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अजमेर में वैश्य समाज का प्रदर्शन, पार्षद और बेटे की गिरफ्तारी की मांग

अजमेर में वैश्य समाज का प्रदर्शन, पार्षद और बेटे की गिरफ्तारी की मांग

मनीषा शर्मा, अजमेर। अजमेर में वैश्य समाज के प्रतिनिधियों ने सोमवार को एसपी कार्यालय पर प्रदर्शन कर भाजपा से निष्कासित पार्षद वीरेंद्र वालिया और उनके बेटे के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। समाज ने आरोप लगाया है कि पार्षद और उनके बेटे ने जमीन के मामले में दबाव बनाते हुए धमकियां दी हैं और अब तक उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई है।

मामले का मुख्य आरोप

वैश्य समाज के प्रतिनिधि दिनेश खंडेलवाल के अनुसार, उनकी जमीन पर अवैध अतिक्रमण की कोशिश की जा रही थी, जिसमें नगर निगम के अधिकारी भी शामिल थे। खंडेलवाल का दावा है कि उनकी 2014 में बनाई गई दीवार को जेसीबी की मदद से तोड़ा गया, जिसमें निगम की JEN भी शामिल थीं। यह कार्रवाई बिना किसी कानूनी अधिसूचना के की गई। खंडेलवाल ने यह भी आरोप लगाया कि स्थानीय पार्षद वीरेंद्र वालिया ने जमीन के मामले में उनसे 50 लाख रुपये की मांग की थी और मना करने पर उन्हें धमकियां दीं। इसके बाद जबरदस्ती कर उन्हें परेशान किया गया और उनके साथ मारपीट की गई।

वैश्य समाज का विरोध और ज्ञापन

समाज के प्रतिनिधियों ने आरोप लगाया कि स्थानीय पार्षद वालिया ने निगम अधिकारियों से मिलीभगत कर उनके खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज करवाई। समाज के प्रतिनिधियों का कहना है कि शनिवार को छुट्टी के दिन निगम के अधिकारियों ने दबाव बनाकर दीवार तुड़वाई, जो एक षड्यंत्र का हिस्सा था।वैश्य समाज ने अजमेर एसपी को ज्ञापन देकर निष्पक्ष जांच की मांग की और चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो समाज आंदोलन करने के लिए मजबूर होगा।

पीड़ित ने दर्ज करवाया मुकदमा

पीड़ित दिनेश खंडेलवाल ने भी इस मामले में मुकदमा दर्ज करवाया है। दिनेश ने बताया कि उनके पिता शंकर खंडेलवाल ने 1973 में लायंस क्लब के पीछे जमीन खरीदी थी, जिस पर उनका और उनके भाई आशीष का स्वामित्व है। दिनेश का आरोप है कि पार्षद वीरेंद्र वालिया लंबे समय से उन्हें धमका रहा है कि अगर उन्होंने जमीन नहीं बेची तो उन्हें यहां से हटने पर मजबूर कर देगा। वालिया ने निगम अधिकारियों से मिलीभगत कर बाउंड्री वॉल तुड़वाई, और नाले की जमीन पर कब्जे का प्रयास किया।

निष्पक्ष जांच की मांग

समाज के प्रतिनिधियों ने अजमेर एसपी से निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए कहा कि अगर पार्षद और उनके बेटे के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई तो समाज आंदोलन के लिए बाध्य होगा। वैश्य समाज का कहना है कि यह केवल एक जमीन विवाद का मामला नहीं है, बल्कि उनके समाज के प्रतिनिधि के खिलाफ गलत आरोपों और दबाव की रणनीति अपनाई जा रही है।

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