधिक प्रभावी और जनहितकारी होंगी।

भाजपा विधायक गोपाल शर्मा ने उठाया मुद्दा

इस मामले को विधानसभा में सबसे पहले भाजपा विधायक गोपाल शर्मा ने उठाया था। उनका कहना था कि राज्य में कई विकास परियोजनाएं ऐसी हैं, जिन पर काम तो शुरू कर दिया जाता है, लेकिन संबंधित क्षेत्र के विधायकों से राय नहीं ली जाती। इससे योजनाएं जनता की वास्तविक जरूरतों से मेल नहीं खा पातीं।

गोपाल शर्मा की आपत्ति के बाद जयपुर विकास प्राधिकरण को पहले ही इस दिशा में आदेश जारी किए जा चुके हैं। अब इस व्यवस्था को पूरे प्रदेश के विकास प्राधिकरणों और नगरीय निकायों पर लागू करने का निर्णय लिया गया है।

जनता के बीच रहता है जनप्रतिनिधि

मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कहा, “जनप्रतिनिधि जनता के बीच रहते हैं और उनकी जरूरतों को नजदीक से समझते हैं। इसलिए हर स्थानीय प्रोजेक्ट की जानकारी उन्हें होनी चाहिए। विकास योजनाएं जनप्रतिनिधियों की राय के आधार पर तैयार हों, ताकि उनका स्वरूप पूरी तरह से जनहित में हो।”

इस बयान से स्पष्ट है कि राज्य सरकार अब विकास की दिशा तय करने में जनता की नब्ज पकड़ने वाले विधायकों को प्रमुख भूमिका देना चाहती है।

विपक्ष और सत्तापक्ष के दावे

इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के अपने-अपने दावे हैं।

  • विपक्ष का आरोप है कि राज्य में लंबे समय से ‘ब्यूरोक्रेट-ड्रिवन’ विकास मॉडल चलाया जा रहा है। इसमें अधिकारी अपनी मर्जी से फैसले लेते हैं और जनता की आवाज को दबा दिया जाता है।

  • वहीं, सत्तापक्ष के कई विधायकों ने भी स्वीकार किया कि उनसे राय लिए बिना योजनाएं बनाई जाती रही हैं, जबकि वे जनता से सीधे जुड़े हैं।

इसलिए नए फैसले को दोनों ही पक्ष जनता की भागीदारी सुनिश्चित करने वाला कदम मान रहे हैं।

विकास योजनाओं पर संभावित असर

राज्य सरकार के इस नए आदेश से शहरों की विकास योजनाओं की प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ने की उम्मीद है।

  • अब विधायक अपनी विधानसभा क्षेत्र की जरूरतों को सीधे योजनाओं में शामिल कर पाएंगे।

  • इससे ऐसी परियोजनाओं को प्राथमिकता मिलेगी जो स्थानीय लोगों की समस्याओं का वास्तविक समाधान कर सकें।

  • साथ ही, यह व्यवस्था नौकरशाही के एकाधिकार को भी कम करेगी और राजनीतिक जवाबदेही को बढ़ाएगी।

अगले चरण में आदेश जारी होंगे

मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कहा है कि विभागीय स्तर पर इस संबंध में औपचारिक आदेश अगले एक-दो दिनों में जारी कर दिए जाएंगे। आदेश के बाद प्रदेश के सभी विकास प्राधिकरण और नगरीय निकाय बाध्य होंगे कि वे हर परियोजना की रूपरेखा बनाने से पहले स्थानीय विधायक से परामर्श लें।

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